श्राद्ध कर्म करने के दौरान पितरों को भोजन कराने की परंपरा है। उसी क्रम में ब्राह्मणों एवं पितरों को भोजन खिलाना ज़रूरी है।
ब्राह्मणों को श्राद्ध कर्म करने के उपरांत भोजन कराना जरूरी है।
इसके लिए आपको शास्त्रों में बताए गए नियमों का पालन करना होगा। तभी जाकर आपके पूर्वज को आपके द्वारा परोसे गए भोजन का सेवन कर सकेंगे।
श्राद्ध में भोजन परोसते समय 14 नियमों का करें पालन, पूर्वजों को मिलेगी मुक्ति, देंगे भरपूर आशिर्वाद और जीवन में आयेंगी खुशियां अपार।
अब जानें कैसे परोसें भोजन ? किस स्थान पर रखें कौन सा खाद्य पदार्थ ? इन सभी चीजों की विस्तृत जानकारी इस लेख में आपको पढ़ने को मिलेगा।
पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों के लिए परोसी गई थाली उलटी दिशा में होनी चाहिए। मतलब घडी के कांटे की विपरीत दिशा में रहनी चाहिए।
थाली के आगे भस्म की रेखा बनाएं, तो अच्छा रहेगा।
भोजन केले के पत्ते, शाल वृक्ष के पत्तों या मोहा नामक वृक्ष के पत्तों से बनी पत्तल पर परोसना धार्मिक मान्यता के अनुसार अच्छा रहेगा।
भोजन कराते समय श्राद्धीय ब्राह्मणों की थाली में नमक परोसना वर्जित है।
पके अन्न, लड्डू और मिठाईयां आदि सामान हाथ से ही परोसने चाहिए। दूसरी ओर भाजी-तरकारी अर्थात सब्जी, सलाद, चटनी आदि खाद्य पदार्थ कभी भी हाथों से नहीं परोस चाहिए। उसे परोसने के लिए चम्मच या कलछुल का प्रयोग करें।
अब हम जानेंगे थाली में परोसते समय खाद्य पदार्थों का क्रम कैसा रहेगा। साथ ही कैसा रहेगा स्थान। जानें श्राद्ध कर्म शास्त्रों के अनुसार।
श्राद्ध के दिन खिलाये जानें वाली थाली को चार भागों में बांटा गया हैं। थाली के बाएं, दाएं, सामने और मध्य ये चार भाग होते हैं। जिसे हम श्राद्ध चौरस खाद्य पदार्थ युक्त थाल कहते हैं।
भोजन परोसते समय थाली में देसी घी का लेप लगाने से पितर खुश होते हैं।
थाली के मध्य भाग में चावल अर्थात भात परोसा जाना चाहिए।
दाईं ओर खीर, भाजी-तरकारी अर्थात सब्जी परोसना चाहिए।
थाली के बाईं ओर नीबू, चटनी, आचार और कचूमर परोसें।
थाली के सामने सांबार, कढी, दाल, पापड, पकौडी एवं उडद के बने बडे़ और लड्डू जैसे खाद्य पदार्थ परोसें जानें चाहिए।
अंत में चावल के ऊपर देसी घी और दही परोसना उत्तम और फलदाई होगा।
शास्त्रों के अनुसार पितरों के लिए तैयार किए गए थाली को हमेशा उलटी दिशा में रखकर खाद्य पदार्थों को परोसें।
खाद्य पदार्थो से रज-तमात्मक तरंगें उत्पन्न होकर मृत आत्मा के लिए अन्न ग्रहण करने का माध्यम बन जाते हैं।
अपने पुरखों और ब्राह्मणों को भोजन परोसते समय एक को कम एवं दूसरे को अधिक, एक को अच्छा तो दूसरे को खराब ऐसा बर्ताव न करें।
श्राद्धपक्ष के दिनों में तो, इस प्रकार के भेदभाव बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।
श्राद्धविधि पूर्ण हुए बिना छोटे बच्चे, अतिथि, गौ, कौवा अथवा अन्य किसी को भी श्राद्ध का भोजन न करने दें।
डिसक्लेमर
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