मोक्षदा व मौनी एकादशी 01 दिसंबर 2025 को: पढ़ें पौराणिक कथा, पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

मोक्षदा एकादशी और जैन समुदाय का मौनी एकादशी 01 दिसंबर 2025 दिन सोमवार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को मनाया जायेगा। इस व्रत को करने से मृत्यु लोक में भटकते पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति मिलती है साथ ही स्वयं विष्णु धाम को प्राप्त करते हैं।

 मोक्षदा एकादशी व्रत की संपूर्ण जानकारी

मोक्षदा एकादशी सनातन धर्म में विशेष महत्व रखने वाला व्रत है। यह व्रत मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। 

इस व्रत का मुख्य उद्देश्य पितरों को मोक्ष प्रदान करना और अपने जीवन को पवित्र बनाना है। माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन के सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है।

मोक्षदा एकादशी महत्व क्या है 

मोक्षदा एकादशी को "पवित्र एकादशी" और "पुत्रदा एकादशी" भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के श्रीकृष्ण स्वरूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों में इस एकादशी का महत्व यह बताया गया है कि जो व्यक्ति इस व्रत को विधिपूर्वक करता है, उसे अपने जीवन में सुख-शांति और परलोक में मोक्ष प्राप्त होता है।

पितरों के उद्धार का दिन: इस व्रत का एक विशेष पहलू यह है कि यह पितरों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित है।

पापों का नाश: ऐसा माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।

गीता जयंती: मोक्षदा एकादशी को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरूक्षेत्र के मैदान में गीता का उपदेश दिएं थें।

मोक्षदा एकादशी व्रत विधि

व्रत के एक दिन पूर्व (दशमी)

1. दशमी तिथि से ही सात्विक भोजन करें।

2. तामसिक वस्तुओं जैसे लहसुन, प्याज, मांस, और मदिरा का सेवन न करें।

3. मन को शुद्ध रखने के लिए भगवान का स्मरण करें।

एकादशी के दिन

1. ब्राह्म मुहूर्त में उठें: प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. संकल्प लें: भगवान विष्णु के श्रीकृष्ण रुप का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

3. पूजा सामग्री: भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगाजल, दूध, और शुद्ध जल से स्नान कराएं।

तुलसी पत्र, फूल, दीपक, धूप, और नैवेद्य चढ़ाएं।

पीले वस्त्र धारण कराएं और पीले रंग के फूल अर्पित करें।

4. भगवदगीता का पाठ करें: इस दिन भगवदगीता का पाठ करना अति शुभ माना जाता है।

5. दान-पुण्य करें: व्रत का फल पितरों को अर्पित करने के लिए ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र, और दक्षिणा दान करें।

6. रात्रि जागरण: रातभर भगवान के नाम का कीर्तन करें।

द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें 

1. ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

2. संकल्प लें कि आप जीवनभर धर्म के पथ पर चलेंगे।

3. व्रत का पारण करते समय सात्विक भोजन करें।

मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त (2025)

इस वर्ष मोक्षदा एकादशी की तिथि और समय निम्नलिखित है:

एकादशी तिथि प्रारंभ: 30 नवंबर, 2025 को रात्रि 09:29 बजे।

एकादशी तिथि समाप्त: 01 दिसंबर, 2025 को रात्रि 07:01 बजे।

पारण का समय: 02 दिसंबर, 2025 को प्रातःकाल 06:16 से 07:37 बजे के बीच।

एकादशी व्रत करने के दौरान चारों पहर पूजा करने का विधान है। चारों पहर के शुभ मुहूर्त इस प्रकार है।

सुबह के समय लाभ मुहूर्त सुबह 06:16 बजे से लेकर 07:37 बजे तक और अमृत मुहूर्त 07:37 बजे से लेकर 08:57 बजे तक रहेगा। दोपहर चार मुहूर्त दिन के 02:20 बजे से लेकर 03:41 बजे तक और विजय मुहूर्त 01:26 बजे से लेकर 02:09 बजे तक एवं संध्या समय का शुभ मुहूर्त शाम 06:41 बजे से लेकर 08:20 बजे तक और गोली मुहूर्त शाम 04:59 बजे से लेकर 05:26 बजे तक रहेगा। 

इस प्रकार मध्य रात्रि की शुभ एक रात 10:00 बजे से लेकर 11:39 बजे तक चर मुहूर्त होगा और 11:13 बजे से लेकर रात 12:06 बजे तक निशिता मुहूर्त रहेगा। अगले सुबह 06:16 बजे से लेकर 07:37 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा इस दौरान पूजा अर्चना कर पारण कर सकते हैं।

मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा

राजा वैखानस की पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार, गोकुल नामक नगरी में वैखानस नाम के एक धर्मपरायण राजा राज करते थे। वे अपने प्रजा का ध्यान पुत्रवत रखते थे। एक दिन उनके पास एक संत आए और कहा कि राजा के पितरों की आत्मा नरक में कष्ट भोग रही है।

राजा वैखानस ने इस बात को जानकर संतों और ऋषियों से इसका उपाय पूछा। तब उन्हें मोक्षदा एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया गया।

राजा ने विधिपूर्वक मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को दान-पुण्य किया। उनके इस व्रत के प्रभाव से उनके पितरों को मोक्ष प्राप्त हुआ।

भगवान श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर का संवाद

महाभारत के समय में युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा कि एकादशी का महत्व क्या है? श्रीकृष्ण ने बताया कि मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी मोक्ष प्रदान करने वाली है। इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।

मोक्षदा एकादशी का आधुनिक जीवन में महत्व

आज के समय में मोक्षदा एकादशी व्रत करने का महत्व यह है कि यह हमें आत्मिक शुद्धि, पितरों की शांति, और अपने जीवन में अनुशासन का पालन करने की प्रेरणा देता है।

व्रतधारियों के लिए उपयोगी बातें 

मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए भगवदगीता का पाठ करें।

ध्यान और साधना का अभ्यास करें।

दान और सेवा के माध्यम से समाज में योगदान दें

क्यों करें मोक्षदा एकादशी 

मोक्षदा एकादशी न केवल पितरों को मोक्ष प्रदान करती है, बल्कि व्रतधारी के जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करती है। व्रत करने वाले को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। इस व्रत का पालन शास्त्रों के अनुसार करने से जीवन में सुख-शांति और परलोक में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

डिस्क्लेमर 

मोक्षदा पर लिखे गए लेख हमारे विद्वानों और आचार्यों द्वारा विचार-विमर्श करने के बाद लिखा गया है। साथ ही इंटरनेट से सेवाएं ली गई है। पूजा करने शुभ मुहूर्त पंचांग से लिया गया है। लेख लिखने का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करना और सनातनियों के बीच त्योहार के प्रति जागरूक करना हमारा मुख्य उद्देश्य है।



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