देवी मां के नित्य उपासना में ध्यान रखने योग्य बातें
देवी मां की प्रतिमा को अनामिका अंगुली से तिलक लगाए
हलदी के उपरांत कुमकुम अर्पित किजिए
डंठल देवी मां की प्रतिमा की ओर करके फूल चढाए
देवी मां को एक अथवा नौ गुना की संख्या में फूल चढाइए
फूल गोला कार में चढाकर मध्य में रिक्त स्थान रखिए
साथ ही मां दुर्गा के 108 नामों का जाप करें
सुबह और शाम दोनों समय मां दुर्गा की नित्य पूजन करें
दुर्गा मां की पूजा शुरु करने से पहले भगवान गणेश पूजन और ध्यान जरूर करें
मंत्र जाप, पूजा और दुर्गा सप्तशती की पाठ करने के तुरंत बाद भोजन ग्रहण ना करें
दो वर्ष से लेकर 11 साल के कम उम्र की कन्याओं को प्रतिदिन फल और मिठाइयां का प्रसाद रूप में दें
नवरात्रि में क्या ना करें
दुर्गा मंत्रों की जाप और दुर्गा सप्तशती के पाठ करते समय शरीर को हिलाना नहीं चाहिए
गा-गाकर और झुम-झुमकर मंत्रों का जाप नहीं करना चाहिए
नवरात्रि के दौरान मन और विचारों दोनों में पवित्रता बनाए रखें
नवरात्रि के दौरान अपनी मां, वृद्ध महिलाओं और मां की उम्र की महिलाओं का दिल ना दुखाएं, उनसे आशीर्वाद लेते रहें
नवरात्रि के दौरान छल, कपट, प्रपंच, झूठ, लड़ाई झगडे और अपशब्द न बोलें
नवरात्रि के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए, गलत लोगों की संगति से दूर रहें
हमारे घरों में लहसुन-प्याज, मीट, मछली और अंडे का इस्तेमाल होता हैं। नवरात्रि के दौरान आपको इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि आप उन चीजों का प्रयोग न करें। ऐसा करने से माता रानी आपसे नाराज हो सकती हैं
नवरात्रि के दौरान मदिरा का सेवन न करें
नवरात्रि के नौ दिनों तक, हमें मदिरा के सेवन से बचना चाहिए। नौ दिनों तक संपूर्ण सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
कन्याओं का दिल न दुखाएं
घर अकेला न छोड़ें
अखंड ज्योत का रखें ध्यान
धार्मिक बातों में मन लगाएं
नवरात्रि के दौरान इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि नवरात्रि के पावन दिनों में किसी से झगड़ा नहीं करना चाहिए। हमेशा धार्मिक बातों पर ध्यान रखकर माता रानी के नामों का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से मां दुर्गा को असिम खुशी मिलती हैं।
नवरात्रि में अशौच के दौरान न करें पूजा
अशौच समाप्ति और नवरात्रि समाप्ति एक ही दिन आने पर नवरात्रि व्रत प्रारंभ न कर पूजा अभिषेक एवं ब्राह्मणों को भोजन करवाईए।
नवरात्रि व्रत आरंभ होने के उपरांत अशौच आने पर पुरोहित द्वारा नवरात्रि पूजन करवाईए। ऐसी परिस्थिति में दूध में शक्कर मिलाकर देवी मां के लिए नैवेद्य समर्पित कीजिए। घर में पकाए अथवा अन्यों के घर से लाए गए अन्न का नैवेद्य देवी मां को अर्पित नहीं कीजिए। नवरात्रि व्रत की समाप्ति भी पुरोहित द्वारा ही करवाईए।
क्या होता है अशौच
सनातन धर्म शास्त्र के अनुसार अशौच की अवस्था क्या होता है। विशेष कर इन अवस्थाओं में अशौच माना जाता है।
मरने के बाद संस्कार के पश्चात् मृत के परिवार या सपिंड करने वालों में वर्ण क्रमा अनुसार 10, 12, 15 और 30 दिन तक धार्मिक कार्य करने की मनाही है।
रजस्वला स्त्री को तीन दिन, मल, मूत्र, चांडाल या मुर्दें आदि का स्पर्श होने पर स्नान के उपरांत। अशौच अवस्था में संध्या तर्पण आदि वैदिक कर्म नहीं किए जाते।
किसी कारण वश शारदीय नवरात्रि व्रत खंडित हो तो यह व्रत अगले शारदीय नवरात्रि में करना चाहिए।
नवरात्रि में की जाने वाली धार्मिक कृतियां पूरे श्रद्धाभाव सहित करने से पूजक एवं परिवार के सभी सदस्यों को शक्तितत्त्व का लाभ होता है।
हर तरह के बाधाओं से मुक्ति आपको मिलेगा। नवरात्रि के दौरान नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें।
शरणागत दीनार्थ परित्राण परायणे
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणी नमोस्तुते
मां की होती है तीन स्वरूप
दुर्गासप्तशति शास्त्र के अनुसार मां दुर्गा के तीन प्रमुख रूप हैं। नवरात्र के दौरान इन रूपों की पूजा होती है।
महासरस्वती, जो श्रृष्टि के ‘गति’ तत्त्व की प्रतीक स्वरूप है।
महालक्ष्मी, जो श्रृष्टि के ‘दिक्’ अर्थात ‘दिशा’ तत्त्व की प्रतीक स्वरूप है।
महाकाली जो श्रृष्टि के ‘काल’ तत्त्व की प्रतीक स्वरूप है।
जगत्का पालन और शक्ति का संचार करने वाली जगत पालनहारणी जगदोद्धारिणी मां शक्ति की उपासना सनातन धर्म में करने का विधान है। वर्ष में दो बार नवरात्रि के रूप में मां शक्ति की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
वासंतिक नवरात्रि
शारदीय नवरात्रि
मां ने कहा दानवों का संघार का कारक हूं मैं
नवरात्रि की काल अवधी में महाबली दैत्यों का वध कर देवी दुर्गा महाशक्ति बनी। देवताओं ने उनकी स्तुति गान किया। उस समय देवी मां ने सभी देवताओं एवं मानवों को अभयदान का आशीर्वाद देते हुए वचन दिया कि
इत्थं यदा यदा बाधा दानवोत्था भविष्यति ।
तदा तदाऽवतीर्याहं करिष्याम्यरिसंक्षयम् ।। मार्कंडेयपुराण ९१.५१
ऊपर दिए गए श्लोक के अनुसार जगत में जब भी तामसी, आसुरी एवं दुष्ट लोग बलवान होकर, सात्त्विक, उदार एवं धर्मनिष्ठ व्यक्तियों को अर्थात साधकों और भक्तों को कष्ट पहुंचाते हैं, तब धर्म संस्थापना करने के लिए मां शक्ति अवतार लेकर उन असुरों का नाश करती हैं।
मां दुर्गा का पूजा विधी
नवरात्रि के प्रथम दिन घट स्थापना के साथ मां दुर्गा का आवाहन कर स्थापित करते हैं। इसके अंतर्गत देवताओं की स्थापना विधि, षोडशोपचार पूजन, मां दुर्गा की अंगपूजा तथा आवरण पूजा की जाती है।
घट स्थापना के दिन वेदी पर बोए गए जौ अनाज से नवमी तक अंकुर निकलते हैं। मां दुर्गा नवरात्रि के नौ दिनों में जगत से तमोगुण का प्रभाव घटाती हैं और सत्त्वगुण बढाती हैं।
नवरात्री में प्रमुख दिन कौन-कौन हैं
पंचमी तिथि
षष्ठी तिथि
महासप्तमी तिथि
महाअष्टमी तिथि
गागर फूंकना क्या है
नवरात्रि में अष्टमी तिथि पर रात में महालक्ष्मी के सामने गागर फूंकी जाती है। गागर फूंकने से पूर्व गागर को भी मां के भक्त पूजन करते हैं। पूजन के बाद गागर में धूप रखें जाते हैं। लोग धूप दिखाई गागर फूंकते हैं।
वस्तुतः यह धार्मिक नृत्य का एक प्रकार है। महाराष्ट्र में अनेक स्थानों पर अष्टमी के दिन मां दुर्गा का विशेष पूजन होता है। इसमें चावल के आटे की सहायता से दुर्गा मां के मुखौटा बनाते हैं। इस प्रकार चावल के आटे के मुखौटे वाली देवी को खडी मुद्रा में स्थापित कर उनका विधिवत पूजन किया जाता है।
नवमी दिन करें सरस्वती पूजा
बंगाल की दुगार्पूजा
बंगाल में शारदीय दुर्गा पूजा दस दिनों तक मनाये जातें हैं। प्रतिपदा तिथि के दिन संध्या काल में दुर्गा देवी का आवाहन कर बेल के वृक्ष में उनकी स्थापना करते हैं। इसे दुर्ग अधिवास’ अथवा `छोटी बिल्लववरण’ कहते हैं। बंगाल में अष्टमी के दिन देवी मां का षोडशोपचार पूजन करते हैं। इस पूजन में माता दुर्गा को 108 कमल के फूलों से पूजा की जाती है।