बंगाली समुदाय का पोईला वैशाख 2025:जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, पौराणिक कथा और इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

पोईला वैशाख 2025 कब है? जानिए इस पावन पर्व की तिथि, शुभ मुहूर्त, पौराणिक कथा, मुगलों से जुड़े इतिहास और किसानों के इस फसल उत्सव का सांस्कृतिक महत्व। 

बंगाली नववर्ष पोईला वैशाख (পহেলা বৈশাখ) 2025 में 15 अप्रैल, दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। यह तिथि बंगाली कैलेंडर के पहले महीने वैशाख (बोइशाख) के प्रथम दिन के रूप में निर्धारित होती है। यह त्योहार बंगाली संस्कृति, कला, और सामाजिक एकता का प्रतीक है।

पौराणिक कथा   

पोइला वैशाख का इतिहास और पौराणिक महत्व कई सदियों पुराना है। इसके पीछे दो प्रमुख स्रोत हैं। कृषि परंपरा और मुगलकालीन इतिहास।

 क्या है मुगलकालीन इतिहास जानें विस्तार से 

सम्राट अकबर के शासनकाल (1556–1605) में बंगाली कैलेंडर का सुधार हुआ। उस समय किसानों से लगान (माल गुजारी) वसूलने के लिए एक सटीक कैलेंडर की आवश्यकता थी। अकबर के दरबारी खगोलशास्त्री फतेहुल्लाह शिराजी ने हिजरी चंद्र कैलेंडर और सौर कैलेंडर को मिलाकर बंगाब्द (बंगाली संवत) की स्थापना की। इसका पहला दिन वैशाख महीने की शुरुआत (पोईला वैशाख) से जोड़ा गया, जो फसल कटाई के बाद आता था। इस दिन किसान लगान चुकाते थे और नए साल की शुरुआत मंगलमय तरीके से करते थे।

सनातन धर्म से भी है पौराणिक संबंध  

कुछ विद्वानों का मानना है कि बंगाली कैलेंडर का आरंभ राजा शशांक (7वीं शताब्दी) के समय से हुआ। वैदिक परंपरा के अनुसार, वैशाख माह को "विशु" या "मेष संक्रांति" से जोड़ा जाता है, जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, क्योंकि इन्हें समृद्धि और नवजीवन का प्रतीक माना जाता है।

क्या है लोककथा  

एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, बंगाल के गांवों में एक बार भीषण अकाल पड़ा। किसानों ने देवी अन्नपूर्णा की आराधना की, और वैशाख के पहले दिन बारिश हुई। तब से यह दिन नई फसल और आशा का प्रतीक बन गया। इसी दिन व्यापारी "हाल खाता" (नया बहीखाता) शुरू करते हैं और गणेश-लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

स्थानीय परंपराएं और मनाने की विधि  

घर की सजावट  

 लोग अपने घरों को आम पत्तों, (रंगोली), और फूलों से सजाते हैं। दरवाज़े पर "স্বাগতম" (स्वागत) लिखा जाता है

बनते है विशेष पकवान  

 पंत भात (भात, दाल, और हिलिस मछली), लूची-चोलार दाल (मैदा की रोटी और चने की दाल), और रसगोल्ला जैसे मिठाइयां बनाई जाती हैं। कई लोग सुबह ऐशेर गुर (कच्चा आम और गुड़) खाते हैं, जो मीठे जीवन का प्रतीक है।

नए वस्त्र पहनने की परंपरा 

महिलाएं सफेद साड़ी लाल बॉर्डर (लाल-सफेद रंगों का संयोजन) और पुरुष धोती-कुर्ता पहनते हैं। यह रंग आज के दिन शुभ माना जाता है।

हाल खाता और व्यापार  

व्यापारी इसी दिन से नए बही खाते की शुरुआत करते हैं और ग्राहकों को मिठाई देकर "শুভ নববর্ষ" (शुभ नववर्ष) की बधाई देते हैं। कोलकाता में यह परंपरा विशेष रूप से लोकप्रिय है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन 

 रवींद्र संगीत, नज़रूल गीत, नाटक और लोकनृत्य का आयोजन होता है। ढाका (बांग्लादेश) में "मंगल शोभायात्रा" (मंगल जुलूस) निकाला जाता है, जो यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल है।

देवी-देवताओं की पूजा 

 कई परिवार गंगा या स्थानीय नदियों में स्नान करते हैं और लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं।

शुभ मुहूर्त   

पोईला वैशाख प्रारंभ 15 अप्रैल 2025, मंगलवार। सूर्योदय सुबह लगभग 05:25 बजे (स्थानीय समयानुसार)। पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 08:30 बजे से 02:00 बजे तक।  

क्या कहता है पोईला वैशाख 

पोईला वैशाख न सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव ही नहीं है, बल्कि यह प्रकृति, कृषि, और मानवीय एकता का प्रतीक भी है। इस दिन बंगाली समाज पुराने गिले-शिकवे भूलकर नए सपनों के साथ आगे बढ़ता है।

डिस्क्लेमर 

यह लेख पूरी तरह धर्म आधार पर आधारित है। लेख लिखने का उद्देश्य सनातनियों के बीच अपने धर्म और त्योहार के प्रति जागरूकता पैदा करना मात्र उद्देश्य है। लेख लिखने के पूर्व विद्वान बह्मणों, आचार्यों और लोक कथाओं सहित इंटरनेट से भी सहयोग लिया गया है। लेख लिखने के पूर्व पूरी तरह से अनुसंधान कर लिखा गया है। यह लेख सिर्फ सूचनाप्रद है। इसकी सत्यता की गारंटी हम नहीं लेते हैं।

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