अक्षय तृतीया 10 मई 2024 दिन शुक्रवार को है। वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जायेगा।
अक्षय तृतीया का सही अर्थ है कि यह एक ऐसी तिथि जिसमें किया गया सभी तरह के कार्य जिसका कभी क्षय नहीं होता है।
कहने का मतलब यह है कि आप अक्षय तृतीया के दिन जो भी शुभ या अशुभ कार्य करेंगे, उससे मिलने वाला पुण्य, लाभ या हानि हमेशा आपके साथ रहेगा।
इस वजह से अक्षय तृतीया के दिन हमेशा अच्छे कार्य करने चाहिए। गलत कार्यों के जरिए अर्जित किया गया सारे पाप भी आपके साथ अक्षय ही रहेगा।
अक्षय तृतीया क्यों है खास जानते हैं पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार।
अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म हुआ था।
इसी दिन हयग्रीव का अवतार और बद्रीनाथ धाम का कपाट खुलते हैं।
इसी दिन परशुराम जी का जन्म हुआ था।अक्षय तृतीया के दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुई थी। साथ ही द्वापर युग की समाप्ति भी अक्षय तृतीया के दिन हुआ था।
वृंदावन के बांके बिहारीजी मंदिर में इसी दिन श्रीविग्रह जी के चरणों के दर्शन होते हैं। नहीं तो सालों भर उनके चरण वस्त्र से ढ़के रहते हैं।
पूजन और आंवला बृक्ष के नीचे
भोजन करने का शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया के दिन अमृत कल और रवि योग का अद्भुत संयोग मिल रहा है। अगर आप अक्षय तृतीया व्रत करते हैं तो 5:00 बजे सुबह से लेकर दिन के 10:00 बजे तक आप पूजा अर्चना कर सकते हैं।
इस दौरान चर मुहूर्त सुबह 05:07 बजे से लेकर 06:40 बजे तक लाभ मुहूर्त 06:40 बजे से लेकर 08:24 बजे तक और अमृत मुहूर्त 08:24 बजे से लेकर 10:03 बजे तक है इस दौरान आप सुविधा के अनुसार आप भगवान श्रीहरी और माता लक्ष्मी का की पूजा अर्चना विधि विधान से कर सकते हैं।
दूसरी और इस दिन आंवला बृक्ष के नीचे भोजन करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। आंवला बृक्ष के नीचे भोजन करने का शुभ मुहूर्त सुबह 11:15 बजे से 12:08 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है।
उसी प्रकार 11:42 बजे से लेकर 02:49 बजे तक शुभ मुहूर्त और 01:53 बजे से लेकर 02:46 बजे तक विजय मुहूर्त है। इस दौरान आप सुविधा अनुसार आंवला बृक्ष के नीचे भोजन कर अनंत फल की प्राप्ति कर सकते हैं।
अक्षय तृतीया के दिन क्या करें
01अक्षय तृतीया के दिन माता धन लक्ष्मी के साथ भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करनी चाहिए। आस्था पूर्वक पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि, धन और वैभव बढ़ने के साथ ही आपसी एकता मजबूत रहते हैं। और यह स्थिति अक्षय बनें रहता है।
02. अक्षय तृतीया के दिन शुभ मुहूर्त देखकर घर, ज़मीन, सोना और चांदी के बनें आभूषण आदि की खरीदारी करने चाहिए।
03. अक्षय तृतीया वाले दिन मकान, जमीन, फ्लैट, वाहन, कम्प्यूटर, मोबाइल आदि की खरीदारी कर सकते हैं।
04. अक्षय तृतीया पर अबूझ मुहूर्त होने के कारण आप विवाह, रोसगर्दी और सगाई कर सकते हैं।
05.अक्षय तृतीया के दिन गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, दुकान या शोरूम का उद्घाटन सहित नई नौकरी या नए काम की शुरूआत भी कर सकते हैं।
अबूझ मुहूर्त इसी दिन है। निर्भिक होकर करें शादी
अक्षय तृतीया के दिन अबूझ मुहूर्त रहता है। इस दिन बिना लग्न, मुहूर्त और गणना के विवाह संपन्न हो सकते हैं। जिसका विवाह किसी कुंडली दोष के कारण नहीं हो रहा है। ऐसे जातक भी इस दिन शादी कर सकते हैं। इस दिन वाहन खरीदना, आभूषण खरीदना, घर और जमीन खरीदना काफी शुभ होता है।
बिना पंचांग देखे शुभ कार्य संपन्न किए जाने वाला अबूझ महामुहूर्त अक्षय तृतीया को माना जाता है। लगभग 23 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब अक्षय तृतीया के दिन विवाह का कारक ग्रह माने जाने वाले शुक्र और गुरु तारा अस्त होने से इस दिन विवाह मुहूर्त नहीं है।
अबूझ महामुहूर्त अक्षय तृतीया पर अस्त रहेगा गुरु व शुक्र तारा
23 वर्षों के बाद अक्षय तृतीया पर बन रहा ऐसा अद्भुत संयोग
अक्षय तृतीया को महामुहूर्त मानें जानें से शुभ संस्कार होंगे संपन्न
बिना सनातनी पंचांग देखे शुभ वैवाहिक कार्य किए जाने वाले अबूझ महामुहूर्त अक्षय तृतीया के दिन को माना जाता है। 23 वर्षों के बाद ऐसा अनबूझ संयोग बन रहा है। मसलन अक्षय तृतीया के दिन विवाह का कारक ग्रह माने जाने वाले गुरु और शुक्र तारा अस्त होने से इस दिन वैवाहिक मुहूर्त नहीं है।
जबकि दूसरी ओर अक्षय तृतीया को महामुहूर्त माने जाने से शुभ कार्य और संस्कार किए जा सकते हैं। दूसरी खास बात यह है कि हर वर्ष ग्रीष्म ऋतु के दिनों में अर्थात मई और जून के महीनों में सबसे ज्यादा वैवाहिक मुहूर्त होते हैं, परन्तु इस वर्ष मई और जून माह में विवाह मुहूर्त नहीं है।
ज्योतिषाचार्य जीतेन्द्र उपाध्याय के अनुसार अक्षय तृतीया पर गुरु और शुक्र तारा अस्त रहेगा। इससे पहले वर्ष 2000 में भी ऐसा ही संयोग बना था। इस साल संवत 2081 में वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि से ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक गुरु तारा अस्त रहेगा। अंग्रेजी वर्ष के अनुसार गुरु तारा सात मई से 31 मई तक अस्त रहेगा।
हालांकि वैशाख शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीया को महामुहूर्त कहा गया है, जो 10 मई को है। इस दिन गुरु-शुक्र तारा अस्त होने से मुहूर्त नहीं है, लेकिन अबूझ महामुहूर्त माने जाने से वैवाहिक कार्यक्रम किया जा सकता है।
दान देना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
अक्षय तृतीया के दिन दान देना अच्छा रहेगा। उस दिन दान करने से मनुष्य को अनंत फल की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया के दिन आंवला वृक्ष के नीचे खाना खाए
अक्षय तृतीया के दिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाना चाहिए। वहीं पर बैठकर भोजन करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। आंवला वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान से पूजा करें। ब्राह्मनों को गुप्त दान दें।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार किसी राज्य में एक अमीर रहता था। अमीर होने के बाद भी वह गरीब था। एक दिन किसी ब्राह्मण ने उसे अक्षय तृतीया व्रत रखने की सलाह दी। वैश्य ने अक्षय तृतीया व्रत रखा गंगा स्नान किया और अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा दिया।
कुछ ही दिनों के बाद इसका व्यापार बढ़ने लगा और वह अमीर बन गया। अगले जन्म में वह कुशावती का राजा बना। वह इतना धनी बन गया कि अक्षय तृतीया के दिन त्रीदेव अर्थात ब्रह्माजी, भगवान विष्णु और शिव भगवान ब्राह्मण का भेष धारण कर यज्ञ में भाग लेते हुए, यज्ञ की शोभा बढ़ाते थे।
डिस्क्लेमर
अक्षय तृतीया के संबंध में जानें संपूर्ण जानकारी। अक्षय तृतीया के संबंध में विद्वान पंडितों, ज्योतिष आचार्यों सहित इंटरनेट से सहायता लिया गया है। लेख लिखने का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म का एवं पर्व का प्रचार प्रसार करना और लोगों के बीच पर्व की सारी जानकारी पहुंचाना।