शारदीय नवरात्र 2023, हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा आयेगी और मुर्गे पर सवार होकर जायेगी
शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023, दिन रविवार को कलश स्थापना से शुरू हो रही है और दुर्गोत्सव की समापन 24 अक्टूबर 2023, दिन मंगलवार को होगा।
शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 15 अक्टूबर, अश्वनी माह, शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि, दिन रविवार को कलश स्थापना से होगी।
प्रतिपदा तिथि शनिवार रात 11:24 बजे से प्रारंभ होकर रविवार दिनभर रहेगा और दूसरे दिन सोमवार को रात के
12:32 बजे पर समाप्त हो जाएगा। इसके बाद द्वितीय तिथि प्रारंभ हो जाएगा। प्रतिपदा तिथि के दिन कलश स्थापना करना चाहिए।
अब हम आपको बताएंगे कि मां दुर्गे की आगवन और प्रस्थान करने के दिन और क्या कहते हैं धर्म शास्त्र
दुर्गा के आगमन का है यह श्लोक
शशि सूर्ये गजा रूढ़ा शनि भौमे तुरंग मे। गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता'।
गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे। नौकायां सर्व सिद्धि स्यात् डोलायां मरणं ध्रुवम्।
जानें श्लोक में क्या कहा गया है
इसका मतलब हुआ की मां का आगमन अगर सोमवार और रविवार को होता है। अर्थात प्रतिपदा तिथि को होता है तो मां हाथी पर सवार होकर कैलाश से पृथ्वी लोक आती है।
उसी प्रकार अगर मां दुर्गा मंगलवार और शनिवार को आने पर घोड़ा की सवारी करतीं है। बुधवार के दिन आने पर नांव पर, गुरुवार और शुक्रवार को डोली आती है।प
दिन के अनुसार मां दुर्गा की सवारी और उनके महत्व
धार्मिक और पौराणिक मान्यता के अनुसार, यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू हो रही है तो मां का वाहन हाथी होता है।
मां दुर्गा को हाथी पर आना शुभ माना गया है, क्योंकि सनातनी परंपरा और अनुष्ठान में हाथी का विशेष महत्व है। भगवान गणेश का मुख हाथी का सुड़ है। उसी प्रकार शादी विवाह के मौके पर हाथी का प्रतीक चिन्ह रखा जाता है। इस बार मां दुर्गा हाथी पर बैठकर पृथ्वी लोक आने से देश दुनिया में खुशहाली और हर तरह का सुख और समृद्धि का सम्राज्य रहेगा। इसलिए मां का आगमन शुभ माना जा रहा है।
यह श्लोक है मां दुर्गा को जानें का है
गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे। नौकायां सर्व सिद्धि स्यात् डोलायां मरणं ध्रुवम्
बुध शुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टि का। सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा।
इस श्लोक का अर्थ इस प्रकार है। 09 दिनों तक पृथ्वी लोक में रहने के बाद दसवें दिन मां कैलाश के लिए प्रस्थान कर जाती है। मां दुर्गा दशमी तिथि को इस भूलोक से प्रस्थान करती है।
मां दुर्गा सोमवार और रविवार को अगर पृथ्वी लोक से प्रस्थान करती है तो, भैसे पर सवार होकर जाती है। मंगलवार और शनिवार को प्रस्थान करने पर मुर्गे की सवारी करती है। बुधवार और शुक्रवार को प्रस्थान करने पर हाथी की सवारी है। गुरुवार को प्रस्थान करने पर मनुष्य की सवारी करती है। इस बार दसमीं तिथि मंगलवार को पड़ रहा है। इसलिए मां दुर्गा मुर्गे पर सवार होकर जायेगी।
नवरात्रि में मां अंबे के पृथ्वी लोक से जानें की सवारी और उनके संकेत
अगर नवरात्रि शनिवार और मंगलवार को समाप्ति हो रहा है, तो मां दुर्गा मुर्गे पर सवार होकर जायेगी। मुर्गे की सवारी दुख, दर्द, संकट और अत्याचार में वृद्धि की ओर इशारा करता है।
मां का आगमन काफी शुभ है, परंतु उनका जाना संकट को आमंत्रित करता है। देश दुनिया में भयंकर मार काट होगी और चारों-ओर रक्तपात ही रक्तपात होगा। देश दुनिया में चारों ओर हाहाकार मचा रहेगा। इसलिए मां दुर्गा का जाना काफी दुखदाई और कष्ट दायक रहेगा।
मां दुर्गा के कौन-कौन से वाहन हैं?
अलग-अलग दिन के अनुसार नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न वाहन होते हैं। मसलन डोली, नाव, घोड़ा, भैंसा, मुर्गा, मनुष्य और हाथी हैं।
अब जानें कलश स्थापना का समय
शारदीय नवरात्रा 15 अक्टूबर 2023 दिन रविवार से शुरू होगा। अश्विनी मास, शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा तिथि जो 14 अक्टूबर, दिन शनिवार की रात 12:32 बजे से शुरू होकर रविवार दिन भर रहेगा। कलश स्थापना करने का शुभ समय सुबह का बेला रहता है।
कलश स्थापना करने का सुबह का मुहूर्त
शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 15 अक्टूबर 2023 से हो रहा है। इस दिन सुबह 8:00 बजे से लेकर दोपहर 3:00 बजे तक कलश स्थापना करने का शुभ मुहूर्त है। आईए जानते हैं विस्तार से शुभ मुहूर्त का क्या है समय।
चार मुहूर्त सुबह 07:48 बजे से लेकर 09:14 बजे तक रहेगा।
उसी प्रकार लाभ मुहूर्त 09:14 बजे से लेकर 10:40 बजे तक, अमृत मुहूर्त 10:40 बजे से लेकर 12:07 बजे तक और शुभ मुहूर्त दिन के 01:33 बजे से लेकर 02:49 बजे तक रहेगा।
इसी प्रकार पंचांग के अनुसार अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:44 बजे से लेकर 12:30 बजे तक, अमृत कल दिन के 11:20 बजे से लेकर 01:03 बजे तक और विजय मुहूर्त दिन के 02:02 बजे से लेकर 02:48 बजे तक रहेगा। इस दौरान मनपसंद मुहूर्त के अनुसार आप कलश स्थापना कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर
यह लेख पूरी तरह धर्म शास्त्रों पर आधारित है। लेख लिखने के पूर्व इंटरनेट से और विद्वान पंडितों से सहयोग लिया गया है। लेख लिखने का मुख्य उद्देश्य मां दुर्गा के आगमन और प्रस्थान करने वाले वाहनों सहित उसके प्रभाव का विश्लेषण करना ही मात्र हमारा उद्देश्य है। यह लेख सनातन धर्म के प्रचार प्रचार और अपने त्योहार के प्रति आस्था और समर्पण के भाव प्रदर्शित करने के लिए लिखा गया है। भूल चुके लिए हम पाठकों से क्षमता प्रति है।