25 दिसंबर को 'बड़ा दिन' के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह ईसाई धर्म का महत्वपूर्ण पर्व क्रिसमस है। इसे ‘बड़ा दिन’ इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन ईसा मसीह (जीसस क्राइस्ट) का जन्म हुआ था।
ईसा मसीह को ईसाई धर्म का संस्थापक और भगवान का पुत्र माना जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भारत में भी विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोग इस दिन को बड़े उत्साह से मनाते हैं, और इसे प्रेम, शांति, और भाईचारे का संदेश देने वाला पर्व माना जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य और कारण: ईसाई धर्म के अनुसार, इस दिन को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह दिन एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है जिसमें मानवता को पाप से मुक्ति दिलाने और ईश्वर के मार्ग पर चलने का संदेश दिया गया है।
ईसाई मान्यताओं के अनुसार, ईसा मसीह ने मानवता के कल्याण और उन्हें ईश्वर के करीब लाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। उन्होंने लोगों को प्रेम, करुणा, और सत्य का मार्ग दिखाया।
पौराणिक कथा: ईसा मसीह का जन्म बेथलहम नामक स्थान पर हुआ था। उनकी माता का नाम मरियम और पिता का नाम यूसुफ था। कहते हैं कि मरियम ने ईश्वर के संदेश से प्रेरित होकर ईसा को जन्म दिया। जन्म के समय ईसा को एक गोशाला में रखा गया था क्योंकि मरियम और यूसुफ को किसी अन्य स्थान पर ठहरने की जगह नहीं मिल पाई थी।
इस अवसर पर स्वर्ग के दूतों ने ईश्वर का संदेश देकर लोगों को यह सूचित किया कि मानवता के उद्धार के लिए एक महान आत्मा का जन्म हुआ है। तीन बुद्धिमान व्यक्ति, जिन्हें 'मैगी' कहा जाता है, उस समय ईसा से मिलने आए और उन्हें अपने उपहार देकर सम्मानित किया।
धार्मिक दृष्टिकोण से महत्व: क्रिसमस के दिन को ईसाई धर्म में बहुत ही पवित्र दिन माना जाता है। लोग इस दिन चर्च जाकर प्रार्थना करते हैं, और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है। क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा भी इस पर्व से जुड़ी है, जो इसे और भी आकर्षक बनाती है। इसे आनंद, उमंग और खुशी के रूप में मनाया जाता है और यह किसी भी पाप या अंधकार से मुक्ति का प्रतीक है।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व: सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, क्रिसमस के त्योहार को पूरे विश्व में मनाया जाता है और यह समय उत्सवों और मेल-मिलाप का होता है। भारत में भी क्रिसमस की लोकप्रियता काफी बढ़ गई है और इसे विभिन्न समुदायों के लोग धूमधाम से मनाते हैं।
इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, सांता क्लॉज के रूप में बच्चों को उपहार देते हैं और विशेष भोज का आयोजन करते हैं। यह समय सद्भावना, भाईचारे और प्रेम का होता है।
उत्सव के विशेष प्रतीक: क्रिसमस ट्री, सांता क्लॉज, स्टार, क्रिसमस कैंडल और उपहार आदान-प्रदान करने की परंपरा इस दिन के प्रमुख प्रतीक हैं। सांता क्लॉज को बच्चों में खुशी और उपहार बांटने वाले के रूप में जाना जाता है।
भारत में बड़ा दिन का उत्सव: भारत में गोवा, केरल, मिज़ोरम, नागालैंड, और मणिपुर जैसे राज्यों में इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और धार्मिक स्थलों को सजाया जाता है। यह त्योहार सिर्फ ईसाई समुदाय ही नहीं बल्कि अन्य समुदायों में भी लोकप्रिय है।
इस प्रकार, 25 दिसंबर को 'बड़ा दिन' के रूप में मनाने का महत्व प्रेम, करुणा और मानवता के प्रति ईसा मसीह के शिक्षाओं को दर्शाता है। यह दिन हर व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि लाने का संदेश देता है।
ईसा मसीह के जन्म के समय कुछ चमत्कारी घटनाएं घटी, जो इस प्रकार है
ईसा मसीह का जन्म कई रहस्यमय और चमत्कारिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। ईसाई धर्मग्रंथों में उनके जन्म के समय की कई घटनाओं का वर्णन मिलता है, जिनमें स्वर्ग के दूतों का संदेश, बेथलहम का सितारा, और तीन राजाओं का आगमन प्रमुख हैं। इन घटनाओं का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है बल्कि ये मानवीय संवेदनाओं और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी मानी जाती हैं।
1. मरियम को स्वर्गदूत का संदेश: ईसा मसीह के जन्म की घटना की शुरुआत तब हुई, जब मरियम को एक स्वर्गदूत गेब्रियल द्वारा यह सूचना दी गई कि वे एक पवित्र आत्मा को जन्म देने वाली हैं।
गेब्रियल ने उन्हें बताया कि वह बच्चा परमेश्वर का पुत्र होगा और उसका नाम यीशु (ईसा मसीह) रखा जाएगा। यह संदेश सुनकर मरियम हैरान हुईं, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। यह घटना ईसा मसीह के जन्म की भविष्यवाणी और ईश्वर की योजना को दर्शाती है।
2. बेथलहम की यात्रा और गोशाला में जन्म: मरियम और उनके पति यूसुफ नासरत से बेथलहम की यात्रा कर रहे थे, क्योंकि रोमनों ने जनगणना के लिए सभी को अपने पैतृक नगरों में लौटने का आदेश दिया था।
जब वे बेथलहम पहुंचे, तो वहां रहने के लिए कोई स्थान नहीं मिला। इस कारण मरियम और यूसुफ को एक गोशाला में रुकना पड़ा, और वहीं पर ईसा का जन्म हुआ। यह घटना यह दिखाती है कि मसीह का जन्म किसी महल या धनी स्थान पर नहीं, बल्कि एक साधारण जगह पर हुआ।
यह उनकी विनम्रता और सरलता का प्रतीक है और यह संदेश देता है कि ईश्वर के पुत्र ने धरती पर आम लोगों के बीच आकर जन्म लिया।
3. स्वर्ग के दूतों का चरवाहों को संदेश: ईसा मसीह के जन्म के समय एक और महत्वपूर्ण घटना यह हुई कि स्वर्ग के दूतों ने चरवाहों को उनके जन्म की सूचना दी। उस समय चरवाहों का स्थान समाज में बहुत ऊंचा नहीं था, लेकिन स्वर्ग के दूतों ने पहले उन्हें ही मसीह के जन्म की सूचना दी।
स्वर्ग के दूतों ने घोषणा की कि एक उद्धारकर्ता का जन्म हुआ है, जो सभी के लिए प्रेम और शांति का संदेश लेकर आया है। इस घटना का महत्व यह है कि यह दिखाता है कि ईश्वर का संदेश सभी के लिए है, चाहे वे किसी भी वर्ग या स्तर के हों। चरवाहों ने ईसा मसीह के दर्शन के लिए गोशाला में जाकर उन्हें प्रणाम किया।
4. तीन राजाओं का आगमन: ईसा मसीह के जन्म के समय तीन बुद्धिमान व्यक्ति, जिन्हें 'मैगी' या 'माजी' कहा जाता है, दूर देशों से उनका आशीर्वाद देने के लिए आए।
इन्हें तीन राजाओं ने एक अनोखे सितारे का अनुसरण किया, जो उन्हें बेथलहम तक ले गया। कहा जाता है कि ये तीन राजा ईसा के जन्म की प्रतीक्षा कर रहे थे और उन्हें एक खगोलीय संकेत के रूप में इस सितारे ने मार्गदर्शन दिया।
उनके नाम गैस्पर, मलकॉयर और बल्थाज़ार बताए जाते हैं। उन्होंने ईसा मसीह को सोना, लोबान और गंधरस के उपहार दिए। ये उपहार प्रतीकात्मक थे – सोना उनके राजसी सम्मान का प्रतीक था, लोबान उनकी आध्यात्मिकता का, और गंधरस उनके बलिदान का। यह घटना बताती है कि मसीह का जन्म सभी मानवता के लिए एक शुभ घटना थी।
5. बेथलहम का सितारा: ईसा मसीह के जन्म का एक महत्वपूर्ण प्रतीक बेथलहम का सितारा है। ऐसा माना जाता है कि यह सितारा किसी चमत्कारिक खगोलीय घटना का प्रतीक था, जिसने तीन राजाओं को मार्गदर्शन दिया।
यह सितारा अत्यंत चमकीला था और इसने सीधे उस स्थान का संकेत दिया, जहाँ ईसा का जन्म हुआ था। यह सितारा ईसा मसीह की महानता और उनकी दिव्यता का प्रतीक है।
खगोलशास्त्रियों का भी मानना है कि यह सितारा किसी विशेष ग्रहों की युति हो सकती है। इस सितारे ने कई पीढ़ियों को मसीह के दिव्य आगमन की आशा को उजागर किया।
6. राजा हेरोद का भय और निर्दोष बालकों की हत्या: जब राजा हेरोद को यह पता चला कि एक नए राजा का जन्म हुआ है, तो उसने अपने सिंहासन को खतरे में देखा। हेरोद ने तीन राजाओं से भी इस नए जन्म के बारे में सुना और यह महसूस किया कि यह बालक आगे जाकर उनके लिए एक चुनौती बन सकता है।
इस भय से उसने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे बेथलहम और उसके आसपास के सभी दो वर्ष से कम उम्र के बालकों की हत्या कर दें। हेरोद का यह कदम क्रूरता का प्रतीक है, और इसे मासूमों के खिलाफ किया गया एक अत्याचार माना गया। हालांकि, इस संकट से ईश्वर की कृपा से यूसुफ, मरियम और ईसा मसीह सुरक्षित बच गए।
7. मिस्र की यात्रा: ईसा मसीह के जन्म के बाद, जब यूसुफ को स्वप्न में चेतावनी मिली कि राजा हेरोद उन्हें मारने का प्रयास करेगा, तो उन्होंने मरियम और ईसा मसीह के साथ मिस्र की ओर पलायन किया।
उन्होंने कुछ समय तक मिस्र में रहकर अपने परिवार की सुरक्षा की। यह घटना बताती है कि मसीह का जन्म संघर्ष और कठिनाइयों के बीच हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्य को पाने का मार्ग खोजा। यह यात्रा इस बात का प्रतीक है कि ईश्वर अपने भक्तों की सुरक्षा करते हैं और उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
8. ईश्वर का प्रेम और बलिदान का संदेश: ईसा मसीह का जन्म इस बात का प्रतीक है कि ईश्वर ने अपने पुत्र को मानवता के उद्धार के लिए भेजा। उनके जन्म से जुड़ी घटनाएं दिखाती हैं कि कैसे ईश्वर ने अपने प्रेम और दया का परिचय दिया और अपने पुत्र को पाप से मुक्त करने के लिए बलिदान दिया। मसीह का जन्म उनके जीवन का पहला अध्याय था, जो आगे चलकर मानवता के लिए उनके बलिदान का प्रतीक बना।
ईसा मसीह के जन्म से मानव जाति को क्या संदेश मिला
ईसा मसीह के जन्म से जुड़ी ये घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि प्रेम, बलिदान, और दया के महत्व को समझना चाहिए। उनके जन्म के समय की हर घटना ने एक विशेष संदेश दिया, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत है। इन घटनाओं के माध्यम से हमें यह महसूस होता है कि किसी भी दिव्य शक्ति का उद्देश्य मानवता का कल्याण करना होता है। ईसा मसीह के जन्म की कथा केवल एक धर्म विशेष तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण मानवता के लिए संदेश देती है कि सच्चा प्रेम और सहानुभूति ही ईश्वर का वास्विक संदेश है।
डिस्क्लेमर
क्रिश्चियन धर्म के संस्थापक ईसा मसीह के संबंध में सारी जानकारी इस लेख में विस्तार से दी गई है। लेख लिखने से पूर्व क्रिश्चियन धर्म से संबंधित लोगों से विचार-विमर्श कर लिखा गया है। साथ ही इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों को भी साझा किया गया है। इसलिए लेख की संपूर्ण जानकारी लोगों से विशेष बातचीत और इंटरनेट के माध्यम से दी गई है। इसलिए इसमें किसी प्रकार की गलती का दायित्व हम नहीं लेते है।