गुरुनानक जयंती 15 को जानें उनके जीवन के रोचक घटनाएं

 गुरु नानक जयंती या गुरु पर्व सिख धर्म के पहले गुरु और संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो कार्तिक माह के पूर्णिमा तिथि, दिनांक 15 नवंबर 2024, दिन शुक्रवार को है।

यह पर्व कार्तिक मास की पूर्णिमा को आता है, जो सनातन धर्म में भी अत्यंत पवित्र मानी जाती है। गुरु नानक देव जी की जयंती और कार्तिक पूर्णिमा का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व दोनों ही अति महत्वपूर्ण हैं।

आइए, इस लेख में गुरु नानक देव जी के संपूर्ण जीवन की कथा के साथ उनके जीवन से जुड़ी कुछ प्रमुख घटनाओं पर भी नजर डालते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा का पौराणिक महत्व

कार्तिक पूर्णिमा को 'त्रिपुरी पूर्णिमा' भी कहते हैं। पुराणों में इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे भगवान शिव के त्रिपुरासुर दानव का वध करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। 

त्रिपुरासुर तीन दानवों का समूह था, जिन्होंने तीन महलों का निर्माण किया और देवताओं के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं। भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का नाश कर सृष्टि में शांति स्थापित की। 

इसके अलावा, कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का महत्व भी उल्लेखित है, जो व्यक्ति को पापों से मुक्ति और मोक्ष का मार्ग प्रदान करता है।

गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय

गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को रावी नदी के तट पर स्थित तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता का नाम कालू मेहता और माता का नाम तृप्ता था। 

बचपन से ही वे असाधारण बुद्धिमत्ता और आध्यात्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। नानक जी ने सिख धर्म की स्थापना की और अपने जीवन के माध्यम से सामाजिक सुधार, समानता और सत्य के मार्ग को लोगों तक पहुंचाया।

बाल्यकाल के दौरान ईश्वर के प्रति आस्था

गुरु नानक जी के बाल्यकाल से ही उनकी ईश्वर के प्रति गहरी आस्था थी। जब वे स्कूल गए तो उन्होंने संस्कृत, अरबी और फ़ारसी भाषाएँ सीखीं। लेकिन उनकी सोच उस समय की शिक्षा से परे थी। 

एक घटना के अनुसार, उन्होंने अपने अध्यापक को ज्ञान की वास्तविक परिभाषा समझाने की कोशिश की, जिसमें वे मानते थे कि ईश्वर ही सर्वोच्च है, और हमें उसी की सेवा करनी चाहिए।

गुरु नानक जी की प्रमुख शिक्षाएं और सिद्धांत

गुरु नानक देव जी ने "एक ओंकार" के सिद्धांत को प्रचारित किया, जिसका अर्थ है कि ईश्वर एक है और सब में विद्यमान है। उन्होंने कर्म, सत्य, दया, दान और पवित्रता का उपदेश दिया। 

गुरु नानक जी ने जातिवाद, अंधविश्वास और धार्मिक भेदभाव का कड़ा विरोध किया। उनके प्रमुख सिद्धांतों में से एक "नाम जपो, किरत करो और वंड छको" था, जिसका अर्थ है – भगवान का नाम जपना, ईमानदारी से काम करना और कमाई का एक हिस्सा जरूरतमंदों में बांटना।

यात्रा और प्रवचन

गुरु नानक जी ने अपने जीवनकाल में चार प्रमुख यात्राएं कीं, जिन्हें "चार उदासियां कहा जाता है। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने भारत के अलावा कई विदेशी क्षेत्रों जैसे अरब, तुर्की, तिब्बत और अफगानिस्तान तक यात्रा की। यात्रा के दौरान वे विभिन्न धर्मों के लोगों से मिले और उन्हें ईश्वर की एकता, सत्य और मानवता का संदेश दिया।

गुरु नानक देव के साथ घटी रोचक घटनाएं

1. सच्चा सौदा: एक बार उनके पिता ने उन्हें व्यापार के लिए कुछ रुपये दिए और लाभ कमाने को कहा। गुरु नानक जी ने उन रुपयों से भूखे साधुओं के लिए भोजन खरीदा और कहा कि यही सच्चा सौदा है। इस घटना से पता चलता है कि उनके लिए मानवीय सेवा ही सबसे बड़ा धर्म था।

2. काली चादर का चमत्कार: हरिद्वार में जब लोग सूरज की ओर जल चढ़ा रहे थे, तो गुरु नानक जी ने पश्चिम दिशा में जल अर्पित किया। जब लोगों ने पूछा तो उन्होंने उत्तर दिया कि जैसे उनके पूर्वजों तक जल नहीं पहुंच सकता, वैसे ही ये जल भी सूरज तक नहीं पहुंच सकता। इस घटना से उन्होंने लोगों को अंधविश्वास के खिलाफ जागरूक किया।

3. मक्का की घटना: मक्का यात्रा के दौरान, गुरु नानक जी सोते समय अपने पांव काबा की दिशा में कर लेते हैं। इस पर एक मौलवी ने आपत्ति जताई। गुरु नानक जी ने जवाब दिया कि वह उनके पैर को उस दिशा में कर दें, जहां ईश्वर न हो। जब मौलवी ने उनका पैर हर दिशा में घुमाया, तो हर दिशा में उन्हें काबा दिखता। इस घटना से उन्होंने बताया कि ईश्वर हर जगह है और उसे किसी एक दिशा में सीमित नहीं किया जा सकता।

गुरु नानक जी के उत्तराधिकारी और अंतिम समय

गुरु नानक जी ने अपनी मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहणा को अपना उत्तराधिकारी बनाया, जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए। गुरु नानक जी का निधन 22 सितंबर 1539 को करतारपुर में हुआ। उन्होंने मानवता की भलाई के लिए जो शिक्षाएं दीं, वे आज भी सिख धर्म के मूल सिद्धांत हैं।

गुरु नानक देव जी का सच्चा सोच क्या था 

गुरु नानक देव जी का जीवन और उनकी शिक्षाएं हमें धर्म, मानवता और ईश्वर की एकता का संदेश देती हैं। उनका जीवन प्रेरणादायक घटनाओं से भरा है, जो मानव जाति के लिए एक आदर्श बन गया। उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास और भेदभाव को खत्म करने का प्रयास किया और एक समतामूलक समाज की स्थापना की दिशा में कार्य किया।

डिस्क्लेमर

सिखों धर्म के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी का लेख लिखने से पूर्व अपने पुस्तकों और धार्मिक ग्रंथो का अध्ययन किया। साथी है इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों को समेटकर एक धागे में पिरो कर आपके सामने प्रस्तुत किया है। लेख लिखने का मुख्य उद्देश्य लोगों को अपने धर्म के प्रति जागरूक कर आकर्षित करना।




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