शारदीय नवरात्र 2024 में 3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक मनाए जा रहे हैं। विजय दशमी या दशहरा 12 अक्टूबर 2024 को है। कहीं कहीं 13 अक्टूबर दिन रविवार को भी विजय दशमी उत्सव मनाया जा रहा है।
शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन, जिसे विजय दशमी या दशहरा कहा जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन कई महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं निभाई जाती हैं:
1. रावण दहन: रामलीला का मंचन होता है, जिसमें भगवान राम द्वारा रावण का वध किया जाता है। इसके प्रतीक स्वरूप बड़े पुतलों (रावण, मेघनाद, और कुंभकर्ण) का दहन किया जाता है।
2. दुर्गा विसर्जन: देवी दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है, जो नवरात्रि के दौरान उनकी स्थापना के बाद होता है। इसे बुराई के अंत और देवी के अपने लोक लौटने के रूप में देखा जाता है।
3. शस्त्र पूजन: कई लोग इस दिन अपने शस्त्रों और औजारों का पूजन करते हैं, खासकर क्षत्रिय समुदाय में, इसे शक्ति और साहस के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
वर्तमान समय में शास्त्र की पूजन हर सनातनी धर्मियों को करनी चाहिए। कारण आपके चारों पहले असुरी शक्ति का बोलबाला है। ऐसी शक्तियों से लड़ने के लिए अस्त की जरूरत पड़ती है। धर्म की रक्षा के लिए भी शस्त्र की जरूरत पड़ती है। इस दिन शास्त्रों की पूजा करने का विधान है।
इसलिए हर सनातनियों को अपने-अपने घरों में पारंपरिक शस्त्र अर्थात भाला, गड़ासा, तलबार, लाठी, बरछी, त्रिशूल, कूकरी, भुजाली सहित अन्य शस्त्र रखने चाहिए।
अखंड ज्योति और कलश विसर्जन: जो मां के भक्त नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति जलाते हैं और कलश स्थापना करते हैं, वे इस दिन इसका विसर्जन करते हैं।
5. संपूर्ण नवरात्रि के व्रत का समापन: विजय दशमी के दिन नवरात्रि के उपवास और साधना का समापन होता है, और लोग माता के आशीर्वाद के साथ उपवास तोड़ते हैं।
सिंदूर खेला शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन, यानी विजय दशमी पर मनाया जाता है। 2024 में यह उत्सव 12 अक्टूबर दिन शनिवार और रविवार दोनों दिन होगा।
सिंदूर खेला की परंपरा खासकर पश्चिम बंगाल में प्रचलित है, जहां महिलाएं देवी दुर्गा की विदाई से पहले एक-दूसरे को सिंदूर (कुमकुम) लगाती हैं। इसे समृद्धि, सौभाग्य, और देवी दुर्गा के आशीर्वाद के रूप में देखा जाता है। सिंदूर खेला देवी दुर्गा के विसर्जन से पहले का एक विशेष रस्म है, जो मातृशक्ति की आराधना और स्त्रियों की एकता का प्रतीक माना जाता है।
डिस्क्लेमर
शारदीय नवरात्र का यह लेख पूरी तरह सनातन धर्म पर आधारित है। लेख के संबंध में जानकारी विद्वान पंडितों, आचार्यों और ज्योतिषाचार्य से बातचीत कर लिखा गया है। साथ ही इंटरनेट का भी सहयोग लिया गया है। शुभ मुहूर्त और समय आदि की गणना पंचांग से किया गया है। लेख लिखने का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म का प्रचार प्रचार करना और सनातनियों को अपने त्यौहार के प्रति रूझान बढ़ाना है। हमने पूरी निष्ठा से इस लेख को लिखा है, अगर लेख में किसी प्रकार की गड़बड़ी या त्रुटि होगी तो उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं है।