स्कन्द षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय (स्कन्द) को समर्पित है, जिन्हें युद्ध और विजय के देवता माना जाता है। स्कन्द षष्ठी व्रत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को प्रारंभ होता है और छह दिनों तक चलता है। यह व्रत विशेष रूप से तमिलनाडु, केरल और दक्षिण भारत में प्रमुखता से मनाया जाता है।
स्कन्द षष्ठी व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि, दिन गुरुवार 03 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। पर्व का शुभारंभ एक दिन पूर्व शुरू हो जायेगा। षष्ठी तिथि का शुभारंभ 02 अप्रैल दिन शुक्रवार को रात 11:39 बजे से होगा, जो 03 अप्रैल दिन गुरुवार को रात 09:41 बजे तक रहेगा।
स्कन्द षष्ठी व्रत की पौराणिक कथा
स्कन्द षष्ठी व्रत की पौराणिक कथा में तारकासुर नामक राक्षस के अत्याचारों का उल्लेख है। तारकासुर को ब्रह्मा जी से वरदान मिला था कि उसकी मृत्यु केवल भगवान शिव के पुत्र के हाथों हो सकती है। पार्वती जी और भगवान शिव के पुत्र, कार्तिकेय, ने देवताओं का नेतृत्व किया और तारकासुर का वध कर दिया। इस विजय को चिह्नित करने के लिए स्कन्द षष्ठी का पर्व मनाया जाता है।
पूजा विधि और नियमावली
यह व्रत छ:ह दिनों तक मनाया जाता है। प्रत्येक दिन की पूजा विधि अलग-अलग होती है:
पहला दिन (शुरुआत):
प्रातः स्नान करें। भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें। दीप जलाएं और चंदन, फूल, फल, और नैवेद्य अर्पित करें। "ओम् स्कन्दाय नमः" मंत्र का जाप करें।
दूसरा दिन:
भगवान कार्तिकेय को चावल से बनी खीर का भोग लगाएं।भक्तजन भगवान की कहानियां सुनें और "सुब्रमण्यम अष्टोत्तर शतनामावली" का पाठ करें।
तीसरा दिन:
इस दिन उपवास कड़ा होता है। केवल फल और जल का सेवन किया जाता है। संध्या में भगवान की आरती की जाती है।
चौथा दिन:
भगवान कार्तिकेय को गुड़ और नारियल का भोग चढ़ाएं। विशेष रूप से युद्ध और विजय की कथा का पाठ करें।
पांचवां दिन:
भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं। सुंदरकांड या कार्तिकेय पुराण का पाठ करें।
छठा दिन (समापन):
भगवान कार्तिकेय की मूर्ति का अभिषेक करें। दीपमालिका सजाकर आरती करें। व्रत का पारण फल और प्रसाद के साथ करें।
शुभ मुहूर्त का क्या है विधान
स्कन्द षष्ठी का शुभ मुहूर्त षष्ठी तिथि पर आधारित होता है। इस दिन प्रातःकाल और संध्या समय पूजा विशेष लाभकारी मानी जाती है।
देश विदेश में कहां-कहां है मंदिर
भारत में प्रमुख मंदिर:
पालानी मुरुगन मंदिर (तमिलनाडु): भगवान कार्तिकेय के छह प्रमुख निवास स्थानों में से एक।
स्वामी अमल्य मुरुगन मंदिर (तमिलनाडु): भगवान की अद्वितीय मूर्ति के लिए प्रसिद्ध।
तिरुचेंदूर मुरुगन मंदिर (तमिलनाडु): समुद्र किनारे स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर।
विदेशों में मंदिर:
मुरुगन मंदिर (मलेशिया): प्रसिद्ध बटु गुफ़ाएं, सिंगापुर मुरुगन मंदिर एवं श्रीलंका के कतारगमा मंदिर।
डिस्क्लेमर
स्कन्द षष्ठी व्रत का यह लेख धार्मिक ग्रंथो से संग्रह कर, विद्वान ब्राह्मणों से विचार-विमर्श कर साथ ही लोक कथाओं में वर्णित लेखों सहित इंटरनेट का भी सहयोग लिया गया है। लेख लिखने का मुख्य उद्देश्य सनातनियों के बीच अपने पर्व त्यौहार की सटीक जानकारी उपलब्ध कराना। स्कन्द षष्ठी व्रत पर्व के संबंध में जितने जानकारी मुझे उपलब्ध हुई, हमाने आपके समक्ष प्रस्तुत किया। इस लेख की सत्यता की गारंटी हम नहीं लेते हैं।