हरितालिका तीज पर करें ये सात उपाय पति होंगे दीर्घायु

अखंड सौभाग्य और मनवांछित पति की प्राप्ति के लिए सुहागन महिलाएं और कुंवारी हरितालिका तीज व्रत करती है।

हरितालिका तीज 30 अगस्त 2022, दिन मंगलवार को मनाया जायेगा।

भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष, तृतीया तिथि 30 अगस्त को शाम 03:33 बजे तक रहेगा। नक्षत्र हस्त दिन के 11:00 बज कर 50 मिनट तक इसके बाद चित्रा नक्षत्र शुरू हो जाएगा।

हरितालिका तीज व्रत पूजा करने का शुभ समय शाम 05:38 बजे से लेकर रात 08:00 बजे तक है। इस दौरान गोधूलि मुहूर्त और अमृत काल का अद्भुत सहयोग मिल रहा है।

हरितालिका तीन पर करें ये आसन उपाय, प्रति होंगे दीर्घायु


हरितालिका तीज के दिन व्रतधारी महिलाएं किसी बगीचे या मंदिर में एकत्रित होकर माता पार्वती की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और आभूषण से सजाएं।

मिट्टी से अर्द्ध गोले का आकार का पींड बनाकर माता पार्वती की प्रतिमा बीच में रखें और माता की पूजा विधि विधान से करें।

सभी व्रतधारी महिलाओं में से एक महिला पौराणिक कथा सुनाएं, बाकी सभी व्रतधारी महिलाएं कथा को ध्यान से सुनें और मन में पति का ध्यान करें और पति की दीर्घायु की कामना करते रहे।

हरितालिका तीज के दिन व्रतधारी सुहागिन महिलाएं अपनी सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। अगर घर में सास न हो तो जेठानी या घर की बुजुर्ग महिला को सुहागी दे सकती हैं।

कुछ जगहों पर महिलाएं माता पार्वती की पूजा करने के बाद लाल मिट्टी से स्नान करती हैं। ऐसी परंपरा है कि ऐसा करने से महिलाएं पूरी तरह से शुद्ध और निरोग हो जाती हैं।


अनेक स्थानों पर हरितालिका तीज के दिन मेले का आयोजन किया जाता है और मां पार्वती और भोलेनाथ की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है। दिन के अंत में वे खुशी-खुशी से गीत गाएं, नृत्य करें और झूला झूलें।

व्रतधारी महिलाएं  माता पार्वती से अपने सुहाग को दीर्घायु प्रदान करने के लिए सच्चे मन से माता पार्वती और भोलेनाथ की आराधना और पूजन करके इस त्योहार को मनाएं।

पूजा सामग्रियों की सूची

हरितालिका तीज के दिन देवी पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा करने की विधान है। पूजा करने के दौरान मां पार्वती, भगवान शिव और भगवान गणेश की तस्वीरें, तांबे या पीतल का लोटा, जल कलश के लिए मिट्टी का बर्तन, वस्त्र, आभूषण, सूखे मेवे, तिल, जौ, पान, दूध, दही, मधु, चावल, अष्टगंध, दीपक, तेल, रूई, चंदन, धतूरा, आंकड़े का फूल, बेलपत्र, भांग, घी, गन्ने का रस, गंगाजल, मौसमी फल, जनेऊ, मिठाई, नारियल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गुड़) अंत मे दक्षिण रख ले।

पूजा करने के पहले लें संकल्प

कैसे करें संकल्प इसे हम विस्तार से बताता हूं। किसी विशेष मनोकामना के पूरी करने के लिए पूजन से पहले संकल्प लेने की जरूरत पड़ती है। जानें कैसे करें संकल्प पूजा ? पूजन करने से पहले दोनों हाथों को जल से धो लें। इसके बाद हाथ जोड़कर संकल्प लेंं। संकल्प लेने से पहले हाथ में चावल, जल, दूर्वा और पुष्प रख लें। संकल्प में जिस दिन पूजा कर रहे हैं उस दिन का नाम, अपना नाम, कौन सी तिथि, विक्रम संवत, देश का नाम, जगह का नाम और गोत्र का नाम लेकर अपनी इच्छा बोलेें। इसके बाद हाथ में लिए हुए सभी चीजों को भगवान शिव, पार्वती और गणेश जी के चरणों में अर्पित कर दें।

 माता पार्वती और भोलेनाथ की पूजा कैसे करें जानें संपूर्ण विधि

सबसे पहले माता पर्वती की प्रतिमा भगवान शिव की बाई तरफ स्थापित करना चाहिए। इसके बाद शिव पर्वती की पूजा आरंभ करें। 

शिव और पार्वती को शुद्ध जल से स्नान कराएंं। स्नान के बाद गंगाजल से फिर पंचामृत से और इसके बाद एक बार फिर से जल से स्नान कराएंं। शिव पार्वती को वस्त्र अर्पित करें। 

तीज के दिन स्त्रियां निर्जला व्रत रखती हैं। हाथों में हरे रंग की नई चूड़ियां, हरि साड़ी, मेहंदी और पैरों में अल्ता लगाती हैं। इसे सुहाग का प्रतीक माना जाता है। व्रतधारी महिलाएं नए वस्त्र पहनकर मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। 

इसके बाद आभूषण और फूलों का माला पहना चाहिए। अब इत्र लगा कर तिलक करें। ऊं साम्ब शिवाय नमः मंत्र जप करते हुए भगवान शिव को अष्टगंध का तिलक लगाएंं। ऊं गौयें नमः करते हुए माता पर्वती को कुमकुम का तिलक लगाएं। अब धूप, दीप और पुष्प अर्पित करें ।

श्रद्धा अनुसार घी या तेल का दीपक जलााएं। आरती के उपरांत परिक्रमा करें। इसके बाद नवैद्ध अर्पित करें। शिव और पार्वती को बिल्वपत्र से पूजन करें। कनेर का पुष्प अर्पित करें। गौरी शंकर के पूजन के समय ऊं उमामहेश्वराम्यां नमः मंत्र का जाप करें।

यह तीज व्रत सिर्फ महिलाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कई जगहों पर पुरुष मां की प्रतिमा को पालकी पर बैठाकर झांकी भी निकालते हैं।


मंत्र

गण गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।

मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।।

इस मंत्र से भगवान शिव तथा माता पार्वती प्रसन्न होकर तत्काल अपने भक्त को अच्छा वर प्रदान करती है। तीज पूजन के समय श्रीगणेश का पूजन करना परम फलदायक माना गया है।

हरितालिका तीज क्यों है महत्वपूर्ण 

हरितालिका तीज व्रत में मां पार्वती के अवतार तीज माता कि व्रत की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती ही भाद्रपद महीने की तृतीया तिथि को देवी के रूप में (तीज माता के नाम से) अवतरित हुई थीं। इसलिए इस दिन तीज माता की व्रत करने की विधान है।

तीज पर्व के एक दिन पहले ही विवाहित महिलाएं तथा कन्याएं अपने हाथों में मेहंदी लगाकर गीत गाते हुए मां पार्वती को मनाती हैं। इस व्रत का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सुहागन महिलाएं अपना और अपने पति के सौभाग्य बनाए रखने के लिए माता पाार्वती और भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए 24 घंटे की निर्जला व्रत रखती हैं। अविवाहित कन्याएं सुयोग्य पति प्राप्त करने के लिए अखंड निर्जला व्रत रखती हैं। 

शिव और पार्वती के पुनर्मिलाप के अवसर पर हरितालिका तीज मनाया जाता है। इसके बारे में सनातनी मान्यता है कि माता पार्वती ने 107 जन्म लिए थे। भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए परन्तुु मिलन हो न सका। अंतत: मां पार्वती ने 108 वें जन्म में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तप और साधना की। अंंत में शिवजी ने पार्वतीजी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। तभी से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां पार्वती खूश होकर व्रतधारियों के पतियों को दीर्घायु और निरोग होने का आशीर्वाद देती हैं।

मनचाहे वर के लिए युवतियां करें हरियाली तीज का व्रत

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज के नाम से जाना जाता है। भव‌िष्य पुराण में देवी पार्वती कहती है क‌ि भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष के तृतीया त‌ि‌‌थ‌ि का व्रत उन्होंने बनाया है और किया भी है। व्रत करने से स्त्र‌ियों को सुहाग और सौभाग्य की प्राप्त‌ि होती है। भाद्रपद महीने में तृतीया त‌िथ‌ि को सौ वर्ष की तपस्या के बाद देवी पार्वती ने भगवान श‌िव को पत‌ि रूप में पाने का वरदान प्राप्त क‌िया था। उसी प्रकार अगर कोई कुमारी कन्या इस व्रत को करती है तो उसे भी मनचाहा वर प्राप्त होते हैं।

तीज के दिन झूला और मेलों का होता है आयोजन

हरितालिका तीज के दिन जगह-जगह झूले झूलने का आयोजन किया जाता है। इस त्योहार में स्त्रियां हरी साड़ियां या चुनरी पहनकर लोक में गीत गाती हैं। मेंहदी लगाती हैं। श्रृंगार करती हैं। झूला झूलती हैं। नृत्य भी करती हैं। हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले का आयोजन किया जाता हैं। माता पार्वती और भोलेनाथ की सवारी बड़े धूमधाम और गाजे-बाजे के साथ से निकाली जाती है।

मायके से आते हैं श्रृंगार के सामान मिठाइयां और नया वस्त्र

हरितालिका तीज के दिन विवाहिता स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान, नया वस्त्र, फल और मिठाइयां  व्रत करने के लिए उनके ससुराल आती है। हरितालिका तीज के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती है।

पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं मां गौरी से पति की लंबी उम्र की कामना करती है। 

तीज के दिन घर में उत्सव जैसा माहौल रहता है। भजन व लोक गीत और नृत्य का आयोजन किया जाता है। इस दिन हरे रंगों की वस्त्र, हरी चुनरी, हरा साड़ी और सोलह श्रृंगार, हाथ और पैरों में मेहंदी, झूला-झूलने का परंपरा है।

हरितालिका तीज को कैसा रहेगा दिन, जानें पंचांग के अनुसार

हरितालिका तीज 30 सितंबर 2022 दिन मंगलवार को पड़ रहा है। इस दिन भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि है। तृतीया तिथि सोमवार, तारिक 29 अगस्त शाम 3:28 बजे से शुरू हो जाएगा, जो दूसरे दिन अर्थात 30 अगस्त को शाम 3:20 बजे पर समाप्त हो जाएगा। इसके बाद चतुर्थी तिथि आरंभ हो जाएगा।

नक्षत्र शुभ दिन के 12:05 बजे तक रहेगा। इसके बाद शुक्ल हो जाएगा।

प्रथम करण गर है, जो शाम के 03:33 बजे तक। द्वितीय करण गणिज है। सूर्योदय सुबह 05:58 बजे पर होगा। सूर्यास्त शाम 06:45 बजे पर, चंद्रोदय दिन के 08:29 बजे पर, चंन्द्रास्त रात 08:40 बजे पर होगा। सूर्य सिंह राशि में, चंद्रमा कन्या राशि में गोचर करेंगे। अयन दक्षिणायन, ऋतु शरद, दिनमान का समय 12 घंटा 47 मिनट का और रात्रिमान का समय 11 घंटा 13 मिनट रहेगा।

आनन्दादि योग सौम्य रात्रि के 2:31 बजे तक रहेगा। इसके बाद ध्वांक्ष हो जायेगा। होमाहुति बुध है। दिशाशूल उत्तर, राहुवास पश्चिम, अग्निवास पृथ्वी और चंद्रवास दक्षिण है।

पंचांग के अनुसार जानें शुभ मुहूर्त


अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:56 से लेकर 12:47 तक रहेगा।

अब जानें पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त। विजय मुहूर्त दिन के 02:29 बजे से लेकर 03:21 बजे तक, गोधूलि मुहूर्त शाम के 06:32 बजे से लेकर 06:56 बजे तक, सायाह्य सांध्य मुहूर्त 06:45 बजे से लेकर 07:52 बजे तक, निशिता मुहूर्त देर रात 11:59 बजे से लेकर 12:44 बजे तक, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:29 बजे से लेकर 05:14 बजे तक और प्रातः संध्या मुहूर्त 04:51 बजे से लेकर 05:58 बजे तक रहेगा।

अब जाने पंचांग के अनुसार अशुभ मुहूर्त

पंचांग अनुसार हरतालिका तीज के दिन अशुभ मुहूर्त का शुभारंभ सुबह 07:44 बजे से लेकर 09:23 बजे तक वज्य काल के रूप में रहेगा। उसी प्रकार राहु काल दिन के 03:33 बजे से लेकर 05:09 बजे तक, गुलिक काल 12:22 बजे से लेकर 01:57 तक, दुर्मुहूर्त काल सुबह 08:31 बजे से लेकर 09:23 बजे तक और दिन 3:13 बजे से लेकर 4:30 बजे तक और यमगण्ड काल 09:10 बजे से लेकर 10:46 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना वर्जित होगा।

चौघड़िया पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त 

चौघड़िया पंचांग के अनुसार सुबह 09:10 बजे से लेकर 10:46 बजे तक चर मुहूर्त का आगमन रहेगा। इसके बाद 10:46 बजे से लेकर 12:22 बजे तक लाभ मुहूर्त 12:22 बजे से लेकर 01:57 बजे तक अमृत मुहूर्त, 03:33 बजे से लेकर 05:09 बजे तक शुभ मुहूर्त, शाम 4:30 बजे से लेकर 6:00 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा। इस दौरान पूजा करना काफी शुभ रहेगा।

जानें का अशुभ मुहूर्त

चौघड़िया पंचांग के अनुसार अशुभ मुहूर्त का शुभारंभ सुबह 07:34 बजे से लेकर 09:10 बजे तक उद्धेग मुहूर्त के रूप में रहेगा। उसी प्रकार 05:58 बजे से लेकर 07:34 बजे तक रोग मुहूर्त, 01:57 बजे से लेकर 03:33 बजे तक काल मुहूर्त का संजोग रहेगा। रोग मुहूर्त का आगमन शाम 05:09 बजे से लेकर 06:45 बजे तक रहेगा।

 माता पार्वती और भोले शिव मिलने का पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती का जन्म हिमालय राजा के घर में हुई थी। शुरू से हैं माता पार्वती भोलेनाथ के भक्त थीं। उनकी मन में हमेशा भोलेनाथ को पति के रूप में देखने की प्रबल इच्छा रहती थी।

माता पार्वती ने भोलेनाथ को वर के रूप में पाने के लिए महल में रहते हुए कठिन व्रत करने लगी। पिता हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती को भोलेनाथ के प्रति अगाध भक्ति देखते हुए दुःखी थे। उसी समय नारद जी आ गए। नारदजी पार्वती की कथा सुनने के बाद उन्होंने राजा हिमालय को  मां पार्वती के लिए विष्णु भगवान को वर के रूप में स्वीकार करने का सुझाव दिया। राजा हिमालय ने नारदजी की बात मान ली और अपनी सहमति दे दी।

राजा हिमालय से सहमति मिलने पर नारद जी ने क्षीर सागर में विश्राम कर रहे भगवान विष्णु को सुखद समाचार सुनाया और नारदजी पार्वती से विवाह करने के लिए भगवान विष्णु से सहमति प्राप्त कर ली।

जब यह समाचार पर्वती जी को पता चला तो वह विचलित हो गई और अपने सखियों से अपनी मन की बात कही। साथ ही भोलेनाथ को प्राप्ति के लिए उपाय पूछी।

सखियों ने मां पार्वती को घने जंगल में ले जाकर एक गुफा में छिपा दिया और तपस्या करने का सुझाव दिया। माता पर्वती गुफा में भोलेनाथ की तपस्या करने लगी। जंगल के गुफा में संयोग बस भाद्रपद माह, शुक्ल पक्ष, तृतीय तिथि और हस्त नक्षत्र के सुखद संयोग के दिन बालू का शिवलिंग बनाकर माता पार्वती पूरी निष्ठा और विधि विधान से भगवान शिव जी कि पूजा अर्चना की।

भगवान भोलेनाथ माता पार्वती की आराधना, पूजा और हठयोग देखकर काफी प्रसन्न हुए और पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वचन दे दिया।

इधर माता पर्वती को घर से चले जाने पर पिता हिमालय काफी चिंतित हुए और खोजते हुए गुफा के पास पहुंच गए।

माता भगवती ने अपनी पूजा और भोलेनाथ से दर्शन और पत्नी के रूप में स्वीकार करने की पूरी कथा कह सुनाई । राजा हिमालय पार्वती से कथा सुनकर काफी प्रसन्न हुए और शिव को दामाद के रूप में स्वीकार करने का वचन दे दिया।

पारण करने का उचित समय

पारण करने का उचित समय सुबह 05:58 बजे से लेकर 06:30 बजे तक रहेगा। 31अगस्त को सुबह 05:58 पर सूर्योदय होगा। सूर्योदय के बाद ही पारण करना चाहिए। पारण करते समय अमृत मुहूर्त और लाभ मुहूर्त का संयोग जाएगा।

पारण करते समय क्या करें

पारण करने के पूर्व स्नान कर नया वस्त्र धारण करें। शिव पार्वती का विधि विधान से पूजन करें और व्रत के दौरान होने वाली गलतियों के लिए क्षमा मांगे। अपनी कार्य सिद्धि के लिए एक बार फिर प्रार्थना करें। इसके बाद पूर्व की ओर मुख करके सात्विक भोजन और शुद्ध जल ग्रहण करें।

डिस्क्लेमर

हरितालिका तीज व्रत कथा धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं पर आधारित है। शुभ और अशुभ मुहूर्त पंचांग से लिया गया है। यह लेख आपको कैसा लगा, मेरे ईमेल पर अपना रिएक्शन जरूर से जरूर भेजिए।





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