श्रावण माह 4 जुलाई से प्रारंभ, समाप्ति 31 अगस्त को, आठ सोमवारी करें

श्रावण 2023, 4 जुलाई, श्रावण माह के कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि, विक्रम संवत 2080 से प्रारंभ होगा और 31 अगस्त को समाप्ति।
र वर्ष श्रावण माह एक महीने का ही होता है। लेकिन इस वर्ष 2 महीने का श्रावण माह होगा।

इस वर्ष श्रावण महीने में मलमास अर्थात अधिकमास लग रहा है। 18 जुलाई से 16 अगस्त तक श्रावण माह के बीच अधिकमास अर्थात मलमास रहेगा। 

श्रावण में सोमवारी पूजा का विशेष महत्व रहता है। कारण सोमवार का दिन भगवान भोले शिव को समर्पित है। इस वर्ष श्रावण माह में 4 की जगह 8 सोमवारी होगा।
श्रावण माह में कब-कब सोमवारी व्रत पड़ रहा है
  • पहला सोमवार- 10 जुलाई 2023
  • दूसरा सोमवार- 17 जुलाई 2023
  • तीसरा सोमवार- 24 जुलाई 2023
  • चौथा सोमवार- 31 जुलाई 2023
  • पांचवा सोमवार- 07 अगस्त 2023
  • छठा सोमवार- 14 अगस्त 2023
  • सातवां सोमवार- 21 अगस्त 2023
  • आठवां सोमवार- 28 अगस्त 2023

श्रावण माह में पड़ने वाले सोमवारी व्रत का विशेष महत्व और पहचान शिव पुराण में बताया गया है।

हर महीनों में ईश्वर के अनेक अवतारों की विशेष पूजा अर्चना करने का विधान है।

सनातनी मान्यता है कि विधि पूर्वक पूजन करने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा दृष्टि बनी रहती है। वर्ष के 12 महीनों में से एक महीना होता है, श्रावण माह का।

हिंदु धर्म शास्त्र में श्रावण महीने का विशेष स्थान दिया गया है।

श्रावण महीना भगवान शिव की पूजा के लिए खास और विशेष माना गया है।

इस दौरान भगवान शिव और लिंग की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है।

सनातनी मान्यता है कि श्रावण के महीने में भगवान शिव की विधिवत उपासना और आराधना करने से शिव जी अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी तरह के मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

कुंवारी लड़कियों के लिए श्रावण माह बहुत मायने रखता है। कारण श्रावण माह में शिव और माता पार्वती का पूजन करने से अच्छे वर की प्राप्ति होती है।

सावन सोमवार व्रत का महत्त्व
श्रावण माह भगवान भोलेनाथ का महीना है। यह महीना बहुत ही पावन और पवित्र माना जाता है। वैसे तो इस पूरे महीने में शिव पूजन का विशेष महत्व है।
जो शिव भक्त श्रावण माह में पड़ने वाले सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजन विधि विधान से करते हैं। वैसे लोगों को भगवान भोलेनाथ की असिम कृपा दृष्टि प्राप्त होती है।
शिव पूजन करने से आर्थिक और संसारिक कष्ट दूर हो जाते हैं। विवाहित स्त्रियां अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय और चिंतामुक्त बनाने के लिए श्रावण माह में पड़ने वाले सोमवारी का व्रत करती हैं।
अविवाहित स्त्रियां अपने लिए अच्छे वर पाने के लिए भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा आराधना श्रद्धा पूर्वक करती हैं। इस महीने में सोमवारी व्रत करने वाले शिव भक्तों को यह विश्वास रहता है कि भगवान भोलेनाथ उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।

सावन से शुरू कर सकते हैं सोमवारी व्रत
श्रावण माह से ही 16 सोमवारी व्रत का शुभारंभ करना शुुुभ माना जाता है। जो लोग सावन के महीने से इस व्रत का आरम्भ करते हैं उनकी सभी तरह के मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

व्रत करने से मिलता है अद्वितीय फल, जानें कैसे
सनातन धर्म में श्रावण माह का विशेष महत्व है और इस पूरे माह में श्रद्धा भाव और विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ का पूजन करना काफी फलदायी माना गया है।
सनातन संस्कृति में संहार के देवता शिव को माना गया हैं। वहीं इन्हें शंकर, आशुतोष, नागेश्वर, महाकालेश्वर, बाबा विश्वनाथ, महादेव, भोलेनाथ सहित अनेक नामों से जाना जाता है। ऐसे में भगवान शिव की पूजा के लिए सप्ताह में पड़ने वाले दिन सोमवार को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
वहीं ज्योतिष के अनुसार सोमवार दिन के कारक देव भी महादेव ही हैं। संहार के देव होने के बावजूद भगवान शिव अत्यंत भोले हैं, इसीलिए इन्हें भोलेनाथ भी कहा गया है।
ऐसे में इस दिन यानि सोमवार को शिव पूजन करने से वे अत्यंत और आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। जिसके चलते भक्त मनचाहा आशीर्वाद इनसे प्राप्त करते हैं।
लेकिन एक ओर जहां शिव अत्यंत सरल और भोले हैं, तो वहीं यह अत्यंत क्रोधी भी हैं, इसलिए इनकी पूजा के दौरान सतर्क रहना चाहिए।
व्रत करने के दौरान भूल से भी ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए, जिसके कारण भगवान शंकर क्रोधित हो जाएं।
भगवान शिव की पूजा करने से मनुष्य को जीवन में हर वह सुख और समृद्धि मिलती है, जिसकी लोग कामना करता है। 
वहीं यह भी माना जाता है कि यदि कोई भक्त भोलेनाथ के पूजा में किसी तरह के चूक कर देता है तो उससे केवल भोले शिव ही नहीं, बल्कि उनका पूरा परिवार ही क्रोधित हो जाते हैं।

अब जानें पंचांग के अनुसार कैसा रहेगा पहला दिन
प्रतिपदा तिथि 03 जुलाई, दिन सोमवार को शाम 05:08 बजे से शुरू होकर 04 जुलाई, दिन सोमवार को दोपहर 01:30 बजे तक रहेगा। सूर्योदय सुबह 05:28 बजे और सूूर्यास्त शाम 07:23 बजे पर होगा। चंद्रोदय रात 08:40 बजे और चंदास्त अहले सुबह 05:56 बजे पर होगा।
श्रावण माह, प्रतिपदा तिथि के दिन नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा सुबह 8:00 बज के 25 मिनट तक रहेगा। इसके बाद उत्तराषाढा हो जायेगा। प्रथम करण कौलव है। द्वितीय करण तैतिल है। योग इन्द्र दिन के 11:50 बजे तक इसके बाद गर हो जायेगा।
सूर्य मिथुन राशि में और चंद्रमा धनु राशि में दिन के 01:44 बजे तक इसके बाद मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। आयन दक्षिणायन है। ऋतु वर्षा है। दिनमान 13 घंटा 55 मिनट का और रात्रिमान 10 घंटा 05 मिनट का रहेगा।
होमाहुति चन्द्र सुबह 08:28 बजे तक रहेगा। इसके बाद मंगल हो जायेगा। दिशाशूल दक्षिण, राहुवास दक्षिण, अग्निवास पाताल सुबह 06:16 बजे तक इसके बाद आकाश हो जाएगा। चन्दवास दक्षिण दिशा में है।

पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार श्रावण माह के प्रतिपदा के दिन अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:58 बजे से लेकर 12:53 बजे तक रहेगा। उसी प्रकार अमृत काल दोपहर 12:00 से लेकर देर रात 01:24 बजे तक रहेगा।
गौधूलि मुहूर्त शाम 07:09 बजे से लेकर 07:33 बजे तक, सांयाह्य सांध्य मुहूर्त 07:23 बजे से लेकर 08:24 बजे तक, निशिता मुहूर्त रात 12:05 बजे से लेकर 12:46 बजे तक, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:08 बजे से लेकर 04:48 बजे तक और प्रातः सांध्य मुहूर्त सुबह 04:28 बजे से लेकर 05:28 बजे तक रहेगा।

पंचांग के अनुसार अशुभ मुहूर्त
श्रावण माह के प्रतिपदा तिथि के दिन अशुभ मुहूर्त का शुभारंभ सुबह 08:57 बजे से लेकर 10:41 बजे तक यमगण्ड काल रहेगा।
उसी प्रकार गुलिका काल मुहूर्त 12:25 से लेकर रात 02:10 तक रहेगा।
राहुकल काल का आगमन दिन के 03:54 बजे लेकर 05:39 बजे तक रहेगा।
डिस्क्लेमर
यह लेख पूरी तरह धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं पर आधारित है। तिथि, शुभ और अशुभ मुहूर्त पंचांग से लिया गया। यह लेख सनातन धर्म की प्रचार और प्रसार के लिए लिखा गया है। सनातनी पर्व और त्योहारों के बारे में पूरी तरह से आपको जानकारी मिल सके इसलिए आचार्य और ब्राह्मणों से विचार-विमर्श कर लिखा गया है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।
यह लेख पढ़कर आपको कैसा लगा इसकी जानकारी हमें ई-मेल पर जरूर दीजिए।

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