मेष संक्रांति अर्थात सत्तूआन वैशाख मास, कृष्ण पक्ष, नवमी तिथि, विक्रम संवत 2080, 14 अप्रैल 2023, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा
सत्तूआन के दिन भगवान सूर्य देव मीन राशि से दिन के 03:12 बजे निकालकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे।
मेष संक्रांति सौर नव वर्ष को चिन्हित करने के लिए और खरीफ फसलों की उपज होने पर सत्तूआन पर्व मनायी जाती है।
मेष संक्रांति हिंदुओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। भक्त नदी में स्नान करते हैं। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इसे सतुआन के रूप में मनाया जाता है।
पंचांग और चौघड़िया पंचांग से जानें शुभ और अशुभ समय
सत्तूआन के दिन क्यों खाने की परंपरा है आम ?
औषधीय गुणों से भरपूर है सत्तू, साथ ही है कैंसर रोधी।
गुड़ भी है औषधीय गुणों से भरपूर
देश के अधिकांश भागों में मनाया जाता है मेष संक्रांति।
कर्म, आस्था, विश्वास, दान, परंपरा, शुभ कार्य आरंभ करने और नए खरीफ फसलों के आगमन का महत्वपूर्ण पर्व सत्तूआन 14 अप्रैल 2023, दिन शुक्रवार को धूमधाम से लोग मनायेंगे।
सत्तूआन के दिन चना दाल से बनया गया सत्तू, नमक, नया गुड़ और आम की चटनी या कच्चा-पक्का आम खाने की परंपरा है।
पंचांग के अनुसार इसी दिन से एक माह से चल रहे खरमास की समाप्ति और शुभ कार्यों का शुभारंभ हो जायेगा। सत्तूआन के दिन भगवान सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करने के कारण, इस दिन को मेष संक्रांति पर्व भी कहते हैं। यह त्यौहार पूरे भारतवर्ष में विभिन्न नामों से जाना जाता है।
भारत के अधिकांश राज्यों में मनाया जाता है मेष संक्रांति
मेष संक्रांति अर्थात सत्तूआन को बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में सत्तूआनी, उत्तराखंड में बिखोती, पंजाब में वैशाखी, केरल में विशु, पश्चिम बंगाल में पोइला बैशाख, मणिपुर में चेइरोबा और उड़ीसा में पन्ना पुथांदु पर्व के नाम से जाना जाता है।
उत्तर बिहार के दरभंगा, सहरसा आदि क्षेत्रों में रहने वाले लोग एक दिन बाद अर्थात 15 अप्रैल से जुड़ शीतल पर्व का शुभारंभ करते हैं।
वैशाख संक्रांति के दिन पितरों को सत्तू, गुड़, नमक और आम की चटनी व कच्चे-पक्के आम का भोग लगाने का विधान है।
ब्राह्मणों को मिट्टी का घड़ा जल से भरा हुआ, पंखा, छाता, सत्तू, गुड़, नमक, पैसे और आम आदि वस्तुएं दान करने चाहिए।
जानें किस तिथि को पड़ेगा सत्तूआनी
वैशाख कृष्ण पक्ष नवमी तिथि गुरुवार, 13 अप्रैल रात 01:34 बजे से शुरू होकर 14 अप्रैल रात 11:13 बजे जाकर समाप्त हो जायेगा।
14 अप्रैल को नक्षत्र सुबह 09:14 बजे तक उत्तराषाढा रहेगा इसके बाद श्रवण नक्षत्र शुरू हो जाएगा। योग सिद्ध सुबह 09:37 बजे तक रहेगा। इसके बाद साध्य योग शुरू हो जाएगा, जो शुक्रवार को दिन भर रहेगा।
भगवान सूर्य मीन राशि में दिन के 03:12 बजे तक रहेंगे। इसके बाद मेष राशि में प्रवेश कर जाएंगे। चंद्रमा मकर राशि में गोचर करेंगे। ऋतु बसंत है।
सूर्य का नक्षत्र रेवती है।
कैसा रहेगा सत्तूआन के दिन
सत्तूआन के दिन सूर्य उदय सुबह 05 बचकर 57 मिनट पर और सूर्यास्त शाम 06:46 बजे पर होगा। चंद्रोदय देर रात 02:54 बजे पर और चंद्रास्त दूसरे दिन दोपहर 12:36 बजे पर होगा।
सत्तूआन के दिन दिनमान 12 घंटा 48 मिनट का रहेगा जबकि रात्रिमान 11 घंटा 10 मिनट का होगा। आनन्दादि योग कालखंड सुबह 10:44 बजे तक इसके बाद ध्रुम्र हो जायेगा। दिशाशूल पश्चिम, राहुकाल वास दक्षिण-पूर्व, अग्निवास पृथ्वी और चंद्रवास दक्षिण दिशा में होगा।
जानें चौघड़िया और पंचांग के अनुसार पूजा करने व सत्तू खाने का शुभ मुहूर्त
सत्तूआन के दिन सुबह के वक्त चर सामान्य मुहूर्त सुबह 05:57 बजे से लेकर 07:33 बजे के बीच, लाभ उन्नति मुहूर्त 07:33 बजे से लेकर 09:09 बजे तक और अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त 09:09 बजे से लेकर 10:46 बजे के बीच है। इस दौरान सुबह का पूजा और सत्तू, गुड़ और आम खा सकते हैं।
दोपहर को शुभ मुहूर्त
दोपहर के वक्त अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 56 मिनट से लेकर 12:45 बजे तक और विजय मुहूर्त 02:30 बजे से लेकर 03:21 बजे तक रहेगा। सबसे उत्तम बात यह है कि स्वार्थ सिद्धि योग सुबह 09:14 बजे से शुरू होकर दूसरे दिन अहले सुबह 05:56 बजे तक रहेगा।
शाम के समय पूजा करने का शुभ मुहूर्त
संध्या के वक्त पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 05:10 बजे से लेकर 06:46 बजे तक चर सम्मान मुहूर्त और 06:33 बजे से लेकर 06:57 बजे तक गोधूलि मुहूर्त रहेगा। इस दौरान आप पूजा पाठ कर सकते हैं।
अब जानें मेष संक्रान्ति और सत्तूआन के संबंध में सारी जानकारियां
मेष संक्रांति अर्थात सत्तूआन के दिन भगवान सूर्यदेव उत्तरायण दिशा का आधा सफर तय कर लते हैं। हिन्दुस्तान में इस दिन को लोग अलग-अलग नामों से जानते हैं।
अन्य संक्रांति पर्व की तरह इस दिन भी लोग स्नान-दान, पितरों का तर्पण और भगवान श्रीहरि की पूजा और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
मेष संक्रांति के दिन कैसे करें पूजन, जानें संपूर्ण विधि
मेष संक्रान्ति अर्थात सत्तूआन के सुबह लोगों को उठकर स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर सूर्यदेव का दोषोपचार पूजन करें।पूजा में लाल तेल का दीपक, धूप, नवैद्य, रोली, सिन्दूर, आलता, लाल-पीली फूल, दूध और तिल का अवश्य प्रयोग करें।
पूजा के दौरान लाल और पीले फूलों का उपयोग करें और भोग में गुड़ से बने आटा का हलवा चढ़ाएं।
सूर्य देव को जल में गंगाजल और तिल मिलाकर अर्घ्य दें। पूजा के उपरांत सभी लोगों के बीच प्रसाद का वितरण करें।
संक्रांति के दिन करें ये उपाय मिलेगा सफलता
अगर आप किसी भी तरह के परीक्षा में सफल होना चाहते हैं तो भगवान सूर्यदेव पर प्रसाद के रूप में चढ़ाएं गए खजूर को गरीब बच्चों के बीच बांट देना चाहिए।
अगर आर्थिक परेशानी से आप मुक्ति पाना चाहते हैं तो अपने अलमारी के भितर आलता से ‘ह्रीं’ लिखें।
अगर आप शिक्षा के क्षेत्रों में नाम कमाना चाहते हैं तो सूर्यदेव पर चढ़ाए गए लाल पेन का हमेशा उपयोग करें।
हमारे जीवन में संक्रांति का क्या है महत्व
संक्रांति का सीधा संबंध हमारे जीवन, खेती, प्रकृति और मौसम परिवर्तन से जोड़ कर देखा जाता है। भगवान सूर्य नारायण को प्रकृति के प्रमुख कारक के रूप में जाना जाता है। ऐसे में संक्रांति के दिन सूर्य पूजा का बहुत ज्यादा महत्व हमारे वेद और पुराणों में बताया गया है।
संक्रांति के दिन पूजा-पाठ के बाद तिल का प्रसाद लोगों के बीच जरुर बांटना चाहिए।
संक्रांति के दिन कई जगह पर लोग पूजा-पाठ और व्रत भी रखते हैं। मत्स्यपुराण में संक्रांति व्रत का वर्णन हमें पढ़ने को मिलता है।
जो मनुष्य संक्रांति का व्रत रखना चाहता है उसे एक दिन पहले एक ही वक्त भोजन करना चाहिए।
संक्रांति वाले दिन साधक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर काला तिल जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए। पूजा-पाठ के उपरांत दान देने का महत्व बताया गया है।
इस दिन बिना तेल से बने भोजन करना चाहिए और अपनी सामर्थ्य के अनुसार दूसरों को भी भोजन कराना चाहिए।
संक्रांति के दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने वाले इंसान को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।
सत्तूआन के दिन क्यों खाया जाता है सत्तू ? जानें वैज्ञानिक और आध्यात्मिक गुण
1.सत्तू की तासीर ठंडी है। इसलिए गर्मी शुरू होने के साथ ही शरीर का तापमान बढ़ने लगता है।
2.सत्तू खाने से शरीर का तापमान नियंत्रण में रहता है। सत्तू एक अनाज है इसलिए इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
3.सत्तू में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन है। लिवर को मजबूत बनाता ही है साथ में एसिडिटी की समस्या दूर रखता है।
4.सत्तू गर्मी की तपिश से रक्षा करता है।
5.देर तक भूख नहीं लगने देता है।
6.लू का खतरा कम करते हुए प्यास जगाए रखता है।
7.यह डायबिटीज सहित लो और हाई ब्लड प्रेशर को भी काबू में रखता है।
8.सत्तू खाने से लोगों के थकावट, भूख, प्यास, कफ, पित्त और आंखों की बीमारी को समान्य रूप से दूर करता है।
9.इसीलिए गर्मी शुरू होते ही बिहार, झारखंड, यूपी समेत देश के अन्य राज्यों के लोग सत्तू का सेवन करना शुरू कर देते हैं 14 अप्रैल सत्तूआन के दिन से।
आम में औषधीय गुण क्या-क्या है ?
1.आम औषधीय गुणों से भरपूर है और यह कैंसर रोधी भी है।
2.आम में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट होने के कारण कैंसर से बचाव करता है।
3.इसमें एस्ट्रागालिन, क्यूसेंटिन और फिसेटिन जैसे महत्वपूर्ण तत्व मौजूद रहते हैं, जो शरीर के लिए काफी लाभप्रद है।
4.आम खाने से आंखों में चमक बढ़ जाती है।
5.आम केलोस्ट्रोल को नियंत्रण में रखता है।
6.आम रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
7.आम स्मरण शक्ति को बढ़ता है।
8.लू लग जाने पर आम को आग में पकाकर शरीर में लेप लगाने से बुखार से राहत मिलती है।
9.आम अगर थोड़ा कच्चा है तो विटामिन सी से भरपूर है जबकि पक जाने पर विटामिन ए की मात्रा बढ़ जाती है। आम का वैज्ञानिक नाम मेंगीफेरा इंडिया है।
10.आम भारत का राष्ट्रीय फल है।
11.भारत में इसका एक सौ से ज्यादा प्रजाति मिलते हैं।
12.आम से हमलोग अमावट, खटाई, चटनी, पन्ना, अचार, शर्बत, कैंडी सहित बहुत से आइटम बनते हैं।
गुड़ के औषधीय गुण और फायदे
गुड़ गन्ने के रस से बनाया जाता है। साथ ही गुड़ पोषक तत्वों का भंडार भी होता है। गुड़ में फास्फोरस, पोटेशियम, जस्ता, विटामिन ए, विटामिन बी, मैग्नेशियम, सुक्रोज, ग्लूकोज, आयरन जैसे तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, इसलिए गुड़ का सेवन हमारे सेहत के लिए काफी लाभप्रद होता है
1. सर्दी का असर कम करता है गुड़
2.पेट की तकलीफ में आराम दिलवाता है गुड़
3.त्वचा के लिए फायदेमंद व महिलाओं की परेशानियों में आराम दिलवाता है गुड़।
4.शरीर को ऊर्जावान व शक्तिवान बनाता है गुड़।
5.दमा (अस्थमा) की परेशानी को दूर करता है गुड़।
6.जोड़ों के दर्द में आराम दिलवाता है गुड़।
7.पीलिया (जोंडिस) में काफी आराम दिलवाता है गुड़।
क्या है पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार अयोध्या के पंचकोशी परिक्रमा के चौथे दिन भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को सत्तू-मूली खिलाकर महर्षि उद्दालक ने उनकी आवभगत की थी।
पौराणिक मान्यता के अनुसार आज भी भक्त अयोध्या परिक्रमा के उपलक्ष्य में पंचकोशी के चौथे दिन नुआंव में श्रीराम के भक्त विश्राम करते हैं और सत्तू व मूली प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है। श्रद्धालु, श्रीराम भक्त और साधु-महात्मा नुआंव पहुंचते हैं। इसके बाद अंजनी सरोवर में स्नान कर हनुमानजी व माता अंजनी के मंदिर में जाकर उन्हें मत्था टेकने के बाद वे सत्तू व मूली का प्रसाद खाकर रात्रि विश्राम करते हैं।
डिस्क्लेमर
यह कथा पूरी तरह धर्म शास्त्रों और पराम्परागत लोक कथाओं पर आधारित है। विद्वान आचार्य और ब्राह्मणों से भी कथा लिखते समय राय ली गई है। यह लेख सनातनी पर्व त्योहारों पर लोगों को विश्वास बढ़ाने, जानकारी देने और अपने पर्व के बारे में जानने के लिए लिखा गया है। यह सिर्फ प्रचार प्रसार का साधन मात्र है। इसके अलावा कुछ नहीं। यह लेख आपको कैसा लगा कृपा ईमेल पर जरूर अपनी प्रतिक्रिया लिखकर भेजिएगा।
Tags:
क्या आप मेष संक्रांति अर्थात सत्तूआन के संबंध में सारी जानकारी पढ़ना चाहते हैं
तो यह लेख आपके लिए है इसमें मिलेगी हर तरह की जानकारियां।