रक्षाबंधन पर्व 09 अगस्त 2025 दिन शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन श्रावण माह की पूर्णिमा है, जिसे रक्षाबंधन का मुख्य दिन माना जाता है। दिन के डेढ़ बजे तक रक्षा सूत्र बांधना काफी शुभ रहेगा।
पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त:
रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त की गणना चंद्रमा की स्थिति और भद्रा के अनुसार होती है। शुभ मुहूर्त का समय भद्रा काल मुक्त है।
रक्षाबंधन के दिन पूर्णिमा तिथि 09 अगस्त दिन शनिवार को दोपहर 01:24 बजे तक है। वैसे उदय कल में सूर्योदय होने से संपूर्ण दिन पूर्णिमा तिथि मना जायेगा। दिन के 01:24 बजे तक पूर्णिमा तिथि है इसलिए बहनें अगर अपने भाई की कलाई में 01:30 बजे के पूर्व रक्षा सूत्र बांधती है, तो काफी शुभ रहेगा।
शुभ मुहूर्त सुबह 06:57 बजे से लेकर 08:35 बजे तक लाभ मुहूर्त रहेगा। इसी प्रकार दिन के 11:51 बजे से लेकर 01:28 बजे तक चर मुहूर्त एवं 11:25 बजे से लेकर 12:17 बजे तक अभिजीत मुहूर्त और दिन के 02:01 बजे से लेकर 02:53 बजे तक विजय मुहूर्त रहेगा। इस दौरान आप रक्षाबंधन का कार्यक्रम संपन्न कर सकते हैं। शाम के समय गोधूलि मुहूर्त संध्या। 06:22 बजे से लेकर 06:44 बजे तक और लाभ मुहूर्त संध्या 06:22 बजे से लेकर 07:44 बजे बजे तक है।
पूजा की संपूर्ण विधि
1. पूजा करने की सामग्री:
राखी, रोली, अक्षत, दीपक, मिठाई, नारियल।
2. पूजा करने की विधि:
प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। भगवान का ध्यान करें और पूजा की थाली तैयार करें। भाई को पूर्व दिशा में बैठाएं। उसके माथे पर रोली और अक्षत से तिलक करें। राखी बांधते समय भाई की लंबी उम्र और सुरक्षा की प्रार्थना करें। मिठाई खिलाकर भाई को नारियल भेंट करें। भाई उपहार स्वरूप बहन को आशीर्वाद या उपहार देता है।
राखी बांधने की परंपरा
रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते का त्यौहार नहीं है; यह रक्षा और समर्पण का प्रतीक है।
1. भावनात्मक जुड़ाव: बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए राखी बांधती हैं।
2. वचन का महत्व: भाई बहन की रक्षा का संकल्प लेते हैं।
3. सामाजिक एकता: यह त्यौहार परिवारों को एकजुट करता है और रिश्तों को मजबूत बनाता है।
राखी के प्रतीकात्मक महत्व
रक्षा का प्रतीक: यह विश्वास का नधागा है, जिसमें बहन की रक्षा की भावना छिपी होती है।
सांस्कृतिक धरोहर: यह त्यौहार भारतीय परंपरा की समृद्धि को दर्शाता है।
वैज्ञानिक पक्ष: इस दिन श्रावण पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसे ग्रहों और मौसम के दृष्टिकोण से भी शुभ माना जाता है।
रक्षाबंधन की पौराणिक कथा
रक्षाबंधन का उल्लेख वेदों, पुराणों और महाभारत जैसे ग्रंथों में मिलता है। इसके कई कथाएं प्रचलित हैं:
रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक है। इसकी पौराणिक कथाएं और ऐतिहासिक घटनाएं गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को उजागर करती हैं।
यह त्यौहार न केवल हिंदू धर्म बल्कि जैन और सिख समुदाय में भी समान रूप से मनाया जाता है। रक्षाबंधन की कथाएं विभिन्न युगों, पौराणिक पात्रों और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ी हुई हैं, जो इस पर्व की महिमा को बढ़ाती हैं।
01. देवी लक्ष्मी और राजा बलि की कथा
इस कथा का उल्लेख भागवत पुराण में मिलता है। जब दानवीर राजा बलि ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करके उनसे पाताल लोक में वास करने का वचन लिया, तो देवी लक्ष्मी को चिंता हुई। वह अपने पति को वापस लाने के लिए पाताल लोक गईं। उन्होंने बलि को राखी बांधकर अपना भाई बनाया और बदले में एक उपहार मांगा। लक्ष्मी ने अपने भाई बलि से भगवान विष्णु को स्वर्ग वापस लाने की विनती की। बलि ने यह वचन स्वीकार कर लिया। इस कथा के अनुसार, राखी केवल भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक नहीं, बल्कि विश्वास और कर्तव्य का भी प्रतीक है।
02. द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा
महाभारत में रक्षाबंधन का एक उल्लेखनीय संदर्भ मिलता है। जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया, तो उनकी उंगली से खून बहने लगा। द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। इस घटना ने कृष्ण को द्रौपदी के प्रति रक्षा का वचन देने के लिए प्रेरित किया। यही कारण था कि चीरहरण के समय जब द्रौपदी ने कृष्ण को पुकारा, तो उन्होंने चीर बढ़ाकर उनकी लाज बचाई। यह कथा बताती है कि राखी का धागा केवल एक प्रतीक है, पर इसके पीछे की भावना अत्यधिक गहरी और पवित्र है।
03. इंद्र और शचि देवी की कथा
यह कथा विष्णु पुराण में वर्णित है। असुरों ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया था, जिससे इंद्र देव हारने लगे। इंद्राणी (शचि देवी) ने भगवान विष्णु से मदद मांगी। उन्होंने रक्षा सूत्र का महत्व समझाया और इसे शक्ति का प्रतीक बताया। शचि ने एक रक्षा सूत्र तैयार किया और यज्ञ के बाद इसे इंद्र के हाथ में बांध दिया। इस रक्षा सूत्र ने इंद्र को शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान किया, और उन्होंने असुरों को पराजित कर स्वर्ग पर पुनः विजय प्राप्त की।
04. यम और यमुना की कथा
एक अन्य कथा यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी है। यमुना अपने भाई यमराज से मिलने की इच्छा रखती थीं, लेकिन यमराज अपने कार्यों में व्यस्त रहते थे। एक दिन यमराज ने यमुना से मिलने का निर्णय लिया। यमुना ने उनका स्वागत किया, और उन्हें तिलक कर भोजन कराया। यमराज ने यमुना को अमरता का वरदान दिया और वचन दिया कि जो भी बहन इस दिन अपने भाई को राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करेगी, उसके भाई को लंबा जीवन प्राप्त होगा।
5. कर्ण और कुन्ती की कथा
महाभारत के एक अन्य प्रसंग में, रक्षाबंधन का महत्व कर्ण और उनकी मां कुन्ती के माध्यम से भी बताया गया है। जब कुन्ती ने कर्ण को उनके वास्तविक जन्म की जानकारी दी, तो उन्होंने उसे राखी बांधकर उसकी सुरक्षा और भविष्य के प्रति आशीर्वाद दिया। हालांकि, कर्ण ने युद्ध में अपना वचन निभाने के लिए अर्जुन से लड़ाई की, लेकिन इस कथा से यह संदेश मिलता है कि राखी संबंधों को मजबूत बनाती है।
रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व
06. रानी कर्णावती और हुमायूं की कथा
मध्यकालीन इतिहास में रक्षाबंधन की सबसे चर्चित कहानी रानी कर्णावती और मुगल सम्राट हुमायूं से जुड़ी है। रानी कर्णावती चित्तौड़ की विधवा रानी थीं। जब गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर हमला किया, तो रानी ने हुमायूं को रक्षा के लिए एक राखी भेजी। हुमायूं ने इसे स्वीकार किया और अपनी सेना के साथ चित्तौड़ की रक्षा के लिए पहुंचा। यह घटना इस पर्व की शक्ति और रक्षा के वचन को ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित करती है।
07. अलेक्जेंडर और पोरस की कथा
यह कथा प्राचीन भारत की है। जब सिकंदर महान ने भारत पर आक्रमण किया, तो उनकी पत्नी, जो भारतीय परंपराओं से परिचित थीं, ने पोरस को राखी भेजकर उनसे अपने पति की रक्षा का वचन लिया। पोरस ने युद्ध के दौरान इस वचन का पालन किया और सिकंदर को नहीं मारा
रक्षाबंधन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
रक्षाबंधन न केवल भारत बल्कि नेपाल, मॉरीशस और अन्य देशों में बसे भारतीयों द्वारा भी मनाया जाता है। यह पर्व सामाजिक समरसता और पारिवारिक एकता का प्रतीक है। इस दिन का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों और भाईचारे को भी बढ़ावा देना है।
1. धार्मिक दृष्टि से:
श्रावण पूर्णिमा के दिन यज्ञ और दान का महत्व है। इस दिन रक्षा सूत्र बांधकर पूजा करने से सुख-समृद्धि मिलती है।
2. सांस्कृतिक दृष्टि से:
यह पर्व परिवार के सदस्यों को एक साथ लाता है। भाई-बहन का यह रिश्ता समाज में विश्वास और सम्मान को बढ़ावा देता है।
रक्षाबंधन क्यों है महत्वपूर्ण
रक्षाबंधन केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों को दर्शाने वाला पर्व है। इसकी पौराणिक कथाएं और ऐतिहासिक घटनाएं इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। यह पर्व हमें बताता है कि संबंध केवल खून से नहीं, बल्कि विश्वास, कर्तव्य और प्रेम से बनते हैं।
राखी का यह धागा मात्र एक धागा नहीं, बल्कि स्नेह और समर्पण का प्रतीक है। यह त्योहार हर वर्ष हमें यह याद दिलाता है कि चाहे कितने भी कठिन समय क्यों न आए, भाई-बहन का रिश्ता अटूट और अनमोल है।
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