गीता जयंती 01 दिसंबर 2025 को जानें कृष्ण व अर्जुन का क्या था संवाद

गीता जयंती 01 दिसंबर 2025 दिन सोमवार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को मनाया जायेगा। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरूक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिए थे।

गीता जयंती, भगवदगीता के उपदेश की पावन स्मृति में मनाया जाने वाला पर्व है। यह पर्व मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन मनाया जाता है, जिसे मोक्षदा या पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है। 

गीता जयंती का धार्मिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। इसे उस महान दिन के रूप में याद किया जाता है जब भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को धर्म, कर्म और ज्ञान का उपदेश दिया। 

भगवदगीता को न केवल सनातन धर्म का महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है, बल्कि यह संपूर्ण मानवता के लिए एक आदर्श जीवन जीने की शिक्षा प्रदान करता है।

श्रीमद् भागवत गीता का परिचय 

श्रीमद् भागवत गीता महाभारत का एक हिस्सा है, जिसे "गीता" के नाम से जाना जाता है। यह 18 अध्याय और 700 श्लोकों का संग्रह है। गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन के गूढ़ रहस्यों, कर्त्तव्यपालन और आत्मज्ञान का उपदेश दिया। इसे वेदों और उपनिषदों का सार भी कहा जाता है।

लेखक थे महर्षि वेदव्यास

स्थान कुरुक्षेत्र का युद्धक्षेत्र हरियाणा 

उद्देश्य यह है कि जीवन के सत्य, कर्तव्य और मोक्ष का मार्गदर्शन करना

गीता जयंती का महत्व

1. धर्म का पालन: गीता जयंती हमें धर्म, कर्म और ज्ञान के महत्व को समझने का अवसर प्रदान करती है।

2. आत्मा की अमरता: गीता सिखाती है कि आत्मा अमर है और शरीर नश्वर।

3. कर्त्तव्यपालन: गीता के अनुसार, अपने कर्तव्यों को निष्काम भाव से करना जीवन का मुख्य उद्देश्य है।

4. सर्वधर्म समभाव: गीता सभी धर्मों के प्रति सम्मान और सहिष्णुता का पाठ पढ़ाती है।

5. योग और ध्यान का महत्व: गीता कर्मयोग, भक्तियोग, और ज्ञानयोग जैसे मार्गों की व्याख्या करती है।

गीता जयंती की पौराणिक कथा

महाभारत के युद्ध के समय, कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध आरंभ होने वाला था। कुरुक्षेत्र का मैदान योद्धाओं से भरा हुआ था। दोनों पक्षों के सेनानी युद्ध के लिए तत्पर थे। इसी समय अर्जुन, जो पांडवों के प्रमुख योद्धा थे, अपने रथ पर सवार होकर युद्धभूमि के मध्य में खड़े हुए।

अर्जुन का मोह-माया में फसन 

जब अर्जुन ने अपने परिवार, गुरु, और बंधु-बांधवों को युद्धभूमि में देखा, तो उनका मन विचलित हो गया। उन्होंने सोचा, "मैं अपने ही सगे-संबंधियों के खिलाफ युद्ध कैसे कर सकता हूं? यह युद्ध पाप और विनाश का कारण बनेगा।" अर्जुन ने धनुष-बाण नीचे रख दिया और भगवान श्रीकृष्ण से मार्गदर्शन मांगा।

अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया 

अर्जुन के इस भ्रम और मोह को दूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया। उन्होंने अर्जुन को यह बताया।

1. आत्मा अमर है: शरीर नाशवान है, लेकिन आत्मा अविनाशी है। इसलिए मृत्यु से डरना व्यर्थ है।

2. कर्तव्य का पालन: व्यक्ति को अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों।

3. निष्काम कर्म: कर्म करते रहना चाहिए, लेकिन फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए।

4. योग का महत्व: योग के माध्यम से व्यक्ति अपने मन को स्थिर कर सकता है और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है।

5. भक्ति मार्ग: भगवान की भक्ति से व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर सकता है।

अर्जुन का आत्मज्ञान

श्रीकृष्ण के उपदेश के बाद अर्जुन का मोह समाप्त हो गया। उन्होंने अपना कर्तव्य समझा और युद्ध के लिए तैयार हो गए। गीता का यह उपदेश न केवल अर्जुन के लिए, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणादायक है।

गीता जयंती मनाने की विधि

1. श्रीमद् भागवत गीता का पाठ: इस दिन श्रीमद् भागवत गीता का पाठ किया जाता है और उसके उपदेशों को समझने का प्रयास किया जाता है।

2. पूजा और हवन: भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है और हवन किया जाता है।

3. ध्यान और योग: इस दिन ध्यान और योग का अभ्यास करना शुभ माना जाता है।

4. सत्संग और प्रवचन: मंदिरों में गीता पर प्रवचन और सत्संग का आयोजन किया जाता है।

5. दान और सेवा: इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन दान करने का महत्व है।

गीता के प्रमुख संदेश

1. कर्मण्येवाधिकारस्ते: व्यक्ति को केवल अपने कर्म पर अधिकार है, उसके फल पर नहीं।

2. योग: कर्मसु कौशलम्: अपने कार्य को उत्कृष्टता के साथ करना ही योग है।

3. सर्वधर्मान्परित्यज्य: सभी धर्मों को छोड़कर केवल मेरी शरण में आओ।

4. अहं आत्मा गुडाकेश: मैं सभी प्राणियों में आत्मा के रूप में विद्यमान हूं।

आधुनिक जीवन में गीता का महत्व

आज के व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन में गीता के उपदेश अत्यंत प्रासंगिक हैं।

1. मानसिक शांति: गीता का अध्ययन करने से व्यक्ति मानसिक शांति प्राप्त कर सकता है।

2. निष्काम कर्म: गीता सिखाती है कि सफलता और असफलता की चिंता किए बिना अपने कार्यों को करें।

3. संतुलन का पाठ: गीता जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देती है।

4. आत्मज्ञान: गीता व्यक्ति को आत्मा और परमात्मा के संबंध को समझने में सहायता करती है।

गीता जयंती मनाने का क्या है उद्देश्य 

गीता जयंती न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह हमें जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने का अवसर प्रदान करती है। भगवद्गीता का उपदेश संपूर्ण मानवता के लिए एक अमूल्य धरोहर है। गीता का अध्ययन और उसके उपदेशों का पालन करने से व्यक्ति न केवल अपने जीवन को सफल बना सकता है, बल्कि आत्मिक शांति और मोक्ष भी प्राप्त कर सकता है। गीता जयंती का पर्व हमें यह स्मरण कराता है कि धर्म और कर्तव्य का पालन ही जीवन की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

डिस्क्लेमर 

गीता जयंती पर लिखे गए लेख हमारे विद्वानों और आचार्यों द्वारा विचार-विमर्श करने के बाद लिखा गया है। साथ ही इंटरनेट से सेवाएं ली गई है। लेख लिखने का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करना और सनातनियों के बीच त्योहार के प्रति जागरूक करना हमारा मुख्य उद्देश्य है।









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