होलिका दहन 7 मार्च को, रंगोत्सव 8 मार्च बुधवार को होगा

प्रत्येक वर्ष फाल्‍गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन करने की परंपरा है।

होलिका दहन के अगले दिन चैत्र मास के प्रतिपदा तिथि को रंगों की होली खेली जाती है।

होलिका दहन के लिए प्रदोष काल अर्थात शाम का समय अच्‍छा माना जाता है।

इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 6 मार्च संध्या समय से शुरू होगी और 7 मार्च शाम को खत्‍म होगी।

दोनों ही दिन पूर्णिमा तिथि प्रदोष काल को स्‍पर्श करेगी। ऐसे में तमाम लोगों में इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि आखिर होलिका दहन किस दिन करना चाहिए।

अब जानिए ज्‍योतिषाचार्य जीतेन्द्र उपाध्याय का होलिका दहन के संबंध में क्‍या कहना है और कौन सी तिथि शास्‍त्र और धर्म सम्‍मत है।
ज्‍योतिषाचार्य जीतेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि होलिका दहन चतुर्दशी तिथि 6 मार्च को शाम 04 बजकर 17 मिनट पर समाप्त हो जायेगी। इसके बाद पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ हो जाएगी और 7 मार्च 2023, दिन मंगलवार को 06:09 मिनट तक रहेगी।

निर्णय सिन्धु पुराण के अनुसार सूर्य उदय तिथि में तिथि पड़ता है। उस तिथि को दिनभर मान्य होता है। उदया तिथि में पूर्णिमा तिथि पड़ने के कारण होलिका दहन 7 मार्च को किया जाएगा। होलिका दहन के लिए शुभ समय 7 मार्च 2023 को शाम 06:13 बजे से रात 09:38 बजे तक है। इस दौरान अमृत योग, सांध्य मुहूर्त, गोधूलि मुहूर्त और लाभ मुहूर्त का संयोग रहेगा।

8 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी। स्मृतिसार नामक धर्म शास्त्र के अनुसार जिस वर्ष फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि दो दिन के प्रदोष काल को स्पर्श करे, तब दूसरी पूर्णिमा यानी अगले दिन में होली जलाना चाहिए। इस वर्ष भी पूर्णिमा तिथि 6 और 7 मार्च अर्थात दोनों दिन शाम के समय स्‍पर्श कर रही है, ऐसे स्थिति में 7 मार्च को होलिका दहन करना शुभ रहेगा। 6 मार्च को होलिका दहन न होने का एक प्रमुख कारण यह है कि इस दिन पूर्णिमा तिथि पर भद्रा का साया रहेगा। 

6 मार्च सोमवार में शाम 04:17 बजे से भद्रा शुरू हो जाएगी और 7 फरवरी को अहले सुबह 05:15 बजे तक रहेगी. भद्रा का वास भी मृत्यु है अर्थात पृथ्वी होगा। भद्रा के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम करना वर्जित रहता है। कारण उसके अशुभ परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। निर्णय सिंधु ग्रंथ में लिखा है कि भद्रा में अगर होली जलायी जाए तो देश-दुनिया को बड़ी हानि हो सकती है और देशवासियों को बड़े भयानक संकट का सामना करना पड़ सकता है।

 7 मार्च की पूर्णिमा तिथि भद्रा काल से मुक्‍त होगी, ऐसे में 7 मार्च को ही होलिका दहन करना धर्म और शास्त्र सम्मत होगा।

कैसे रहेगा होलिका दहन का दिन जानें पंचांग के अनुसार

फाल्गुन मास, शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि के दिन मंगलवार को गोधूलि बेला में होगा। होलिका दहन के दिन सूर्योदय 06:40 बजे पर और सूर्यास्त शाम 06:24 बजे होगा। चंद्रोदय शाम 06:19 बजे और चन्द्रास्त सुबह 06:044 बजे पर होगा। नक्षत्र पूर्वाफाल्गुनी योग धृति, प्रथम करण बल, द्वितीय करण बालव, सूर्य कुंभ राशि में और चंद्रमा सिंह राशि में रहेंगे। सूर्य का नक्षत्र पूर्व भाद्रपद रहेगा। होलिका दहन के दिन आनंदादि योग धुम्र, होमाहुति चंद्र, दिशाशूल उत्तर, राहु कालवास पश्चिम, अग्निवास पृथ्वी और चंद्रमा पूर्व दिशा में रहेगा।

होलिका दहन और पूजा विधि कब करें

होलिका दहन के दौरान पूजा और उसमें अग्नि प्रज्जवलित दोनों विधि हमेशा शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। होलिका दहन की पूजा करने के लिए जातकों को सबसे पहले पूर्व दिशा की ओर मुंह करके होलिका में जल, रोली, अक्षत, फूल, पीली सरसों, गुलाल और घर में बने मिष्‍ठान अर्पित करें। खेत में उपजे नई फसल अर्थात गेहूं और चने की बालियों को होलिका में समर्पित करें और भुने हुए अन्न को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। इसके बाद होलिका की सात बार परिक्रमा करना जरूरी है।

डिस्क्लेमर
होलिका दहन से संबंधित लेख धर्मशास्त्र और पौराणिक कथाओं पर आधारित है। शुभ और अशुभ मुहूर्तों की गणना पंचांग से किया गया है। यह लेख धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार होली से संबंधित है।  यह लेख धर्म शास्त्रों से बातचीत पर आधारित है। लेख को सूचना समझकर ही पढ़े।

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