नाग पंचमी 2025: तिथि, 09 पौराणिक कथा, पूजा विधि, नाग मंदिर और क्या करें-क्या न करें

जानिए नाग पंचमी 2025 की तिथि, पूजा विधि, 09 पौराणिक कथाएं, शुभ मुहूर्त, नाग देवता के मंदिर और इस दिन क्या करें व क्या न करें की संपूर्ण जानकारी।

नाग पंचमी 2025 कब है?

श्रावण मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला पर्व नाग पंचमी 2025 में 29 जुलाई, दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से नाग देवता की आराधना के लिए समर्पित है। इस दिन श्रद्धालु नागों को दूध, फूल, कुश, दूर्वा अर्पित कर उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

पंचमी तिथि प्रारंभ: 28 जुलाई 2025 को दोपहर 11:24 बजे से प्रारंभ होगा:
पंचमी तिथि समाप्त: 29 जुलाई 2025 को दोपहर 12:26 बजे समाप्त हो जायेगी:

पूजा का शुभ समय: 29 जुलाई को सुबह: 08:30 बजे से लेकर दोपहर: 02:57 बजे तक रहेगा। इस दौरान चर मुहूर्त: सुबह 08:33 बजे से लेकर 10:12 बजे तक, लाभ मुहूर्त: 10:12 बजे से लेकर 11:52 बजे तक अमृत मुहूर्त: 11:52 बजे से लेकर 01:31 बजे तक अभिजीत मुहूर्त: 11:25 बजे से लेकर 12:18 बजे तक और विजय मुहूर्त: दोपहर 02:04 बजे से लेकर 02:57 बजे तक रहेगा। इस दौरान आप नाग देवता पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

नाग पंचमी की पौराणिक कथाएं 

01. सर्प कन्या की लोक कथा

एक किसान की बेटी ने घायल नागिन की सेवा की। नागिन ने प्रसन्न होकर कन्या को आशीर्वाद दिया और उसके जीवन में सुख-समृद्धि लाई। इससे नागों के प्रति करुणा और श्रद्धा का संदेश मिलता है।

02. वृद्धा महिला और नागों की कथा

एक वृद्ध महिला का पुत्र सर्पदंश का शिकार होता है। वह नागों से क्षमा याचना करती है और नाग पंचमी के दिन पूजा करती है। नागदेवता प्रसन्न होकर उसके पुत्र को जीवनदान देते हैं। यह कथा क्षमा और श्रद्धा के महत्व को दर्शाती है।

03. जनमेजय का सर्प यज्ञ और आस्तिक मुनि की कथा:

राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग द्वारा होने के बाद उनके पुत्र जनमेजय ने बदले की भावना से विशाल सर्प यज्ञ कराया, जिसमें सभी नाग जलकर भस्म हो रहे थे। देवताओं को यह अनुचित लगा। तब वसिष्ठ ऋषि की पुत्री और मुनि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने जनमेजय से यज्ञ बंद करने की याचना की। जनमेजय ने वचनबद्ध होकर यज्ञ रोक दिया। यह दिन श्रावण शुक्ल पंचमी का था, जिसे नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है।

04. काली नागिन और भाई की रक्षा:

एक बार एक बहन ने अपने भाई को खेत में खाना पहुंचाया। वहां एक नागिन अपने मरे हुए बच्चों के पास थी। उसने सोचा बहन-भाई जिम्मेदार हैं और भाई को डसने लगी। बहन ने करुणा पूर्वक नागिन से क्षमा मांगी और राखी जैसी एक डोरी बांध दी। नागिन द्रवित होकर भाई को जीवनदान दी और तभी से नागपंचमी को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भी माना जाने लगा।

05. कृष्ण और कालिया नाग की कथा:

यमुना नदी में कालिया नाग का आतंक था। श्रीकृष्ण ने अपने बाल्यकाल में उस विषैले नाग को पराजित कर नदी से बाहर किया और उस पर नृत्य किया। कालिया नाग ने क्षमा मांगी और श्रीकृष्ण ने उसे जाने दिया। इस घटना की स्मृति में नागों की पूजा होती है।

06. समुद्र मंथन से उत्पन्न वासुकी नाग:

समुद्र मंथन में मंदराचल पर्वत को मथानी और वासुकी नाग को रस्सी बनाया गया। वासुकी नाग के योगदान से अमृत निकला। इसलिए देवताओं ने नागों को पूजनीय माना। नागपंचमी पर वासुकी सहित आठ प्रमुख नागों की पूजा होती है।

07. भीम और अनंत नाग की रक्षा कथा:

पांडवों के अज्ञातवास के समय भीम एक तालाब से पानी पीने जाते हैं, जहां अनंत नाग रहते हैं। वे भीम को बंदी बना लेते हैं। युधिष्ठिर की पूजा और विनय से नाग प्रसन्न होकर भीम को मुक्त करते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि नागों की पूजा से संकट टलते हैं।

08. चंद्रभागा नदी की नाग माता कथा:

मध्यप्रदेश की चंद्रभागा नदी के तट पर एक कन्या रोज नाग देवता को दूध चढ़ाती थी। एक दिन एक व्यापारी ने उसका उपहास किया और नाग प्रतिमा को अपवित्र कर दिया। नाग देवता ने उसे दंडित किया, और फिर कन्या की पूजा से शांति प्राप्त हुई। आज भी उस स्थान पर मंदिर स्थित है।

09. महर्षि कश्यप की संतान नाग वंश की कथा:

महर्षि कश्यप की पत्नी कद्रू से नागों की उत्पत्ति हुई। वासुकी, तक्षक, शेषनाग आदि उनके पुत्र थे। वे देवताओं के समान शक्तिशाली थे। शेषनाग तो भगवान विष्णु के शय्या बने। उनकी पूजा नागपंचमी पर विशेष रूप से होती है।

पूजा करने की विधि:

01. घर की दीवार या कागज पर नाग देवता की प्रतिमा बनाएं या फोटो रखें।

02. हल्दी, चंदन, अक्षत, फूल, दूर्वा, कुश और पंचामृत से पूजा करें।

03. दूध, घी, और शहद मिलाकर नाग देवता को अर्पित करें।

04. "ॐ नमो भगवते वासुकीश्वराय" मंत्र का जाप करें।

05. ब्राह्मणों को भोजन कराएं और नाग रक्षा की कामना करें।

नागपंचमी पर क्या करें और क्या न करें:

नाग पंचमी के दिन क्या करें:

01.नाग देवता की पूजा करें और उन्हें दूध, फूल, और चंदन अर्पित करें।

02.घर के मुख्य द्वार, आंगन या पूजा स्थान पर नाग की प्रतीकात्मक चित्र बनाकर पूजा करें।

03.व्रत रखें: श्रद्धा से व्रत रखें, दिनभर सात्विक आहार लें।

04.नारी शक्ति का सम्मान: सर्पों को माता मनसा देवी के रूप में भी पूजा जाता है, महिलाओं द्वारा विशेष पूजा की जाती है।

05.कथा श्रवण: नाग पंचमी की व्रत कथा का श्रवण और पाठ करें।

06.दान-पुण्य: जरूरतमंदों को वस्त्र, विशेषकर तांबे, दूध, अनाज, अन्न और दक्षिणा दें। वस्त्र का दान शुभ होता है। ब्राह्मणों को भोजन और दान दें।

07.मंत्र जाप करें – विशेषकर “ॐ नमः नागाय” या “ॐ नमो भगवते वासुकीश्वराय”।

नागपंचमी के दिन क्या न करें:

01.इस दिन जमीन की खुदाई या खेत जोतना वर्जित है, क्योंकि इससे नागों का निवास स्थान प्रभावित हो सकता है।

02.लोहे के बर्तन का प्रयोग न करें – धार्मिक मान्यता है कि यह नागों का अपमान है।

03.इस दिन नागों का मज़ाक, अपमान या चित्र पर अंगुली डालना अशुभ माना जाता है।

04.मांसाहार, मद्यपान और तामसिक भोजन से पूरी तरह बचें।

05.दूध को उबालकर नहीं, कच्चा ही नागों को अर्पित करना चाहिए। 

06.झूठ और अपशब्द से परहेज करना चाहिए। इस दिन शुद्ध विचार, वाणी और आचरण रखें।

भारत और विदेशों में नाग मंदिर

भारत में प्रमुख नाग मंदिर

  1. नागनाथ मंदिर, हिंगोली (महाराष्ट्र): यह मंदिर शिव और नाग की संयुक्त आराधना का केंद्र है।
  2. नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन (मध्यप्रदेश): वर्ष में सिर्फ नाग पंचमी पर खुलता है।
  3. मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार (उत्तराखंड): नागिन स्वरूप देवी की उपासना होती ह 
  4. नाग शंकर मंदिर, असम: शक्तिशाली नागदेवता का पौराणिक मंदिर।
  5. अनंतनाग मंदिर, जम्मू-कश्मीर
  6. शेषनाग झील, जम्मू-कश्मीर

विदेशों में नाग मंदिर

  1. नेपाल: पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में नागों की पूजा होती है।
  2. थाईलैंड: यहाँ नागों को 'नागा' कहा जाता है और बौद्ध मंदिरों में इनकी प्रतिमाएं होती हैं।
  3. इंडोनेशिया (बाली): हिंदू मंदिरों में नाग देवता की मूर्तियाँ प्रमुखता से विराजमान हैं।

नाग पंचमी का आध्यात्मिक महत्व

नाग पंचमी हमें प्रकृति के संरक्षण, करुणा, संतुलन और श्रद्धा का संदेश देती है। नाग देवता शक्ति, समृद्धि और सुरक्षा के प्रतीक हैं। यह पर्व हमें यह भी सिखाता है कि क्रोध और अहंकार का त्याग कर क्षमा और करुणा को अपनाना चाहिए।

पंचमी का पर्व भारतीय संस्कृति में प्रकृति, जीव-जंतुओं और विशेषकर नागों के प्रति आदर प्रकट करने का अवसर है। यह दिन हमें प्रकृति के प्रति उत्तरदायित्व और आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है। 

डिस्क्लेमर 

नागपंचमी लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथनौ केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। हमारा यह लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करे। हम अंधविश्वास के खिलाफ है।

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