सावन माह शिव भक्तों के लिए सर्वश्रेष्ठ महीना इसलिए माना जाता है क्योंकि यह भगवान भोलेनाथ सर्वाधिक प्रिय माह कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के तहत श्रावण माह में भगवान भोले शिव की विशेष पूजा-अर्चना और अराधना करने से शिव भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। सावन माह में शिवलिंग पर शुद्ध जल, बेलपत्र, धतूरा, भांग और अन्य पवित्र वस्तुएं चढ़ाने का विशेष महत्व है।
इसके अलावा, सावन माह में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार भी मनाएं जाते हैं जैसे रक्षा बंधन, नाग पंचमी और हरियाली तीज, जो शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इस समय में कावड़ यात्रा का आयोजन भी होता है, जिसमें शिव भक्त गंगा जल लाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।
श्रावण माह में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा का विशेष धार्मिक और पौराणिक महत्व है। इसके कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं।
1 पौराणिक मान्यता यह है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का पान भगवान शिव ने किया था जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और वे जगत में नीलकंठ कहलाए। विष की गर्मी को शांत करने के लिए देवताओं ने उन पर लगातार जल चढ़ाएं। इसलिए, श्रावण माह में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
2. प्रकृति और मौसम विज्ञान के अनुसार श्रावण माह में मानसून का समय होता है और इस समय जल की अधिकता रहती है। जल चढ़ाने का प्रतीकात्मक अर्थ है प्रकृति के तत्वों को भगवान शिव को समर्पित करना और उनसे हर तरह के आशीर्वाद प्राप्त करना।
3. धार्मिक आस्था के अनुसार ऐसा मान्यता है कि सावन माह में भगवान शिव की पूजा-अर्चना विशेष फलदायी होती है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और परिवारिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
4. पवित्रता और शुद्धिकरण अत्यंत जरूरी है। शिव आराधना शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से न केवल शिवलिंग की पवित्रता बनी रहती है बल्कि यह भक्तों के मन और आत्मा को भी शुद्ध करता है।
इन धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के कारण श्रावण माह में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा का विशेष महत्व है।
श्रावण माह का शुभारंभ हिंदू पंचांग के अनुसार विभिन्न तिथियों पर हो सकता है, जो कि हर साल अलग-अलग होती है। वर्ष 2024 में श्रावण माह का आरंभ 21 जुलाई से हो गया है और इसका समापन 19 अगस्त को होगा। इस वर्ष श्रावण माह में कुल 5 सोमवार होंगे, जिन्हें सावन सोमवारी कहा जाता है। सोमवारी की तिथि नीचे दी गई है।
1. 22 जुलाई 20242
. 29 जुलाई 2024
3. 5 अगस्त 2024
4. 12 अगस्त 2024
5. 19 अगस्त 2024
श्रावण सोमवारी का महत्व
1. भगवान शिव की विशेष पूजा श्रावण सोमवारी को भगवान शिव की विशेष पूजा और व्रत करने का विधान है। इस दिन भोले भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी, धतुरा और बेलपत्र चढ़ाते हैं। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरे करते हैं।
2. शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण समय श्रावण सोमवारी व्रत रखने से व्यक्ति को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
3. धार्मिक आस्था श्रावण सोमवारी का व्रत विशेष रूप से महिलाएं रखती है जो अपने पति की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं।
4. सकारात्मक ऊर्जा श्रोत बना रहता है। इस समय लोगों को धार्मिक क्रियाकलापों में संलग्न रहने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार शरीर में होते रहते हैं।
श्रावण माह और श्रावण सोमवारी सनातन (हिंदू) धर्म में अत्यंत पवित्र माने जाते हैं, जिनका पालन करने से आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं।
श्रावण माह में ही सावन के झूले, कजरी गीत, हरी चुड़ी, मेंहदी और अन्य सांस्कृतिक परंपराएं भी होती हैं, जो इस माह की धार्मिकता और उत्सवधर्मिता को और अधिक समृद्ध करती हैं। इस माह में हरिद्वार, काशी, बैधनाथ धाम, महाकाल और अन्य शिव मंदिरों में विशेष मेले और धार्मिक आयोजन होते हैं, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
डिस्क्लेमर
यह लेख धार्मिक मान्यताओं और सनातनी परंपराओं को याद करने के लिए लिखा गया है। श्रावण माह भगवान भोलेनाथ शिव का महीना है। इस माह में सोमवारी का विषेश महत्त्व है। श्रावण माह की संपूर्ण जानकारी इस लेख में दी गई है।
सामग्री जुटाने के लिए विद्वान ब्राह्मणों, आचार्यों, धार्मिक ग्रंथो और पौराणिक कथाओ सहित इंटरनेट से सहयोग लिया गया है। लेख लिखने का मुख उद्देश्य सनातन धर्म की प्रचार-प्रसार करना और सनातनियों के बीच अपने पर्व और त्योहारों के संबंध में जागरूक करना है।