चैत्र माह शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि 03 अप्रैल 2025, दिन गुरुवार को यमुना छठ, स्कन्द षष्ठी, सूर्य षष्ठी व्रत सहित छठी मईया छठ व्रत एक साथ मनाया जायेगा।
पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधने वाला यह दिन सनातन धर्म का विषेश दिन माना जाता है। यमुना छठ के दिन यमुना माता से सुख-समृद्धि और परिवार के कल्याण की कामना की जाती है। स्कन्द षष्ठी व्रत देवताओं के सेनापति भगवान शिव के प्रथम पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है। व्रत करने का उद्देश्य जीवन में शत्रु बाधा का नाश करना और विजय प्राप्त करना है।
छठी मैया, प्रकृति की देवी मानी जाती हैं, जो संतान सुख और उर्वरता प्रदान करती हैं। उसी प्रकार सूर्य षष्ठी के दिन भगवान सूर्य को पूजा करने से स्वास्थ्य, समृद्धि, और उर्वरता की प्राप्ति होती है।
यमुना छठ, स्कन्द षष्ठी, स्कन्द षष्ठी, सूर्य षष्ठी व्रत और छठी मईया की पूजा अर्थात छठ ही सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व हैं। हालांकि ये पर्व एक ही दिन आते हैं, लेकिन इनके उद्देश्य, मान्यताएं और पूजन विधियां भिन्न हैं। नीचे इन तीनों पर्वों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।
1. यमुना छठ व्रत की कथा:
पौराणिक कथा और महत्व:
यमुना छठ व्रत, देवी यमुना की पूजा के लिए समर्पित है। देवी यमुना को यमराज की बहन माना जाता है और यह पर्व उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का प्रतीक है।
कथा के अनुसार, यमुना नदी ने अपने भाई यमराज से यह वरदान मांगा था कि जो भी उनके दिन (षष्ठी तिथि) पर उनकी पूजा करेगा, उसे मृत्यु के पश्चात यमलोक की यातनाओं से मुक्ति मिलेगी।
इस दिन यमुना नदी में स्नान करना और उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है। यमुना माता से सुख-समृद्धि और परिवार के कल्याण की कामना की जाती है।
2. स्कन्द षष्ठी व्रत:
पौराणिक कथा और महत्व:
यह व्रत भगवान कार्तिकेय (स्कन्द) की पूजा के लिए किया जाता है। भगवान कार्तिकेय, भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं और देवताओं की सेना के सेनापति माने जाते हैं। इस व्रत का उद्देश्य जीवन में शत्रु बाधा का नाश करना और विजय प्राप्त करना है। यह पर्व मुख्यतः तमिलनाडु और दक्षिण भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
3. सूर्य षष्ठी व्रत (छठ पूजा):
पौराणिक कथा और महत्व:
सूर्य षष्ठी व्रत, जिसे छठ पूजा के नाम से जाना जाता है, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा के लिए किया जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्यदेव से स्वास्थ्य, समृद्धि, और उर्वरता की प्रार्थना करना है।
पौराणिक मान्यता है कि छठी मैया (देवी षष्ठी) संतान और सुख-शांति की देवी हैं। रामायण और महाभारत में भी इस पर्व का उल्लेख मिलता है।
मुख्य अंतर:
सूर्य षष्ठी व्रत में छठी मैया और सूर्यदेव दोनों की पूजा की जाती है। छठी मैया, प्रकृति की देवी मानी जाती हैं, जो संतान सुख और उर्वरता प्रदान करती हैं। इस व्रत में दोनों देवताओं की संयुक्त रूप से पूजा होने के कारण इसे छठी मैया का व्रत भी कहा जाता है।
डिस्क्लेमर
यमुना छठ, स्कन्द षष्ठी, सूर्य षष्ठी व्रत सहित छठी मईया व्रत लेख पूरी तरह सनातन धर्म से संबंधित है। लेख में इंगित विभिन्न पहलुओं की जानकारी धार्मिक पुस्तकों से ली गई है। लेख लखते समय विद्वान ब्राह्मणों, आचार्यों, लोक कथाओं और इंटरनेट से भी सहयोग लिया गया है। लेख को लिखने का उद्देश्य सिर्फ सनातनी लोगों को अपने धर्म और अपने पर्व त्यौहार के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध कराना मात्र उद्देश्य है। यह लेख लिखने का उद्देश्य लोगों के बीच सिर्फ सूचना प्रदान करना ही मुख्य उद्देश्य है। इसकी सत्यता की गारंटी हम नहीं लेते हैं।