भक्तों के हर कष्टों का निवारण और मुक्ति प्रदान करने वाला एकमात्र व्रत अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर दिन शुक्रवार को है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा होती है
अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा
अनंत सूत्र में क्यों बांधे जाते हैं 14 गांठ
अनंत सूत्र में बांधे जाने वाले 14 गांठ जो कि 14 लोकों का प्रतीक माना जाता है। बांधें जाने वाले अनंत सूत्र में 14 लोक समाहित है। इस पूरे ब्रह्मड में 14 लोक है। पृथ्वी से ऊपर 7 लोक और पृथ्वी के अंदर 7 लोक स्थित है। मान्यत है कि 14 लोकों का मालिक भगवान अनंत अर्थात श्री विष्णु है। इसलिए अनंत सूत्र बांधने से 14 लोकों का पुण्य मिलता है।
जानें कौन-कौन लोक है
पृथ्वी के नीचे अतल लोक, वितल लोक, सतल लोक, रसातल लोक, तलातल लोक, महातल लोक और पाताल लोक स्थित है।
अनंत चतुर्दशी व्रत के भी कुछ नियम होते हैं, यदि आप इन नियमों को नहीं मानते हैं तो आप इस व्रत को पूरा नहीं कर सकते हैं। जैसे, अगर आप अनंत चतुर्दशी व्रत करते हैं तो आपको अनंत सूत्र 1 वर्ष तक अपने हाथों में बांधे रखना होगा।
अधिकतर, लोग अनंत सूत्र बांधकर कुछ ही घंटों में खोल देते हैं। ऐसा करना सरासर गलत और धर्म के विरुद्ध है। यदि आप साल भर अनंत सूत्र नहीं बांध सकते तो चतुर्दशी चौदस मतलब 14 दिन जरूर बांधे।
पूजन के दौरान करें नौ नियमों का पालन मिलेगा अनंत फल
अनंत चतुर्दशी के दिन व्रतधारी सबसे पहले एक लकड़ी का तखत (चौकी) ले और उसे गंगाजल मिले शुद्ध जल से अच्छी तरह धो लें।
चौकी के ऊपर व्रतधारी सिंदूर के चैदह तिलक लगाएं।
चौकी पर तिलक लगाने के बाद 14 गुड़ के बने पुआ और चैदह पूरियां तिलक लगाएं स्थान पर रखें।
व्रतधारी पंचामृत (गुड़, घी, मधु, दूध और दही) बनाएं। इस पंचामृत को ‘दूध सागर’ अर्थात क्षीरसागर का प्रतीक माना जाता है।
अनंत सूत्र जो एक पवित्र धागा जिसमें 14 गांठें होती हैं। भगवान अनंत को पवित्र वस्तु पर बांधा कर उसे पांच बार ‘पंचामृत के महासागर’ में घुमाया जाता है।
व्रतधारियों को व्रत का पालन करते हैं। भगवान अनंत अर्थात श्रीविष्णु को विधिवत पूजन करें। इसके बाद हल्दी और कुमकुम से रंगे हुए पवित्र धागे को पूजा करें।
पूजा के उपरांत पुरूषों अपने दाएं हाथों में और स्त्रियों अपनी बाएं हाथों में अनंत सूत्र को बांधे।
अनंत बांधते समय अपने मुंह पूर्व और उत्तर दिशा में रखें।
स्त्री और पुरुष अपने वाहों में अनंत सूत्र एक वर्ष तक बांधे रखें। अगर नहीं बांध सकते हैं, तो 14 दिनों की अवधि के बाद, पवित्र धागा हटाएं।
अनंत चतुर्दशी के दिन कब करें पूजा
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह 06:03 बजे से लेकर शाम 10:45 बजे तक शुभ मुहूर्त है। इस दौरान आप भगवान अनंत की पूजा अर्चना कर सकते हैं। वैसे भी अनंत चतुर्दशी के दिन दोपहर में पूजा करने का विधान है।
इसके बाद शुभ मुहूर्त का आगमन दिन के 12:18 बजे से लेकर 1:52 बजे तक रहेगा उसी प्रकार अभिजीत मुहूर्त 11:53 ऊ से लेकर 12:43 बजे तक और विजय मुहूर्त 2:30 बजे से लेकर 3:13 बजे तक रहेगा।
अब जाने कौन समय में रहेगा शुभ मुहूर्त
सुबह 06:03 बजे से लेकर 07:37 बजे तक चर मुहूर्त, 07:37 बजे से लेकर 09:11 बजे तक लाभ मुहूर्त, 09:11 बजे से लेकर 10:45 बजे तक अमृत मुहूर्त और 12:18 बजे से लेकर 01:52 बजे तक शुभ मुहूर्त है। इस दौरान पूजा अर्चना करना काफी शुभ होगा।
अनंत चतुर्दशी का दिन कैसा रहेगा जानें पंचांग के अनुसार
अनंत चतुर्दशी 09 सितंबर 2022, दिन शुक्रवार, शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि शाम 06:07 बजे तक रहेगा। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र दिन के 11:35 बजे तक रहेगा। इसके बाद शतभिषा नक्षत्र हो जायेगा। प्रथम करण गर जो सुबह के 07:33 बजे तक रहेगा। द्वितीय करण वणिज है। योग सुकर्मा है, जो शाम 06:12 तक रहेगा। इसके बाद धृति हो जाएगा।
अनंत चतुर्थी के दिन सूर्योदय 06:03 बजे पर और सूर्यास्त शाम 06:34 बजे पर होगा। चंद्रोदय शाम 06:13 बजे पर एवं चंद्रास्त सुबह 05:40 बजे पर होगा। सूर्य सिंह राशि में एवं चंद्रमा कुंभ राशि में रहेगा।अयन दक्षिणायन, ऋतु शरद, दिनमान 12 घंटा 30 मिनट का होगा। रात्रिमान 11 घंटा 29 मिनट का है।
आनंदादि योग धाता/प्रजापति दिन के 11:35 बजे तक इसके बाद सौम्य योग शुरू हो जाएगा। होमाहुति चंद्र, दिशाशूल पश्चिम दिशा, राहुवास दक्षिण-पूर्व दिशा, अग्निवास आकाश शाम 06:07 बजे तक इसके बाद पाताल हो जाएगा। चंद्रवास पश्चिम दिशा में रहेगा।
अनंत चतुर्दशी के पौराणिक कथा
पांडवा और कौरव के संबंधित एक कथा है पांडवों ने जुए में अपने समस्त राज पाठ हार जाने के बाद 12 वर्ष के वनवास और 1 वर्ष के अज्ञातवास काट रहे थे। इस दौरान उन्हें अपार दुख और कष्ट का सामना करना पड़ रहा था। कष्ट निवारण करने का उपाय भगवान श्रीकृष्ण से युधिष्ठिर ने पूछा।
भगवान कृष्ण ने कहा कि जुआ खेलने के कारण मां लक्ष्मी तुम लोगों से दुष्ट हो गई है। इसलिए उन्हें प्रसन्न करने के लिए अनंत चतुर्दशी के दिन तुम सभी भाई मिलकर भगवान विष्णु का व्रत करो और 14 गांठ वाले अनंत सूत्र अपने बाहों में बांधों। इससे तुम्हारा सारा कष्ट दूर हो जाएगा और तुम्हें खोया हुआ राज पाठ फिर से मिल जाएगा। भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से इस संबंध में एक कथा सुनाई जो नीचे दिया गया है।
ब्राह्मण कन्या सुशीला की पौराणिक कथा
अनंत चतुर्दशी की कथा महाभारत से जुड़ा हुआ है। भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताएं कि प्राचीन काल में तपस्वी ब्राह्मण रहता था। उसका नाम सुमंत और पत्नी का नाम दीक्षा थी। दीक्षा को सुशीला नाम की एक पुत्री हुईं।
सुशीला के बड़े होते होते दीक्षा की मृत्यु हो गई। सुमंत ने पत्नी दीक्षा की मृत्यु के बाद कर्कशा नाम की स्त्री से विवाह कर लिया। कुछ समय बाद अपनी पुत्री का विवाह ब्राम्हण सुमंत ने अपनी पुत्री सुशीला का विवाह कौंडिन्य ऋषि से कर दिया।
विवाह के बाद सुमंत की पत्नी कर्कशा ने अपने दामाद को पत्थर और ईट विदाई में दी।
पति पत्नी को चलते-चलते हुए शाम हो गई। दोनों एक नदी के किनारे पहुंच गए। रात्रि विश्राम के लिए दोनों वहीं ठहर गए। ऋषि की पत्नी सुशीला ने देखी कुछ महिलाएं पूजा पाठ कर रही है। सुशीला भी जाकर महिलाओं के साथ मिलकर भगवान अनंत की पूजा-अर्चना की। पूजा के उपरांत 14 गांठ वाला अनंत सूत्र अपना पति को दिया। पति ने उसे अस्वीकार करते हुए अनंत को फेंक दिया।
इसके बाद सुशीला के पति अत्यंत गरीब हो गया। जब सुशीला ने अनंत सूत्र को फेंकने के बाद भगवान अनंत को रूठने की बात अपने पति को बताई। पति-पत्नी ने 14 वर्षों तक अनंत भगवान की पूजा करने के उपरांत एक बार फिर से धन-धान्य से घर भर गया। भगवान अनंत की कृपा से पति-पत्नी आराम से जीवन व्यतीत करने लगे।
अनंत चतुर्दशी के दिन कब करें पारण
अनंत चतुर्दशी का व्रत दिन भर का होता है। बहुत से लोग शाम को सूर्यास्त के बाद अन्न या फल ग्रहण कर लेते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो 24 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं। वैसे लोग सुबह 4:28 के बाद पारण कर सकते हैं। क्योंकि 4:28 के बाद पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जाएगा। दिन भर उपवास रखने वाले लोग शाम के 6:00 बजे सूर्यास्त के बाद फल या अन्न ले सकते हैं।
अन्न ग्रहण करने के पूर्व ऐसे करें संकल्प
पारण करने के पूर्व व्रतधारी स्त्री और पुरुष सबसे पहले स्नान करें। हो सके तो गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए। उसके बाद नए वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु का पूजा करें।
पूजा के उपरांत हाथ जोड़कर पूजा के दौरान हुई गलती के लिए भगवान विष्णु से क्षमा मांगे। इसके बाद आरती कर घर में स्थित बड़े बुजुर्गों का चरण स्पर्श करें।
भोजन करने के पहले गाय के लिए ग्रस जरूर निकालें। भोजन के उपरांत लोगों के बीच प्रसाद का वितरण करें।