मनुष्यों को शारदीय नवरात्रा प्रेम पूर्वक और भक्ति पूर्वक व्रत का पालन करने से हर तरह का सुख प्राप्त होते हैं
शरद ऋतुएं संसार में प्राणियों के लिए दुर्गम है। अर्थात आत्म कल्याण के इच्छुक व्यक्तियों को बड़े यत्न के साथ यह नवरात्र व्रत करने चाहिए
नवरात्रि के दिन करें हवन, जानें सारी जानकारी
नवरात्रि में नवमी के दिन हवन करने का विधान है। नवमी के दिन हवन के लिए एक नारियल का सूखा गोला लें। इसके अलावा लाल रंग का कपड़ा, कलावा, त्रिकोणा हवन कुंड, सूखी आम की लकड़ी, आम के पत्ते, अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, चंदन की लकड़ी, बेल, नीम, पीपल का तना और छाल, गूलर की छाल इत्यादि सामग्रियों की व्यवस्था आपको करनी होंगी। हवन पूजन सामग्री के तौर पर काला तिल, कर्पूर, चावल, गाय का घी, मनू, लौंग, लोभान, गंगाजल, इलायची, गुग्गल, दूध, दही, जौ और गुड़ इत्यादि की भी व्यवस्था आपको करनी पड़ेगी।
नवमी के दिन हवन कैसे करें
नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन सबसे पहले मां सिद्धिदात्री की पूजा करें। इसके बाद पूजा स्थान पर हवन कुंड बनाएं। इसके बाद सभी हवन सामग्रियों को मिलाकर एक साफ बर्तन में रखें। पीतल या तांबे का बर्तन उत्तम रहेगा। पीतल या तांबे का बर्तन नहीं रहने पर आप स्टील का बर्तन भी उपयोग कर सकते हैं। सूखी लकड़ियों को हवन कुंड में रखकर कर्पूर और घी की मदद से अग्नि प्रज्वलित करें। अपने सिर पर रुमाल या तौलिया रख लें। अब मंत्रोच्चार करते हुए हवन सामग्री की आहुति दें। हवन के मंत्र नीचे दिया गया है।
इन मंत्रों को पढ़ते हुए आहुति दे
ओम् आग्नेय नम: स्वाहा
ओम् गणेशाय नम: स्वाहा
ओम् नवग्रहाय नम:
ओम् दुर्गायै नम: स्वाहा
ओम् महाकालिकाय नम: स्वाहा
ओम् हनुमते नम: स्वाहा
ओम् भैरवाय नम: स्वाहा
ओम् स्थान देवताय नम: स्वाहा
ओम् कुल देवताय नम: स्वाहा
ओम् ब्रह्माय नम: स्वाहा
ओम् विष्णुवे नम: स्वाहा
ओम् शिवाय नम: स्वाहा
हवन करने का संकल्प लें और खीर और पुड़ी अग्नि में समर्पित करें
नवमी तिथि आने पर व्रतधारियों को सभी हवन सामग्री एकत्र कर लें और उस दिन एक वक्त व्रत करें और खीर ग्रहण करें। हवन करने के लिए सच्चे मन से मां दुर्गा का स्मरण करते हुए संकल्प लेना चाहिए।
हवन के दौरान बजाए वाद्ययंत्र
वेदी के पास पूजा की सब सामग्रियां रख लें। उत्सव के निमित्त गीत तथा वाद्ययंत्र से ध्वणि भी करनी चाहिए। नवमी तिथि में हवन श्रेष्ठ माना जाता है। नवमी के दिन विधि पूर्वक हवन करने से मनुष्यों के संपूर्ण मनोरथ पूर्ण होता है। हवन करने के पूर्व ही वाद्य यंत्रों को बजाना चाहिए। हवन करने के दौरान वाद्य यंत्र बजाना पूरी तरह बंद कर देना चाहिए।
नवमी के दिन उपवास व्रत जो एक मुक्त व्रत अथवा नक्त व्रत इसमें से किसी एक व्रत के द्वारा नियमित करने के पश्चात ही हवन करनी चाहिए।
हवन करने के पूर्व करें प्रार्थना
हवन करने के पहले प्रार्थना करते हुए कहे हे माता मैं सर्वश्रेष्ठ नवरात्र व्रत पूर्ण किया। हे देवी, हे जगदंबे इस पवित्र कार्य में आप मेरी संपूर्ण सहायता किऐ होंगे, यह मुझे पुर्ण विश्वास है। अब मैं हवन करने जा रहा हूं। नवरात्रा के दौरान और हवन उनके के दौरान मुझसे जो गलती होगी उसे आप अपना भक्त समझ कर माफ कर देंगे। हवन करने के लिए यथाशक्ति नियम रखें। इसके बाद मंत्रोच्चारण एवं विधि पूर्वक भागवत भगवती का पूजन करें।
इन पुष्पों से करें मां की पूजा
चंदन, अगरू, कपूर, मांदर, करंज, अशोक, चंपा कनैल, मालती, ब्राह्मणी आदि सुगंधित पुष्पों, सुंदर बिल्वोपत्रों, धूप, दीप से विधिवत् भगवती जगदंबा का पूजन करना चाहिए। इस अवसर पर अर्ध्य भी प्रदान करें।नारियल, बिजौरा निंबू, दांडिम, केला, नारंगी, कटहल तथा बिल्व फल आदि अनेक प्रकार के सुंदर फलों के साथ भक्ति पूर्वक पूजा करें तथा अन्न के नवैद्य तथा पवित्र बलि अर्पित करें।
हवन करने के लिए त्रिकोणीय कुंड बनाएं
होम करने के लिए त्रिकोणीय कुंड बनाना चाहिए। अथवा त्रिकोण के मान के अनुरूप बनाना चाहिए। उनके अलावा विभिन्न प्रकार के सुंदर द्रव्यों से प्रति दिन माता भगवती त्रिकाल अर्थात सुबह, शाम और मध्य रात्रि पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही गायन, वादन तथा नृत्य के द्वारा महान उत्सव मनाना चाहिए।
व्रती को रोजाना भूमि पर सोना चाहिए
व्रती को रोजाना भूमि पर सोना चाहिए। वस्त्र, आभूषण तथा अमृत के समान दिव्य भोजन आदि से कुमारी कन्याओं का पूजन करें। नित्य एक-एक कुमारी कन्या की संख्या के वृद्वि क्रम के अनुसार पूजन करें अथवा प्रतिदिन दुगुने तिगुने के वृद्धि क्रम से या तो प्रत्येक दिन 9 कुमारी कन्याओं का पूजन करें।
देवी अनुष्ठान में धन की कमी ना करें
अपने धन सामर्थ्य के अनुसार भगवती की पूजा करें। देवी के यज्ञ में धन की कमी ना करें।
कुमारी कन्या के पूजन के लिए 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष के बीच की होनी चाहिए।
बीज मंत्र से करें देवी की पूजा
श्रीरस्तु इस मंत्र से, अथवा किन्ही भी श्री युक्त देवी मंत्र से अथवा बीज मंत्र से भक्ति पूर्वक भगवती की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद व्रती को हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कहना चाहिए कि जो भगवती कुमार के रहस्यमय तत्व और ब्रह्मा आदि देवताओं की भी लीला पूर्वक रक्षा करती है उन कुमारी का मैं पूजन करता हूं।
हवन करने के पूर्व इस प्रकार करें प्रार्थना
जो सत्य, धर्म और काम आदि तीनों गुणों से तीन रूप धारण करती है जिसके अनेक रूप हैं तथा जो तीनों कालों में सर्वत्र व्याप्त रहती है। उन भगवती त्रिमूर्ति की मैं पूजा करता हूं। निरंतर पूजित होने पर जो भक्तों का नृत्य कल्याण करती है। सब प्रकार की कामनाओं को पूर्ण करने वाली भगवती कल्याणी का भक्ति पूर्वक पूजन करता हूं।
मैं मां रोहिणी की उपासना करता हूं
जो देवी संपूर्ण जीवों के जन्म के संचित कर्म रूपी बीजों का रोपण करती है उस भगवती रोहिणी की उपासना करता हूं। जो देवी काली कालांतर में कल्पान्त में चराचर सहित संपूर्ण ब्रह्मांड को अपने में विलीन कर लेती है उन भगवती कलिका की मैं पूजन करता हूं।
भगवती चंडिका की मैं पूजन करता हूं
अत्यंत उग्र स्वभाव वाली, रूप धारण करने वाली चंड-मुंड को संहार करने वाली तथा घोर पापों को नाश करने वाली भगवती चंडिका की मैं पूजन करता हूं। वेद जिसके स्वरूप है। उन्हीं वेदों के द्वारा जिनकी उत्पत्ति अकारण बतायी गयी है उन सुखदायिनी भगवती शाम्भवी का मैं पूजन करता हूं।
संकट हरने वाली मां दुर्गा की पूजा करता हूं
जो अपने भक्तों को सर्वदा संकट से बचाती है। बड़े-बड़े विध्नों से बचाती है। सुखदाई भगवती क्षमा भी करती है जो अपने भक्तों को सदा संकट से बचाते हैं बड़े-बड़े विघ्नों तथा दुःखों को नाश करती है और सभी देवताओं के लिए दुर्ज्ञय है। उस भगवती दुर्गा को मैं पूजा करता है।
भगवती सुभद्रा की मैं पूजा करता हूं
जो पूजित होने पर भक्तों का सदा कल्याण करती है। उस अमंगल नाशिनी भगवती सुभद्रा की मैं पूजा करता हूं। व्रती को चाहिए कि वस्त्र, आभूषण, माला और गंध आदि श्रेष्ठ उपचारों से इस मंत्र के द्वारा सर्वदा कन्याओं का पूजन करें।
सप्तमी, अष्टमी और नवमी को जरूर करें पूजा
नवरात्रि उपवास करने में असमर्थ लोगों के लिए 3 दिन का उपवास भी यथोचित फल प्रदान करने वाला बताया गया है भक्ति भाव से केवल सप्तमी अष्टमी और नवमी इन 3 तिथियों में देवी का पूजन करने से सभी फल सुलभ हो जाते हैं। पूजन, हवन कुमारी पूजन तथा तथा ब्राह्मण भोजन इसको संपन्न कराने से वह नवरात्र व्रत पूरा हो जाता है ऐसा देवी भगवती पुराण में कहा गया है।
सभी व्रतों से नवरात्र व्रत उत्तम
इस पृथ्वी लोक में जितने भी प्रकार के व्रत और दान हैं। वे सभी इस नवरात्र व्रत के तुल्य नहीं हैं। नवरात्र व्रत सदा धन धन्य प्रदान करने वाला है। मनुष्यों को सुख तथा संतान की वृद्धि करने वाला है। साथ ही आयु तथा आरोग्य प्रदान करने वाला और स्वर्ग तथा मोक्ष देने वाला है नवरात्र व्रत।
व्रत का विधि पूर्वक करें अनुष्ठान मिलेगा फल
विद्या, धन अथवा पुत्र इसमें से मनुष्य किसी की भी कामना करता हो उसे इस सौभाग्य दायक तथा कल्याणकारी व्रत का विधि पूर्वक अनुष्ठान करना चाहिए। इस व्रत का अनुष्ठान करने से विद्या चाहने वाले मनुष्य को समस्त विद्या प्राप्त कर लेता है और अपने राज्य से वंचित राजा फिर से अपना राज प्राप्त कर लेता है।
इस जन्म में करें व्रत पूर्व जन्म में मिलेगा फल
पूर्व जन्म में जिन लोगों द्वारा यह उत्तम व्रत नहीं किया गया है वह इस जन्म में रोग ग्रस्त तथा संतान रहित होते हैं। जो स्त्री विधवा, वान्ध्य अथवा धनहीन है। उसके विषय में यह अनुमान कर लेना चाहिए कि उसने आवश्य ही पूर्व जन्म में यह व्रत नहीं किया था।
लाल चंदन मिश्रित बिल्वपत्रों से करें जगदंबा की पूजा
इस पृथ्वी लोक में जिस प्राणी ने नवरात्रा का व्रत अनुष्ठान नहीं किया। वह इस लोक में वैभव प्राप्त करके स्वर्ग का आनंद कैसे प्राप्त कर सकता है।जिसने लाल चंदन मिश्रित कोमल बिल्वपत्रों से भगवती जगदंबा की पूजा की है, वह इस पृथ्वी का राजा होता है।
कष्टों और शत्रुओं पर विजय के लिए करें मां की आराधना
जिस मनुष्य ने दुःख तथा संनताप का नाश करने वाली सिद्धियां देने वाली जगत में सर्वश्रेष्ठ शाश्वत तथा कल्याण स्वरूपनी भगवती की उपासना नहीं कि वह इस पृथ्वी तल पर सदा ही अनेक प्रकार के कष्टों से ग्रसित और शत्रुओं से पीड़ित रहता है।
देवी चंडिका की पूजा देवता भी करते हैं
विष्णु, इंद्र, शिव, अग्नि, ब्रह्मा, कुबेर, वरुण तथा सूर्य समस्त कामनाओं से परिपूर्ण होकर हर्ष के साथ जिस भगवती का ध्यान करते हैं उन देविका देवी चंडिका का ध्यान मनुष्य क्यों नहीं करता है। देवता गण इनके स्वाहा नाम मंत्र के प्रभाव से तथा पितृगण स्वधा मंत्रों से नाममंत्र के प्रभाव से तृप्त होते हैं।
हर काम मां के इशारों पर होती है
इसलिए महान मुनिजन प्रसन्नता पूर्वक सभी यज्ञों तथा श्राद्ध कर्मों में मंत्रों के साथ स्वाहा तथा स्वधा नामों का उच्चारण करते हैं। जिनके इच्छा से ब्रह्मा इस सृष्टि का सृजन करते हैं। भगवान विष्णु अवतार लेते हैं। भगवान शिव जगत को भस्मसात करते हैं। उन कल्याणकारी भगवती को मनुष्य क्यों नहीं भजता है।
सभी पापों की होगी मुक्ति, करें नवरात्रा
यदि कोई महा पापी भी नवरात्र व्रत करें तो वह समस्त पापों से मुक्त पा लेता है। इसमें लेश मात्र भी विचार नहीं करना चाहिए।
डिसक्लेमर
इस लेख में दी गई सारी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी हम नहीं लेते है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर यह जानकारियां आप तक पहुंच रहे हैं। हमारा उद्देश्य महज आपतक सूचना पहुंचाना है। पढ़ने वाले सिर्फ सूचना समझकर पढ़ें। इसके अलावा, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं पढ़ने वाले की होगी।