25 मई से लेकर 02 जून तक लोग रहे सावधान नहीं तो पड़ जायेंगे भीषण परेशानियों में

क्या आपको पता है ? साल में 9 दिन ऐसा भी आता है, जब आपको पूरी सावधानी बरतने चाहिए। इस दौरान सूर्य की किरण सीधे पृथ्वी पर आती है और भीषण गर्मी का एहसास लोगों को करवाती है। जानें ? क्यों होता है ऐसा।

सूर्य की सीधी किरणें पृथ्वी पर आने की क्रिया को नौतपा कहते हैं।

रोहिणी नक्षत्र के आरंभ होने से लेकर अंत तक नौतपा का प्रभाव रहता है।

नौतपा नाम का मतलब है कि 09 दिन तपने वाला समय। यह वक्त गर्मी के मौसम में आता है और इस समय सूर्य एक विशेष नक्षत्र रोहिणी में रहते हैं |

नौतपा कब से शुरू होता है ?

सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में गोचर करते हैं तब उसी दिन से नौतपा शुरू हो जाता है। सूर्य लगभग 15 दिन तक रोहिणी नक्षत्र में रहते हैं। परन्तु रोहिणी नक्षत्र के जो शुरू के 9 दिन होते हैं वो विशेषकर सबसे ज्यादा गर्म होते हैं। इसीलिए इस 09 दिनों को नौतपा के नाम से जानें जानते हैं।

नौतपा वर्ष 2023 को 25 मई दिन गुरुवार से प्रारंभ हो रहा है। पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास, कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को रात 09:00 बज कर 12 मिनट से आरंभ हो रहा है और 8 जून गुरुवार को शाम को 07:06 बजे तक रोहिणी नक्षत्र में सूर्य रहेगा। इसके बाद मृगशिरा नक्षत्र प्रारम्भ हो जायेगा। परन्तु नौतपा का विशेष असर हमे 02 जून तक दिखाई देगा।


बारिश और नौतपा का क्या है संबंध

नौतपा के दौरान सूर्य की भीषण गर्मी सीधे पृथ्वी पर पड़ता है। भीषण गर्मी की वजह से कई जगहों पर तेज़ आंधी, अधिक उमस और कहीं-कहीं मूलाधार बारिश भी होती है।

नौतपा को लेकर पौराणिक मान्यताएं है की अगर शुरू के 9 दिनों तक धरती अगर खूब तपती है, तो उस वर्ष बारिश भी अच्छी होती है | दूसरी ओर अगर नौतपा के दौरान बारिश होती रहती है तो उस वर्ष बारिश कम होने की संभावना बढ़ जाती है।

नौतपा का क्या है वैज्ञानिक दृष्टिकोण

नौतपा के दौरान सूर्य देव की भीषण किरणें सीधी धरती पर आती है। जिससे वातावरण गर्म हो जाता है। तापमान में अधिक गर्मी होने के कारण भारत के मैैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का इलाका बन जाता है।

मैदानी क्षेत्र में कम दबाव बनने के कारण समुद्र की लहरों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस कारण कई जगहों पर तूफान और भीषण बारिश भी देखने को मिलते हैं |

नौतपा की शुरूआत होने के साथ ही सूर्य भगवान की सीधी तेज किरणें पृथ्वी पर पड़ने शुरू हो जायेगा और भीषण गर्मी पड़ने के कारण लोगों को जलाना शुरू कर देते हैं। कुछ दिन पहले मौसम में बदलाव होने से बारिश भी देखने को मिलती है, जिससे लोगों ने मई के महीने में ठंड का भी अनुभव किया। हालांकि, नौतपा प्रारंभ होने पर लोग भीषण गर्मी का एहसास करने लगते हैं।

इतने दिन रहेगा नौतपा

जानकारी के अनुसार नौतपा 25 मई से शुरू होकर 02 जून तक रहेगा। रोहिणी नक्षत्र 25 मई दिन गुरुवार रात 09:12 बजे से शुरू होगा। पंचांग के अनुसार आपको यह भी बता दें, इस वर्ष सूर्य देव का रोहिणी नक्षत्र में 12 दिनों तक गोचर करेंगे।

क्या है नौतपा?

नौतपा, 09 दिनों का एक महत्वपूर्ण मौसमी घटनाक्रम है। यह तब होता है जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिन के लिए प्रवेश करता है और शुरुआत के 09 दिन धरती की तपन तीव्र हो जाती है। इन्हीं शुरूआती दिनों को ‘नौतपा’ कहा जाता है। 

ऐसा इसलिए कहा जाता है कि इस दौरान सूर्य पृथ्वी पर खड़ा अर्थात vertical वेरिटिकल पड़ता है। इसलिए नौतपा अमूमन मई-जून के महीने के बीच आता है।

नौतपा से बनते हैं बारिश के आसार

अनेक खोज (अनुसंधान) बताते हैं कि नौतपा में सूर्य की किरणें सीधे धरती पर पड़ती है और इस दौरान समुद्र के पानी का वाष्पीकरण भी तेज़ी से होता है। तेज़ी से वाष्पीकरण की वजह से बादलों का निर्माण होता है।

इससे मानसून में अच्छी बारिश होने के आसार बनते हैं। यह भी बताया गया कि इस दौरान पूरे उत्तर भारत में गर्म हवाएं और लू चलने लगती हैं। 

नौतपा का क्या है वैज्ञानिक महत्व

आपको जानना जरूरी है कि नौतपा वैज्ञानिक नज़रिये से भी काफी महत्व रखता है। धरती पर सूर्य की सीधी किरणें पड़ने की वजह से तापमान भी बेहद तेज़ हो जाता है। 

अनुसंधान में बताया गया कि तापमान बढ़ने से मैदानी इलाकों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है, जो समुद्र की लहरों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। इस वजह से विश्व के कई स्थानों पर तेज़ हवाएं चलने और भारी बारिश होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।

नौतपा और मानसून में क्या है संबंध

नौतपा के दौरान पृथ्वी जितना अधिक गर्म होगा। बारिश होने की संभावना उतनी ही अधिक बढ़ जाती है। नौतपा के दौरान ही मानसून की गतिविधियां बढ़ने लगती है। और नौतपा समाप्त होते हैं पूरे भारतवर्ष में मानसून की बारिश प्रारंभ हो जाती है। इसलिए नौतपा के दौरान पृथ्वी को तपना ज़रूरी है।

नौतपा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

1.नौतपा के दौरान में सूती, हल्के और रंगहीन कपड़े पहनना ठीक रहता है। इस दौरान काले और डीप रंग के कपड़ें भूलकर भी नहीं पहनना चाहिए।

2.मिर्च-मसाले की जगह सादा भोजन अपना सकते हैं। साथ ही सत्तू, दाल-चावल, हरी-सब्ज़ी, प्याज, लहसुन के साथ-साथ पानी वाले फल जैसे तरबूज़, खरबूज़, आम पन्ना, बेल, खीरा-ककड़ी आदि खा सकते हैं।

3.सादा पानी, सत्तू जूस के साथ ही साथ फलों का जूस ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करने चाहिए।

4.धूप में निकलते समय आंखों पर चश्मा और सर पर कपड़े की पगड़ी गमछी होना जरूरी है।

5.नौतपा के दौरान दोपहर के वक्त घर से निकलते समय पेट खाली नहीं होने चाहिए। पेट भरा नहीं होने पर लू लग जाने की संभावना बढ़ जाती है।

6.नौतपा के दौरान खान-पान और पहनावे पर ध्यान देना ज़रूरी है। कारण आपके लापरवाही से जान जाने का भी खतरा बढ़ जाता है।

डिस्क्लेमर
यह लेख पंचांग लगना और विद्वान लोगों से विचार-विमर्श कर और इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर लिखा गया है। मौसम के इस बदलाव की जानकारी आपको सिर्फ सावधान रहने के लिए दिया जा रहा है।

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