07 सितंबर 2025, रविवार को भाद्रपद पूर्णिमा के दिन लगने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा। जानिए सूतक काल, मंदिरों में पूजा प्रतिबंध और ग्रहण देखने से जुड़ी सावधानियां।
07 सितंबर 2025, भाद्रपद पूर्णिमा तिथि, दिन रविवार को पूर्ण चंद्र ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा और सूतक भी लगेगा। मंदिर का कपाट और पूजा-पाठ भी बंद रहेगा और लोग अपने आंखों से भी देख सकेंगे चंद्र ग्रहण।

07 सितंबर 2025 दिन रविवार को भारत में खग्रास चंद्र ग्रहण लगेगा, जो धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
चंद्र ग्रहण की अवधि:
यह ग्रहण 07 सितंबर की रात 09:57 बजे से शुरू होकर 08 सितंबर की मध्यरात्रि 01:26 बजे तक रहेगा।
सूतक काल:
सूतक काल ग्रहण से 09 घंटे पूर्व प्रारंभ होता है। अतः, यह 07 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से आरंभ होगा और ग्रहण की समाप्ति तक प्रभावी रहेगा।
07 सितंबर 2025 (रविवार) के चंद्र ग्रहण की भारत में कहां-कहां दिखेगा
चंद्र ग्रहण भारत के सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र-शासित प्रदेशों में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा, बशर्ते मौसम साफ हो। चूंकि चंद्र ग्रहण रात्रि के समय होगा, इसलिए पूरे देश में इसकी दृश्यता लगभग समान रहेगी। आइए विस्तार से जानें:
उत्तरी भारत के दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख।
दक्षिणी भारत के तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना।
पूर्वी भारत के पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय और सिक्किम।
पश्चिमी भारत के महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़।
केंद्र-शासित प्रदेशों में अंडमान-निकोबार, पुडुचेरी, दादरा-नगर हवेली और चंडीगढ़ आदि है।
भारतीय मानक समय और I S T के अनुसार चन्द्र ग्रहण की स्थिति
पेनुम्ब्रल ग्रहण की शुरुआत: 07 सितंबर, रात 08:42 बजे से
भारतीय समयानुसार चन्द्र ग्रहण की शुरुआत रात 10:12 बजे
अधिकतम चन्द्र ग्रहण 08 सितंबर, 12:14 बजे (मध्यरात्रि)
चन्द्र ग्रहण की समाप्ति 08 सितंबर, 02:16 बजे रात
पेनुम्ब्रल ग्रहण की समाप्ति 08 सितंबर, 03:44 बजे भोर
विशेष दिखाई देने वाले क्षेत्र
पहाड़ी राज्य हिमाचल और उत्तराखंड में यदि बादल नहीं हुए, तो स्पष्ट दिखाई देगा।
दक्षिणी राज्य के तमिलनाडु और केरल में चंद्रोदय समय शाम लगभग 06:30 शाम से दिखने लगेगा। इसलिए इन दोनों राज्यों में ग्रहण की शुरुआत से ही दिखने लगेगा।
पूर्वोत्तर भारत के राज्य असम और अरुणाचल प्रदेश में आसमान साफ रहने पर स्पष्ट दिखाई देगा।
भारत के मरुस्थलीय क्षेत्र मसलन राजस्थान और गुजरात में बादलों की कम संभावनाएं हैं इसलिए स्पष्ट नज़ार आयेगा।
मौसम का प्रभाव
सितंबर माह में मानसून का मौसम समाप्त होते रहता है, लेकिन कुछ राज्यों जैसे केरल और पश्चिम बंगाल में बारिश या बादल छाए रह सकते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में कोहरा या बादल दृश्यता बाधित कर सकते हैं।
चंद्रमा की स्थिति
ग्रहण के दौरान चंद्रमा कुंभ राशि में होगा और पूर्वी आकाश में उच्च स्थिति में दिखेगा।
कौन-कौन शहरों में दिखेगा चन्द्र ग्रहण
मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु में शहरी प्रदूषण के बावजूद ग्रहण दिखेगा। ग्रामीण क्षेत्र में अंधेरे आकाश के कारण अधिक स्पष्ट दिखेगा।
ग्रहण क्यों पूरे भारत में दिखेगा ?
चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है। चूंकि भारत में ग्रहण रात के समय 08:42 बजे से लेकर 03:44 बजे भोर में होगा, इसलिए यह पूरे देश से दिखाई देगा। पृथ्वी के घूर्णन के कारण सभी राज्यों में दृश्यता लगभग एक समान होगी।
कैसे देखें चन्द्र ग्रहण
ग्रहण देखने के लिए खुले आसमान वाली जगह चुनें। दूरबीन या टेलीस्कोप का उपयोग करने पर चंद्रमा की छाया को स्पष्ट देख सकते हैं। लाइव स्ट्रीम यदि मौसम खराब हो, तो नासा या भारतीय खगोलीय संस्थानों की लाइव स्ट्रीम देखें। इस खगोलीय घटना का आनंद लें और याद रखें कि चंद्र ग्रहण को नग्न आंखों से देखना पूरी तरह सुरक्षित है!
चन्द्र ग्रहण के दौरान क्या करें
ग्रहण के दौरान ध्यान, मंत्र जाप और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना शुभ माना जाता है। सूतक काल में भोजन, यात्रा और नए कार्यों की शुरुआत से बचना चाहिए।
ज्योतिष के अनुसार
ग्रहण काल में कोई भी शुभ कार्य न करें। संवेदनशील लोग ग्रहण के दौरान ध्यान या मंत्र जाप कर सकते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, ग्रहण का सूतक काल मान्य है क्योंकि यह भारत में दिखाई देगा।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या है
पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल दिखाई देता है, क्योंकि पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरने वाली सूर्य की किरणें चंद्रमा पर पड़ती हैं।
भारत पर चन्द्र ग्रहण के संभावित प्रभाव
चंद्र ग्रहण का प्रभाव न केवल व्यक्तिगत जीवन पर, बल्कि सामूहिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी देखा जा सकता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, इस अवधि में कुछ विशेष प्रभाव संभावित हैं:
राजनीतिक उथल-पुथल: ग्रहण के समय राजनीतिक अस्थिरता की संभावना बढ़ सकती है। सरकार और विपक्ष के बीच तनाव या नीतिगत बदलाव संभव हैं।
आर्थिक चुनौतियां: आर्थिक क्षेत्र में मंदी या बाजार में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।
प्राकृतिक आपदाएं: इस अवधि में प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़ या भूकंप, की संभावना बढ़ सकती है।
सामाजिक तनाव: सामाजिक मुद्दों पर विवाद या जन आंदोलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
चन्द्र ग्रहण के दौरान बारह राशियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव:
01. मेष (21 मार्च – 19 अप्रैल): प्रेम संबंधों में चुनौतियां आ सकती हैं। निवेश में सतर्कता बरतें।
02. वृषभ (20 अप्रैल – 20 मई): परिवारिक मामलों में तनाव संभव है। संपत्ति संबंधी निर्णय टालें।
03. मिथुन (21 मई – 20 जून): संचार में सावधानी रखें। यात्रा योजनाएं स्थगित करें।
04. कर्क (21 जून – 22 जुलाई): आर्थिक मामलों में सतर्क रहें। परिवार के साथ समय बिताएं।
05. सिंह (23 जुलाई – 22 अगस्त): स्वास्थ्य का ध्यान रखें। आत्ममंथन का समय है।
06. कन्या (23 अगस्त – 22 सितंबर): अतिरिक्त खर्चों से बचें। आध्यात्मिक गतिविधियों में रुचि बढ़ेगी।
07. तुला (23 सितंबर – 22 अक्टूबर): सामाजिक जीवन में सावधानी रखें। वित्तीय निर्णय सोच-समझकर लें।
08. वृश्चिक (23 अक्टूबर – 21 नवंबर): करियर में चुनौतियां संभव हैं। धैर्य से काम लें।
09. धनु (22 नवंबर – 21 दिसंबर): लंबी यात्राओं से बचें। आध्यात्मिकता में रुचि बढ़ेगी।
10. मकर (22 दिसंबर – 19 जनवरी): अचानक घटनाएं हो सकती हैं। सतर्क रहें।
11. कुंभ (20 जनवरी – 18 फरवरी): संबंधों में गलत फहमियां संभव हैं। संवाद में स्पष्टता रखें।
12. मीन (19 फरवरी – 20 मार्च): स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। कार्यस्थल पर सतर्क रहें।
डिस्क्लेमर
यह लेख पूरी तरह पंचांग पर आधरित है। चंद्र ग्रहण के संबंध में दी गई जानकारी पंचांग और इंटरनेट पर उपलब्ध दस्तावेज को समावेश कर लेख लिखा गया है। लेख लिखने का मुख्य उद्देश्य सनातनियों के बीच अपने धर्म-कर्म के प्रति जागरूकता पैदा करना और सही जानकारी पहुंचाना। लेख में दी गई की सत्यता की गारंटी हम नही लेते हैं।