तीज मुख्य रूप से उत्तर भारत, विशेषकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, नेपाल और मध्य प्रदेश में मनाया जाने वाला एक प्रमुख सनातनी पर्व है। यह त्यौहार मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है और इसका संबंध विवाह, पति की लंबी आयु, और पारिवारिक सुख-समृद्धि से जुड़ी है। तीज के तीन मुख्य प्रकार होते हैं। पहला हरियाली तीज, दूसरा कजरी तीज, और तीसरा हरतालिका तीज।
भाद्रपद मास में मुख्य रूप से दो प्रमुख तीज मनाई जाती हैं: कजरी तीज और हरतालिका तीज। ये तीजें विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं और इनमें व्रत, पूजा, और सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल होती हैं। हरियाली तीज भादो मास के शुक्ल पक्ष और कजरी तीज भादो मास के कृष्ण पक्ष में मनायी जाती है।
हरतालिका तीज
समय
हरतालिका तीज भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। 05 सितंबर दिन गुरुवार को तृतीया तिथि का शुभारंभ दोपहर 12:30 बजे से शुरू होकर दूसरे दिन शुक्रवार को शाम 03:01 बजे तक रहेगा तीज व्रत उदय कल में मनाया जाता है। तृतीया तिथि और उदया काल का संयोग 06 सितंबर को बन रहा है। इसलिए तीज व्रत त्यौहार 06 सितंबर को मनाया जाएगा।
महत्व
हरतालिका तीज का संबंध माता पार्वती के कठिन तपस्या से है, जिसे उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था। यह व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।
उत्सव
हरतालिका तीज पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात भर जागरण करती हैं। इस दिन विशेष रूप से शिव-पार्वती की पूजा की जाती है।
तीज के दिन महिलाएं नए वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, और पारंपरिक आभूषण पहनती हैं।
इस दिन झूला झूलने की परंपरा है। महिलाएं समूह में इकट्ठी होकर लोक गीत गाती हैं और झूला झूलती हैं।
रात्रि के समय महिलाएं समूह में लोक गीत गाती हैं और पारंपरिक भोजन तैयार करती हैं, जिसमें घेवर, पूड़ी, और खीर प्रमुख होते हैं।
पूजा करने का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद के तृतीय तिथि को मनाए जाने वाले तीज व्रत के पूजा करने का शुभ मुहूर्त इस प्रकर है।
तीज व्रत में गोधूलि बेला पूजा करने का विधान है। संध्या 04:24 बजे से लेकर शाम 05:57 बजे तक चार मुहूर्त है। उसी प्रकार 05:57 बजे से लेकर 07:07 बजे तक गोधूलि मुहूर्त है और अंतिम चरण में रात 08:50 बजे से लेकर रात 10:17 बजे तक लाभ मुहूर्त है। इस दौरान व्रतधारी अपने-अपने तरीके के अनुसार भगवान भोले शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना कर सकती है।
तीज व्रत की पूजा विधि:
1. स्नान और शुद्धिकरण सुबह स्नान करके नवीन और पवित्र वस्त्र पहनें।
2. पूजा सामग्री भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर, धूप, दीप, नैवेद्य (मिठाई), जल, फल, फूल और स्थानीय मिष्ठान।
3. पूजा भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। कथा सुनें या पढ़ें।
4. व्रत पूरे दिन व्रत रखें। अधिकांश महिलाएं तीज में निर्जला व्रत भी रखती है।
5. संध्या आरती शाम को फिर से भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
6.भोजन व्रत के पारण करते समय सात्विक भोजन करें।
तीज का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व:
महिलाओं का सामूहिक उत्सव तीज महिलाओं को एकजुट करने वाला त्योहार है। महिलाएं मिलकर तीज के उत्सव में भाग लेती हैं, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं।
लोकगीत और नृत्य तीज के समय महिलाएं पारंपरिक लोकगीत गाती हैं और नृत्य करती हैं, जो सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं।
तीज का व्रत और पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
तीज का त्यौहार नारी शक्ति, पारिवारिक प्रेम, और समर्पण का प्रतीक है, जो भारतीय समाज में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
- यह व्रत विशेष रूप से विवाहित और कुंवारी महिलाओं द्वारा रखा जाता है, ताकि वे अपने पति या भावी पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना कर सकें।
इन मंत्रों का पूजा के समय करें जाप
ऊँ शं शंकराय भवोद्भवाय शं ऊँ नमः
ऊँ शं विश्वरूपाय अनादि अनामय शं ऊँ
नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं
ऊँ शं शं शिवाय शं शं कुरु कुरु ऊँ
तीज व्रत के दौरान भूल से भी न करें ये गलतियां
ऊँ क्लीं क्लीं क्लीं वृषभारूढ़ाय वामांगे गौरी कृताय क्लीं क्लीं क्लीं ऊँ नमः शिवाय
हरियाली तीज व्रत के दौरान क्या है अनिवार्य
हरतालिका तीज व्रत के दौरान व्रतधारी महिलाओं को दिन में सोना निषेद्य अर्थात वर्जित माना गया है।
हरतालिका तीज व्रत के दौरान पूजा के दौरान व्रतधारी महिलाऐं व्रत कथा जरूर पढ़ें और सुनें, क्योंकि व्रत कथा पढ़ें और सुनें बिना तीज व्रत पूरा नहीं माना जाता।
जो महिलाएं इस व्रत को एक बार कर लेती है, उसे ये व्रत जीवन भर करना पड़ता है। यदि किसी कारण वश आप ऐसा करने में असमर्थ हैं तो अपने स्थान पर आपका पति, गोतनी या कोई अन्य किसी महिला भी यह व्रत कर सकती है।
हरतालिका तीज पर व्रतधारी महिलाओं को क्रोध और अहंकार करने से बचना चाहिए। अपने लोगों और दूसरों के प्रति द्वेष और ईर्ष्या की भावना न रखें। इसके अलावा अपनी वाणी पर संयम बनाए रखें तभी व्रत सफल होगा।
व्रतधारी महिलाऐं इस दिन पति या दूसरों किसी भी व्यक्ति से वाद-विवाद न करें। मान्यता है ऐसा करने से व्रत का प्रभाव कम हो जाता है और पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है।
भाद्रपद मास की तीज का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व:
पारिवारिक बंधन:
तीज के व्रत और पूजा से पारिवारिक बंधन मजबूत होते हैं, क्योंकि महिलाएं अपने परिवार के सुख-समृद्धि और पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं।
हरियाली तीज की पौराणिक कथा
हरियाली तीज की पौराणिक कथा मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की कथा से जुड़ी हुई है। इस कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी।
पार्वती जी ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कई जन्मों तक तपस्या की थी। कहा जाता है कि उनके 108वें जन्म में उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।
हरियाली तीज का पर्व मुख्य रूप से स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और प्रेम के लिए मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियाँ व्रत रखती हैं, सोलह श्रृंगार करती हैं और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। हरे वस्त्र धारण करना और झूले का आनंद लेना भी इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
हरियाली तीज का पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत के क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
02. कजरी तीज
समय
कजरी तीज भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह तीज हरियाली तीज के लगभग 15 दिन बाद आती है।
महत्व
कजरी तीज में महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और कजरी गीत गाती हैं। इस दिन की पूजा विशेष रूप से महिलाओं की सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ की कामना के लिए की जाती है।
उत्सव
कजरी तीज पर महिलाएं झूला झूलती हैं और रात भर कजरी गीत गाती हैं। इस दौरान विशेष भोजन भी बनाया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से घेवर, पूड़ी और खीर शामिल होते हैं।
03. हरियाली तीज
समय
सावन (श्रावण) महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है।
महत्व
हरियाली तीज का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है। इस दिन महिलाएं शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और अच्छे पति की कामना करती हैं।
उत्सव
तीज उत्सव के दौरान महिलाएं हरे रंग की वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, झूला झूलती हैं, और परंपरागत गीत गाती हैं। हरियाली तीज में हरे रंग का विशेष महत्व है, जो सावन के महीने की हरियाली का प्रतीक माना जाता है।
सामूहिकता का प्रतीक:
महिलाएं सामूहिक रूप से तीज मनाती हैं, जिससे सामाजिक एकता और सामूहिकता को बढ़ावा मिलता है।
सांस्कृतिक धरोहर:
तीज पर गाए जाने वाले लोकगीत और नृत्य भारतीय संस्कृति की धरोहर हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं।
कुल मिलाकर, भाद्रपद मास की तीज महिलाओं के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, और इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
डिस्क्लेमर
हरियाली तीज भादो मास में मनाएं जानें वाले एक धार्मिक, सनातनी और पौराणिक व्रत त्योहार है। इस त्यौहार में माता पार्वती और भोले शिव की पूजा अर्चना की जाती है। लेख लिखते समय विद्वान ब्राह्मणों और आचार्यों से राय ली गई है। शुभ मुहूर्त पंचांग से लिया गया है। इसमें इंटरनेट की भी सहायता ली गई है। लेख लिखने का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म के अंतर्गत आने वाले त्योहारों का प्रचार प्रसार करना और लोगों के के बीच जागरूकता पैदा करना हमारा मुख्य उद्देश्य है।