बागेश्वरी देवी का जन्मोत्सव 03 फरवरी 2025 को

मां सरस्वती का ही दूसरा रूप मां बागेश्वरी है। मां बागेश्वरी की आराधना वैसे जातक करते हैं जो संगीत में निपुणता हसिल करना चाहते हैं। मां बागेश्वरी के देश भर में 04 प्रसिद्ध धाम है।

बागेश्वरी देवी की पौराणिक कथा

बागेश्वरी देवी को वाणी और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी के रूप में जाना जाता है। उनकी उत्पत्ति का उल्लेख विभिन्न पुराणों और धर्मग्रंथों में मिलता है। 

कथा के अनुसार, जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया, तब संसार मौन था। उन्होंने अपनी कमंडल से जल छिड़का और भगवान विष्णु की प्रेरणा से वाणी स्वरूपा देवी प्रकट हुईं। उनके प्रकट होते ही संपूर्ण ब्रह्मांड में वाणी, संगीत, और ज्ञान की धारा प्रवाहित होने लगी।

किस देवी का रूप हैं मां बागेश्वरी की 

मां बागेश्वरी देवी को माता सरस्वती जी का ही एक रूप माना जाता है। वह सृजन और रचनात्मकता की देवी हैं, जो कला, संगीत, और ज्ञान के क्षेत्र में मार्गदर्शन करती हैं। संस्कृत भाषा में ‘बाग’ का अर्थ वाणी होता है और ‘ईश्वरी’ का अर्थ देवी, अर्थात वाणी की देवी।

बागेश्वरी देवी के प्रमुख मंदिर

भारत में बागेश्वरी देवी के कुछ प्रसिद्ध मंदिर निम्नलिखित हैं

1. बागेश्वरी मंदिर, काशी (वाराणसी)

काशी के इस मंदिर को अत्यधिक पवित्र माना जाता है। यहाँ भक्त देवी से ज्ञान और वाणी का वरदान मांगने आते हैं।

2. बागेश्वरी मंदिर, नासिक

महाराष्ट्र के इस मंदिर को संगीत और कला के साधकों का प्रमुख तीर्थस्थान माना जाता है।

3. बागेश्वरी मंदिर, नेपाल

काठमांडू में स्थित यह मंदिर देवी को समर्पित है और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।

4. बागेश्वरी शक्ति पीठ, पश्चिम बंगाल

शक्तिपीठों में एक मानी जाने वाली यह जगह देवी वागेश्वरी की अद्भुत ऊर्जा का स्थान है।

पूजा करने की विधि

1. स्नान और शुद्धिकरण: पूजा से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।

2. मंत्र जाप: “ॐ बागेश्वर्यै नमः” मंत्र का जाप करें और सरस्वती वंदना का पाठ करें।

3. सामग्री: सफेद फूल, अक्षत (चावल), चंदन, गाय का दूध, घी, और शहद।

4. दीप प्रज्वलन: घी का दीपक जलाएं और देवी के सामने रखें।

5. वेद पाठ: यथाशक्ति वेद मंत्र या सरस्वती स्तुति का पाठ करें।

6. भोग: देवी को मीठा भोग अर्पित करें, जैसे खीर या सफेद मिठाई।

7. आरती: अंत में आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।

पूजा करने का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष बागेश्वरी देवी प्राकट्योत्सव के लिए शुभ मुहूर्त 03 फरवरी को प्रातः 7:30 से दोपहर 12:00 तक है। ब्रह्म मुहूर्त और अभिजीत मुहूर्त को पूजा के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।

बागेश्वरी देवी की महिमा

बागेश्वरी देवी को शिक्षा, कला, और ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाता है। विद्यार्थी, कलाकार, और शोधकर्ता विशेष रूप से उनकी आराधना करते हैं। उनकी कृपा से मनुष्य के विचार और वाणी में स्पष्टता और प्रभावशाली गुण आते हैं।

मां बागेश्वरी की पूजा करने से क्या मिलता है फल 

बागेश्वरी देवी मानव सभ्यता के लिए ज्ञान और वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनकी पूजा से मनुष्य के जीवन में ज्ञान, कला, और सृजनात्मकता का विकास होता है। वागेश्वरी देवी को पूजना न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक समृद्धि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

डिस्क्लेमर 

मां बागेश्वरी की लेख पूरी तरह सनातन धर्म से संबंधित है। लेख में इंगित विभिन्न पहलुओं की जानकारी धार्मिक पुस्तकों से ली गई है। साथ ही शुभ मुहूर्त पंचांग से लिया गया है। साथ ही विद्वान ब्राह्मणों , आचार्यों, लोक कथाओं और इंटरनेट से भी सहयोग लिया गया है। लिखने का उद्देश्य सिर्फ लोगों तक जानकारी पहुंचाना है। 


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