मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 दिन मंगलवार को है। यह पर्व सूर्य के धनु राशि से मकर राशि का प्रवेश का उदघोष करता है। यह संयोग सुबह 09:03 बजे पर हो जाएगा। सूर्योदय के समय धनु राशि 99.6% समाप्त हो जायेगा। सूर्योदय सुबह 06:26 बजे पर होगा।
इसलिए मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इसी दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण दिन की ओर अग्रसर हो जायेंगे। इस दिन पुण्यकाल के दौरान स्नान, दान, और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है।
मकर संक्रांति की पौराणिक कथा
मकर संक्रांति से जुड़ी तीन पौराणिक कथाएं हैं। जिनमें मुख्य रूप से ये कथाएं लोकप्रिय हैं।
1. भगवान विष्णु ने की असुरों का अंत
इस दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर आतंक मचाने वाले असुरों का अंत कर, उनके सिरों को मंदराचल पर्वत के नीचे दबा दिया था। यह घटना मकर संक्रांति के दिन घटी थी। इस लिए इस दिन को राक्षसों पर देवताओं की विजय के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
2. भागीरथ का तप और गंगा का आगमन
राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए कठोर तप किया, जिसके परिणामस्वरूप गंगा धरती पर अवतरित हुईं। मकर संक्रांति का दिन गंगा स्नान और उनकी आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है।
3. महाभारत का भीष्म वाण शैय्या प्रसंग
महाभारत में भीष्म पितामह ने उत्तरायण काल के प्रारंभ पर ही अपने शरीर का त्याग किया था। उनके अनुसार, उत्तरायण काल में मृत्यु प्राप्त करने वाले को मोक्ष प्राप्त होता है।
मकर संक्रांति कहां-कहां मनाई जाती है
मकर संक्रांति पूरे भारत में विभिन्न नामों और परंपराओं के साथ मनाई जाती है।
1. उत्तर भारत
इसे मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार, और पंजाब में "खिचड़ी पर्व" या "मकर संक्रांति" के नाम से मनाया जाता है। गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान का विशेष महत्व है।
2. पंजाब
पंजाब में इसे "माघी" कहते हैं। इस दिन लोहड़ी उत्सव की अगली सुबह दान और पवित्र स्नान किया जाता है।
3. गुजरात
गुजरात में मकर संक्रांति को "उत्तरायण" कहा जाता है। यहां इस दिन पतंग उड़ाने का विशेष चलन है।
4. तमिलनाडु
तमिलनाडु में इस पर्व को "पोंगल" के नाम से जाना जाता है। इस पर्व को चार दिनों तक मनाया जाता है। यह फसल कटाई का त्योहार है।
5. महाराष्ट्र
यहां तिल गुड़ का दान और "तिल गुड़घ्या, गोड गोड बोला" कहने की परंपरा है।
6. आंध्र प्रदेश और कर्नाटक
इसे "संक्रांति" के नाम से मनाया जाता है। गायों और बैलों को सजाया जाता है और खेती के उपकरणों की पूजा होती है।
7. असम
असम के लोग इसे पर्व को "भोगाली बिहू" के नाम से जाना जाता है।
उत्तरायण का क्या मतलब होता है
उत्तरायण का शाब्दिक अर्थ है "उत्तर की ओर गति करना"। यह वह खगोलीय घटना है जब सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ता है। मकर संक्रांति से ही उत्तरायण काल की शुरुआत होती है, जो लगभग छह महीने तक चलता है। इस काल को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन की प्रमुख गतिविधियां
1. पवित्र स्नान
गंगा, यमुना, गोदावरी, कावेरी और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना पुण्य दायी माना जाता है।
2. दान
तिल, गुड़, कंबल, अन्न, और कपड़ों का दान दिया जाता है। यह न केवल धार्मिक कृत्य है, बल्कि समाज में समानता का संदेश भी देता है।
3. सूर्य उपासना
इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। जल अर्पित करते हुए सूर्य मंत्र का जाप किया जाता है।
4. पर्वतीय क्षेत्र में उत्सव
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों में पारंपरिक लोक नृत्य और मेलों का आयोजन होता है।
5. खिचड़ी बनाना
उत्तर भारत में मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़ और चुड़ा खानें की परंपरा है। रात्रि में चावल और दाल से बनी खिचड़ी का विशेष महत्व है।
मकर संक्रांति का क्या है महत्व
1. खगोलीय महत्व
मकर संक्रांति पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश और उत्तरायण काल की शुरुआत होती है। यह खगोलीय परिवर्तन फसल चक्र और ऋतु परिवर्तन को दर्शाता है।
2. कृषि पर्व
मकर संक्रांति किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह रबी की फसल के पकने का समय होता है।
3. आध्यात्मिक महत्व
मकर संक्रांति पर की गई पूजा, जप, और दान मोक्ष की ओर ले जाते हैं।
4. सामाजिक महत्व
इस दिन समाज के विभिन्न वर्गों में एकता और सद्भाव का संदेश दिया जाता है।
5. आरोग्य और स्वच्छता
इस समय मौसम परिवर्तन के कारण शरीर में गर्मी बनाए रखने के लिए तिल और गुड़ का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।
मकर संक्रांति के दौरान स्नान करने का प्रसिद्ध स्थान
1. प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
यहां त्रिवेणी संगम पर स्नान और दान का विशेष महत्व है।
2. हरिद्वार (उत्तराखंड)
गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।
3. गंगासागर (पश्चिम बंगाल)
गंगा नदी के सागर संगम पर स्नान करना अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है। कहा जाता है सब तीरथ बार-बार गंगासागर एक बार।
4. नासिक (महाराष्ट्र)
गोदावरी नदी में स्नान के लिए श्रद्धालु जुटते हैं।
क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति
मकर संक्रांति केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, सामाजिक और खगोलीय घटनाओं का संगम है। यह पर्व न केवल धर्म और संस्कृति को समृद्ध करता है, बल्कि प्रकृति और मनुष्य के बीच संतुलन भी स्थापित करता है।
डिस्क्लेमर
मकर संक्रांति से संबंधित लेख पूरी तरह धर्म शास्त्रों पर आधारित है। इस लेख में कुछ दंतकथा, कुछ इंटरनेट और अधिकांश विषय वस्तु विद्वान पंडितो के द्वारा बताए गए सुझाव के अंतर्गत लिखा गया है। कथा लिखने का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म का प्रचार प्रसार और सनातनियों के बीच अपने पर्व के प्रति जागृत करना मुख्य उद्देश्य है।