श्राद्ध कर्म भोजन कराते समय बरतें सावधानियां नहीं तो पितर हो जाएंगे रूठ

अमावस्या तिथि को होता है महाश्राद्ध

25 सितंबर दिन रविवार, आश्विन माह, कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि जो देर रात 03:30 बजे तक रहेगा।

अमावस्या तिथि को वैसे पूर्वजों का पिंडदान या तर्पण किया जाता है। जिसके तिथि कर्ता को ज्ञात नहीं होता है।

मृत आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या तिथि को श्राद्ध करना जरूरी है।

श्राद्ध कर्म के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन करवाना अनिवार्य होता है। इसके अलावा कौवा ,कुत्ता और गाय को भी भोजन कराया जाता है।

पितरों को भोजन परोसने के समय यह ध्यान रखना चाहिए की कौन से अन्न हमारे पितर ग्रहण करते हैं ? कौन से अन्न को ग्रहण नहीं करते हैं ?जानें विस्तार से।


श्राद्ध कर्म में पितरों को कौन से अन्न अर्पित करें ?

दाल उबली हुई हो परन्तु मसाले रहित होना चाहिए। टूटे चावल का भात एवं टूटे हुए चावलों की खीर, कढ़ी, बडे, पूूड़ी, आम अथवा नींबू का ताजा अचार एवं सत्तू परोसना चाहिए।

खीरा, मूली, कद्दू, गोेभी, सेम, ओल, धारीधार तोरई, अरबी एवं अदरक भी परोसने चाहिए।

दही, मट्ठा, मधु, चीनी, गुड, तेल, तिल, जौ, मूंग, चना, गाय का दूध, एवं घी परोसना उत्तम रहेगा।

लड्डू, खीर, गेहूं के बने (तले हुए) खाद्य पदार्थ, चूसकर खाए जानेवाले खाद्य पदार्थ, लौंग, सुपारी एवं पान की बीडा परोसें अपने पितरों को।

जिसका व्यक्ति का श्राद्ध कर्म कर रहे हैं, उसके जीवनकाल में उसे जो खाद्य पदार्थ अच्छे लगते थे, वे पदार्थ श्राद्ध के समय ब्राह्मणों को जरूर परोसें। श्राद्ध कर्म करने के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन कराना महत्त्वपूर्ण माना गया है।

कौन-कौन से पुष्प से करें श्राद्ध कर्म

अगस्त, कांचन, मोगरा, जाही, जूही, दोलन चंपा, सुगंधा, कनकचंपा, नागचंपा, पारिजात, बकुल (मौलसिरी), सुरंगी आदि पुष्प हमारे पूर्वजों को भाते हैं।

कौन से खट्टा पदार्थ चाहिए पूर्वजों को

आंवला, इमली, बिजौरा, उंबर, कोकम, अंमड, कैथ।

इन फलों का करें श्राद्ध कर्म में प्रयोग

मकई के दाने, अखरोट, चिरौंजी, छुहारा, खजूर, नारियल, केले, अंगूर, अनार, बेर, कटहल, खरबूजा आदि फल चाहिए।

इन पदार्थों का करें उपयोग

सूखा मेवा, काली उडद, सांवा, चना, चूका, प्रियंगु (चेना), सरसों का चटनी, देवधान से बने चावल ( वैसे धान जो अपने आप उगते हैं)।

श्राद्धकर्म करने में कौन-सी वस्तुएं निषेध हैं और क्यों ? जानें विस्तार से


श्राद्ध के लिए निषिद्ध पदार्थ कौन-कौन सा है जानें विस्तार से। प्याज, लहसुन, नमक, बैंगन, मटर, हरीक एवं पुलक नाम के चावल, रामदाना, सहिजन, गाजर, कुम्हडा, किडंग (एक आयुर्वेदिक औषधि), चिचडा, मांस, काला जीरा, काली मिर्च, काला नमक, शीतपाकी, अंकुरित होनेवाला अनाज, सिंघाडा फल, जामुनी रंग के एवं सडे-गले खाद्य पदार्थ नहीं परोसना चाहिए।

ऊपर दिए गए पदार्थ तमोगुण को बढाने का काम करते हैं। तमोगुण आत्मा में जड़त्व बढाता है। इस प्रकार के खाद्य पदार्थ सेवन करने वाले पितरों में जड़त्व की निर्माण होकर उनकी आगे की गति को बाधित करती है।

डिसक्लेमर

इस लेख में दी गई सारी जानकारी हमने विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और लोक मान्यताओं से ली गई है। सटीकता या विश्वसनीयता की पूरी गारंटी हम नहीं लेते है। हमारा उद्देश्य महज आपतक धार्मिक सूचना पहुंचाना है। पढ़ने वाले सिर्फ धार्मिक सूचना समझकर पढ़ें। इसके अलावा, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं पढ़ने वाले की होगी।


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