काल भैरव भगवान शिव के आठवें अवतार है। उनकी काशी में कोतवाली चलतीं है, तो उज्जैन में मदिरा पान (शराब) करते हैं। ब्रह्मा जी के पांचवें शीर को काटने वाले काल भैरव की जयंती पर विस्तार से पढ़ें।
काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को समय और मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। काल भैरव व्रत और उनके प्राकट्योत्सव का महत्व सनातन धर्म में बहुत अधिक है। काल भैरव का प्राकट्योत्सव कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 23 नवंबर 2024 दिन शनिवार को मनाया जायेगा।
दिन काल भैरव भगवान की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और भक्त व्रत रखते हैं। काल भैरव भगवान शिव के आठवें अवतार माने जाते हैं और उन्हें समय और मृत्यु का देवता माना जाता है।
कौन हैं काल भैरव जानें विस्तार से
काल भैरव शिव का ही एक उग्र रूप माने जाते हैं। उन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि बिना उनकी अनुमति के कोई भी काशी से बाहर नहीं जा सकता। काल भैरव का अर्थ है समय और मृत्यु के स्वामी। वह सभी प्रकार के नकारात्मक तत्वों और बुराइयों को नष्ट करने वाले हैं और अपने भक्तों की सैदव रक्षा करते हैं।
काल भैरव का पौराणिक कथा
काल भैरव के जन्म से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है। माना जाता है कि एक बार ब्रह्मा, विष्णु, और महेश (शिव) के बीच इस बात को लेकर विवाद हुआ कि सर्वोच्च देवता कौन है। इस विवाद में ब्रह्माजी ने शिवजी का अपमान किया, जिससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से एक तेज़ चमक निकाली। इस तेज़ से ही काल भैरव का जन्म हुआ। काल भैरव ने ब्रह्मा के अहंकार को समाप्त करने के लिए उनके पांचवें सिर को काट डाला।
काल भैरव को ब्रह्माजी का सिर काटने के कारण उन्हें ब्रह्म-हत्या का दोष लगा और इस दोष को दूर करने के लिए काल भैरव को कई स्थानों पर घूमना पड़ा। अंततः काशी में यह दोष समाप्त हुआ और तभी से उन्हें काशी का कोतवाल माना जानें लगा।
पूजा करने की विधि
काल भैरव की पूजा करते समय कुछ विशेष विधियों का पालन किया जाता है। जानें विस्तार से
स्नान एवं पवित्रता: पूजा के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और ध्यान एवं शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
स्थान की शुद्धि: पूजा स्थान को गंगा जल से शुद्ध करें और भगवान शिव या काल भैरव की प्रतिमा या तस्वीर रखें।
पंचोपचार पूजा: भगवान काल भैरव की पंचोपचार से पूजा करें। इसमें उन्हें जल, अक्षत, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित किए जाते हैं।
व्रत एवं भोग: काल भैरव को मदिरा और विशेष भोग जैसे उड़द का प्रसाद, गुड़ आदि चढ़ाया जाता है।
मंत्र जाप: "ॐ कालभैरवाय नमः" मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए।
प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद को सभी भक्तों के बीच वितरित करें और गरीबों को अन्न और वस्त्र का दान करें।
पूजा करने का शुभ मुहूर्त
काल भैरव अष्टमी का शुभ मुहूर्त कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। इस दिन मध्यरात्रि में पूजा करने का विशेष महत्व है, क्योंकि रात्रि काल में काल भैरव की पूजा शीघ्र फल देने वाली मानी जाती है। दिन में भी भक्त विशेष मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं।
सुबह का मुहूर्त 07:26 बजे से लेकर 08:48 बजे तक शुभ मुहूर्त और अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:10 बजे से लेकर 11:54 तक रहेगा। उसी प्रकार रात्रि का मुहूर्त, अमृत मुहूर्त रात 09:54 ऊ से लेकर 11:32 बजे तक, चर मुहूर्त 11:32 बजे से लेकर 01:10 बजे तक और निशिता मुहूर्त 11:06 बजे से लेकर 11:58 बजे तक है।
देश भर में फैले काल भैरव का मंदिर
भारत में काल भैरव के कई प्रमुख मंदिर हैं, जहा भक्तगण विशेष रूप से पूजा अर्चना करने आते हैं। कुछ प्रसिद्ध मंदिर निम्नलिखित हैं:
1. काशी का काल भैरव मंदिर (उत्तर प्रदेश) - काशी विश्वनाथ के पास स्थित यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है और इसे काशी का कोतवाल माना जाता है।
2. उज्जैन का काल भैरव मंदिर (मध्य प्रदेश) - यहां काल भैरव को मदिरा (शराब) अर्पित की जाती है, जो एक अद्भुत, चमत्कारी और अनोखी परंपरा है।
3. काल भैरव मंदिर (दिल्ली) - दिल्ली में भी काल भैरव का एक प्रसिद्ध मंदिर है जहां लोग दर्शन करने आते हैं।
4. कोलकाता का काल भैरव मंदिर - यहां की पूजा में भैरव को विशिष्ट प्रसाद अर्पित किया जाता है।
5.काल भैरव मंदिर, हरिद्वार
6.काल भैरव मंदिर, ऋषिकेश
काल भैरव की कृपा का महत्व
काल भैरव अष्टमी पर काल भैरव का व्रत एवं पूजा जीवन में नकारात्मक ऊर्जा और विपत्तियों का नाश करने का एक प्रभावी साधन माना जाता है। मान्यता है कि उनकी पूजा से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में आने वाली विपत्तियांदूर होती हैं।
डिस्क्लेमर
काल भैरव पर लिखे गए लेख हमारे विद्वानों और आचार्यों द्वारा विचार-विमर्श करने के बाद लिखा गया है। साथ ही इंटरनेट से सेवाएं ली गई है। शुभ मूहूर्त पचांग का अवलोकन कर लिखा गया है। लेख लिखने का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करना और सनातनियों के बीच त्योहार के प्रति जागरूक करना हमारा मुख्य उद्देश्य है।