हिंदी पंचांग और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि की शुभारंभ 30 जून 2022, दिन गुरुवार से हो रही है। जिसका समापन 09 जुलाई, दिन शनिवार को होगा
प्रतिपदा तिथि का आरंभ - 29 जून 2022, सुबह 8 बजकर 22 मिनट
प्रतिपदा तिथि का समाप्ति - 30 जून 2022, सुबह 10 बजकर 44 मिनट
अभिजित मुहूर्त - 30 जून 2022, सुबह 11 बजकर 58 से 12 बजकर 55 मिनट तक
घट स्थापना शुभ मुहूर्त - 30 जून 2022, सुबह 5 बजकर 26 मिनट से 7 बजकर 11 मिनट तक
साधक भुलकर भी न करें ये काम
गुप्त नवरात्र के दौरान मांसाहारी भोजन, लहसुन, प्याज को पूरी तरह त्याग करें।
दस दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए कुश के आसन पर या कंबल पर शयन करना चाहिए।
हर दिन निर्जल या फलाहार उपवास रखना चाहिए।
नवरात्र पूजन के बाद गुरुजन और माता पिता का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए।
तंत्र, मंत्र, जाप की साधना किसी अनुभवी या गुरु के सानिध्य में करना चाहिए।
शराब पीना और व्रत रखकर झूठ बोलना सख्त मना है।
नवरात्र के दौरान अनाज या उससे बना खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
अगर आप कई तरह के दुःखों से ग्रस्त हैं और आप चाहते है कि माता की कृपा से जीवन में सुख समृद्धि आ जाए तो गुप्त नवरात्र की मंत्र साधना जरूर करें।
अगर आप मनचाहा मां की कृपा पाना चाहतें हैं तो करें ये उपाय
पति पत्नी की आपसी मतभेद दूर करने के लिए करें इस मंत्र का जाप
सब नार करहि परस्पर प्रीति चलहि स्वधर्म नीरत श्रुति नीति। इस मंत्र के जप करते समय आपको घी की 108 बार आहुति देनी पड़ती है। प्रातःकाल 21बार इस मंत्र का जप करने के बाद, आपको निश्चित रूप से लाभ मिलेगा।
बच्चों को बुरी नजरों से दूर करें यह मंत्र
यदि आप अपने बच्चों को बुरी नजर से बचाना या रक्षा करना चाहते हैं। तो गुप्त नवरात्र के दौरान आपको हनुमान चालिसा के श्लोकों का जप और पाठ करना चाहिए। साथ ही अपने बाएं पैर से बच्चे के माथे पर सिंदूर का टीका लगाना चाहिए।
मंत्र का जाप करें मिलेगा रोजगार
अगर आप बेरोजगार हैं और रोजगार की तलाश कर रहे है। तो ऐसे जातकों को भैरव बाबा मंदिर में पूजा-अर्चना करने चाहिए। यह पूजा आपको नौकरी प्राप्ति में निश्चित रूप से सहयोग करेगा।
आर्थिक लाभ पाए राम प्रभु के नाम से
आर्थिक लाभ के चाहते है, तो गुप्त नवरात्र के 9 दिनों तक पीपल पेड़ के पत्ते पर राम प्रभु का नाम लिखें और उन्हें हनुमान मंदिर में समर्पित कर दें। ऐसा इससे आपके आर्थिक स्थिति में सुधार होने की पूरी संभावना है।
स्वस्थ्य जीवन जीने का है यह मंत्र
स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए गुप्त नवरात्र के दौरान 108 बार निम्नलिखित मंत्र का जप करें। यह आपकी अनेक बीमारियों को दूर कर स्वस्थ्य होने में सहायता करता है। आपका परिवार भी स्वस्थ्य रहेगा। यह मंत्र है ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा श्यामा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।
शादी के बाधा को दूर करेगा यह मंत्र
यदि किसी जातक को शादी में कोई समस्या उत्पन्न हो रही है। तो वैसे जातक मंदिर में जाकर शिव-पार्वती की प्रतिमा के समक्ष जाकर प्रार्थना करने से बाल बन सकता है। नीचे लिखे मंत्र का 5 बार जाप करना चाहिए। ॐ शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंशनाय, पुरुषार्थ चतुष्ठाय लभाय च पति म देहि कुरु कुरु स्वहा।
गुप्त नवरात्र के दौरान दस महादेवी की दस महाविद्याओं की होती है पूजा
प्रथम दिवस मां काली
गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां काली की पूजा का विधान है। पूजा करते समय उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा करनी चाहिए। साथ ही काली हकीक माला से जप करना है।
इस दिन मां काली के साथ आप भगवान कृष्ण की पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा। ऐसा करने से जातक की किस्मत चमक जाएगी। शनि के प्रकोप से भी खत्म हो जाएगा।
नवरात्रि में पहले दिन मां काली को समर्पित होता हैं। वहीं बीच के तीन दिन मां लक्ष्मी को समर्पित होते हैं और अंत के तीन दिन मां सरस्वति को समर्पित होते हैं। मां काली की पूजा में इन मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए। मंत्र- क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा। ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा।
द्वितीय दिवस मां तारा
दूसरे दिन मां तारा की पूजा करनी चाहिए। मां तारा की पूजा करने से बुद्धि, विवेक और संतानों की प्राप्ति होती है। इस दिन स्फटिक और नीले रंग की माला से जप करने हैं। पूजा करने का मंत्र है। मंत्र- ऊँ ह्रीं स्त्रीं हूं फट।
तृतीय दिवस मां त्रिपुरसुंदरी और मां शोडषी की होती है पूजा
गुप्त नवरात्र के तीसरे दिन मां त्रिपुरसुंदरी और मां शोडषी पूजा होती है। पूजा करने से अच्छे व्यक्ति व निखरे हुए रूप के लिये इस दिन मां त्रिपुरसुंदरी की पूजा की जाती है। इस दिन बुध ग्रह के लिये पूजा की जाती है. इस दिन रूद्राक्ष की माला का जप करना चाहिए। मंत्र- ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरी
चतुर्थ दिवस मां भुवनेश्वरी की होती है पूजा
गुप्त नवरात्र के चौथे दिन मां भुवनेश्वरी पूजा की जाती है। इस दिन मोक्ष और दान के लिए मां भुनेश्वरी की पूजा की जाती है। साथ ही विष्णु भगवान की पूजा करना काफी शुभ और मंगल होगा। चंद्रमा ग्रह संबंधी परेशानी अगर किसी व्यक्ति को है। वैसे व्यक्ति यह पूजा अवश्य करें। मां भुनेश्वरी मंत्र- ह्रीं भुवनेश्वरीय ह्रीं नम:। ऊं ऐं ह्रीं श्रीं नम:
पंचम दिवस मां छिन्नमस्ता की होती है पूजा
गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन मां छिन्नमस्ता की पूजा होती है। इस दिन पूजा करने से शत्रुओं पर विजय और रोगों का नाश होता है। इस दिन रूद्राक्ष माला से मंत्र का जप करना चाहिए। किसी को अगर वशीकरण मंत्र को सिद्ध करना है, तो नीचे लिखे मंत्र का जप करना चाहिए। राहू ग्रह से संबंधी किसी भी परेशानी से छुटकारा भी मंत्र जप से मिल जाता है। इस दिन मां को पलाश के फूल जरूर चढ़ाना चाहिए। मंत्र- श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैररोचनिए हूं हूं फट स्वाहा।
षष्ठं दिवस मां त्रिपुर भैरवी पूजा होती है
गुप्त नवरात्र के छठे दिन महाविद्या मां त्रिपुर भैरवी की पूजा करनी चाहिए। इस दिन मां त्रिपुर भैरवी पूजा नजर दोष व भूत प्रेत संबंधी परेशानी को दूर करने के लिए करनी चाहिए। मूंगे की माला से जप करें। मां के साथ बालभद्र की पूजा करना श्रेष्ठ और फलदाई होगा। इस दिन जन्मकुंडली में लगन में अगर कोई दोष है तो मां त्रिपुर भैरवी की पूजा करने से दूर हो जाता है। मंत्र- ऊँ ह्रीं भैरवी क्लौं ह्रीं स्वाहा।
सप्तम दिवस मां धूमावती की पूजा की जाती है
गुप्त नवरात्र के सातवें दिन महाविद्यामां धूमावती की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा करने से द्ररिता का नाश होता है। इस दिन हकीक की माला से जप करें। मंत्र- धूं धूं धूमावती दैव्ये स्वाहा।
अष्ट्रम दिवस बगलामुखी मां की पूजा होती है
गुप्त नवरात्र के आठवें दिन महाविद्या मां बगलामुखी की पूजा करने का विधान है। मां बगलामुखी की पूजा-अर्चना करने से कोर्ट-कचहरी संबंधित मामले और नौकरी संबंधी परेशानी दूर हो जाती है।
इस दिन पीले कपड़े धारण कर हल्दी माला से जप करना है। अगर आप की कुंडली में मंगल संबंधी कोई परेशानी है तो मा बगलामुखी की पूजा करने से जल्द ठीक हो जाएगा। मंत्र है ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं, पदम् स्तम्भय जिव्हा कीलय, शत्रु बुद्धिं विनाशाय ह्रलीं ऊँ स्वाहा।
नवम दिवस मां मतांगी की पूजा की जाती है
गुप्त नवरात्र के नौवें दिन महाविद्या मां मतांगी की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान धरती की ओर मुख करके पूजा करें। मां कमला की पूजा आकाश की ओर मुंह करके करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से प्रेम संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। बुद्धि और विवेक में वृद्धि के लिए मां मातंगी कि पूजा की जाती है। मंत्र- क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा।
दशम दिवस मां कमला की पूजा करें
गुप्त नवरात्र के दसवें दिन मां कमला की जाती है। मां कमला की पूजा आकाश की ओर मुख करके करनी चाहिए। दरअसल गुप्त नवरात्रि के नौंवे दिन दो देवियों की पूजा होती है। मंत्र- क्रीं ह्रीं कमला ह्रीं क्रीं स्वाहा देवी के ‘नवार्ण मंत्र’, ‘सिद्ध कुंजिका स्तोत्र’ अथवा ‘दुर्गाअष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र’ से का पाठ करना चाहिए ।
मां दुर्गा है शक्ति के प्रतीक जानें कैसे
मां की आराधना के लिए साल में दो बार बड़े स्तर पर धार्मिक आयोजन किया जाता है, जो लगातार नौ दिनों तक उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। 9 दिनों तक मनाये जाने वाले इस शक्ति पर्व को नवरात्र कहा जाता है।
इन दो नवरात्र को चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन साल में दो बार नवरात्र ऐसे भी आते हैं जिनमें मां दुर्गा की नौ रुपों की जगह दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है।
यह साधना और पूजन चैत्र और शारदीय नवरात्र से कठिन होती है। पौराणिक मान्यता है कि इस साधना और पूजन के परिणाम बड़े आश्चर्यचकित करने वाले होते हैं। तंत्र विद्या में विश्वास रखने वाले तांत्रिकों के लिए दोनों गुप्त नवरात्र बहुत ही खास माने जाते हैं। कारण इस दौरान मां दुर्गा की आराधना गुप्त रूप से की जाती है। इसलिये इसे गुप्त नवरात्र भी कहा जाता है।
कब मनाये जातें हैं गुप्त नवरात्र
चैत्र माह और आश्विन मास के नवरात्र के बारे में तो सभी लोग जानते हैं। जिसे वासंती और शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है। जबकि दूसरी ओर गुप्त नवरात्र आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में मनाये जाते हैं। गुप्त नवरात्र की अधिक जानकारी अधिकतर वैसे लोगों को होती है जो तंत्र और मंत्र की साधना करते हैं। शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्र मनाये जाते।
गुप्त नवरात्र के संबंध में क्या है पौराणिक कथा
गुप्त नवरात्र के महत्व को बताने वाली एक कथा भी पौराणिक ग्रंथों से मिलती है। कथा के अनुसार एक समय की बात है। ऋषि श्रंगी एक बार अपने भक्तों को प्रवचन दे रहे थे।
उसी समय भीड़ में से एक महिला हाथ जोड़कर ऋषि से बोली कि ऋषिवर मेरे पति दुष्टकर्मी हैं। दुष्ट पति के कारण मैं किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्य, व्रत, उपवास आदि अनुष्ठान नहीं कर पाती है। मैं मां दुर्गा की शरण में जाना चाहती हूं।
लेकिन मेरे पति के पापाचारों से मां दुर्गा की कृपा नहीं मिल पा रही है। कृपा करके मेरा मार्गदर्शन करें। ऋषि बोले वासंतिक और शारदीय नवरात्र में तो हर कोई पूजा करता है।
महिला ने सुनाई ऋषि को अपना दुखड़ा
लोग इन दिनों नवरात्र से भलिभांति परिचित हैं। लेकिन इनके अलावा वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्र भी आते हैं। इन दिनों नवरात्र में 9 देवियों की बजाय 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है। यदि तुम विधिवत ऐसा कर सको तो मां दुर्गा की कृपा से तुम्हारा जीवन सुखमय हो जायेगा।
ऋषि के वचन को सुनकर महिला ने गुप्त नवरात्र करने का संकल्प लिया। ऋषि के बताये अनुसार मां दुर्गा की कठोर साधना की। उक्त महिला की श्रद्धा व भक्ति से मां दुर्गा प्रसन्न हुई और कुमार्ग पर चलने वाला उसका पति सुमार्ग की ओर अग्रसर हो गया। महिला का घर खुशियों से भर गया।
क्या है गुप्त नवरात्र की पूजा विधि
गुप्त नवरात्र के पूजा की विधि के संबंध में कहना है कि इसका भी पूजा अन्य नवरात्र की तरह ही करनी चाहिये। नौ दिनों तक व्रत करने का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना करना चाहिए। इसके बाद प्रतिदिन सुबह शाम मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ व्रत का उद्यापन किया जाता है।
दूसरी ओर तंत्र साधना वाले साधक इन दिनों में माता के नवरूपों की बजाय दस महाविद्याओं की मंत्र साधना करते हैं। इन दस महाविद्याओं के तहत मां काली, भुनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता छिन्नमस्ता, माता ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मां मातंगी और माता कमला देवी की पूजा करनी चाहिए।
तंत्र मंत्र की साधना करें प्रशिक्षित संतों से
सभी साधकों से अनुरोध है कि तंत्र साधना किसी प्रशिक्षित व सधे हुए साधक के दिशा-निर्देश या अपने गुरु के देख रेख में ही करें। अगर मंत्र साधना सही विधि से न की जाये तो इसके प्रभाव प्रतिकूल पड़ने से साधक महासंकट में पड़ सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य डा. रामजी शुक्ला का कहना है कि नवरात्र साल में चार बार आती हैं। इसकी शुरुआत माघ महीने से होती है। माघ मास के शुक्ल पक्ष में प्रथम नवरात्रि प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक रहती है। इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है।
तीसरा नवरात्र अषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक रहती हैं। इसे गुप्त नवरात्र कहते हैं।
चौथी नवरात्र अश्वनी माह के शुक्ला पक्ष के प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक रहती है। इसे शारदीय नवरात्र कहते हैं।
गुप्त नवरात्र में होती मंत्र सिद्धी और मां दुर्गा की साधना
ज्योतिषाचार्यो का कहना है कि माघ माह और आषाढ़ माह में जो नवरात्रि आती हैं। उसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इस नवरात्र में विशेष रूप से मंत्र साधना एवं उपासना की जाती है।
तंत्र-मंत्र और यंत्र, के साधना और सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्र का दिन विशेष मना जाता है। व्यवसाय में वृद्धि करना है, रोजगार में प्रगति करना है या रोग निवारण सहित अन्य मनोकामनाओं के पूर्ति हेतु गुप्त नवरात्र में साधना की जा सकती है।
गौरतलब है कि चैत्र नवरात्रि एवं शारदीय नवरात्र को सार्वजनिक रूप में मनाया जाता है। लेकिन गुप्त नवरात्र को सामान्य जन विशेष रूप से नहीं जानते हैं। लेकिन मंत्र-तंत्र साधना में गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व है। अनेक प्रकार से रात्रि में उनकी साधना की जाती है जिससे सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
तंत्र मंत्र की साधना करें रात्रि में
धर्म शास्त्रों के अनुसार दस महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए ऋषि विश्वामित्र और ऋषि वशिष्ठ ने बहुत प्रयास किए परंतु उन्हें सिद्धियां प्राप्त नहीं हुई। अनंत काल की गणना करने और ध्यान की स्थिति में रहने पर दोनों ऋषियों को ज्ञान हुआ कि केवल गुप्त नवरात्रों में शक्ति के अनेक स्वरूपों को सिद्ध किया जा सकता है।
गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्याओं की होती है मंत्र साधना
गुप्त नवरात्रों में दस महाविद्याओं की साधना कर ऋषि विश्वामित्र अदुतिय शक्तियों के मालिक बन गए। अपने सिद्धियों के बल पर उन्होंने एक नई सृष्टि की रचना तक कर डाली थी।
इसी प्रकार रावण के पुत्र मेघनाद ने अतुलनीय शक्तियां प्राप्त करने के लिए गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की साधना की थी। गुरु शुक्राचार्य ने मेघनाद को सुझाव दिया था कि गुप्त नवरात्रों में अपनी कुल देवी मां निकुम्बाला कि साधना करके वह विश्व विजेता बनाने वाली शक्तियों का अधिकारी सकता है।
ऐसी मान्यता है कि यदि नास्तिक भी संयोगवस गुप्त नवरात्र के समय मंत्र साधना कर ले तो उसका भी फल सफलता के रूप में अवश्य ही मिलता है ।
घरों में भी कर सकते हैं तंत्र-मंत्र साधना
गुप्त नवरात्र की यही महिमा है। यदि आप मंत्र साधना और शक्ति साधना करना चाहते हैं। काम-काज की उलझनों के कारण साधना के नियमों का पालन सही ढंग से नहीं कर पाते तो, यह अवसर आपके लिए है। माता की कृपा पाने के लिए। गुप्त नवरात्रों में साधना के लिए आवश्यक न्यूनतम नियमों का पालन करते हुए मां दुर्गा शक्ति की मंत्र साधना करने चाहिए।
गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना करने से मनुष्य के सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गुप्त नवरात्र के संबंध में यह भी कहा जाता है कि इस कालखंड में की गई तंत्र मंत्र साधना निश्चित रूप से फलवती होती है। गुप्त नवरात्र के समय की जाने वाली तंत्र मंत्र साधना को गुप्त बनाए रखना बहुत ही जरूरी है । अपना मंत्र और देवी का स्वरुप गुप्त बनाए रखें । गुप्त नवरात्र में तंत्र मंत्र साधना का काम आसानी से घरों में ही किया जा सकता है।
मंत्र साधना का उचित समय गुप्त नवरात्र
महाविद्याओं की साधना के लिए यह सबसे अच्छा समय होता है गुप्त नवरात्र। गुप्त नवरात्र में चामत्कारिक शक्तियां प्राप्त करने का यह श्रेष्ठ समय होता है। धार्मिक और पौराणिक नजर से हम सभी जानते हैं कि नवरात्र देवी दुर्गा की स्तुति और शक्ति साधना की शुभ घड़ी है।
क्या है वैज्ञानिक कारण
गुप्त नवरात्र में तंत्र मंत्र और शक्ति साधना के पीछे छुपा संसारिक पक्ष ऐसा है कि नवरात्र के समय मौसम में बदलाव का होता है।
आयुर्वेद के अनुसार इस बदलाव से जहां शरीर में कफ, पित्त और वात में दोष पैदा हो जाते हैं। बाहरी वातावरण में रोगाणु और जीवाणु जो अनेक बीमारियों का कारक हैं। सुखी और स्वस्थ्य जीवन के लिये इनसे बचाव बहुत जरूरी है।
नवरात्र के विशेष दिनों में देवी दुर्गा की उपासना करने से खान-पान, रहन-सहन पर असर पड़ता है। देव पूजन करते समय अपनाए गए संयम और अनुशासन तन और मन को शक्ति प्रदान करने के साथ ही ऊर्जा देने का काम भी करता हैं। जिससे फलस्वरूप मनुष्य निरोगी होकर लंबी आयु और सुख प्राप्त करता है।
गुप्त नवरात्र में शिव और दुर्गा की करें पूजन
मां दुर्गा शक्ति और तंत्र मंत्र साधना की साक्षात देवी है। दुर्गा शक्ति में विनाश का भाव भी जुड़ा है। यह दमन या अंत करता है। शरीर के शत्रु रूपी दुर्गुण, दुर्जनता, दोष, रोग आदि विकारों का ये सभी हमारे जीवन में अड़चनें पैदा करने हैं और हमारे सुख-चैन छीन लेते हैं।
इन मंत्रों का करें जाप
इन्हीं सभी कारणों को खत्म करने के लिए मां दुर्गा के कुछ खास और शक्तिशाली मंत्रों का अनुष्ठान किया जाता है। देवी उपासना के विशेष काल में मंत्र जाप करने से शत्रु, रोग, दरिद्रता, भय और बाधा दूर करने वाला माना गया है। सभी’नवरात्र’ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक किए जाने वाले पूजन, जाप और उपवास का प्रतीक है गुप्त नवरात्र। ‘नव शक्ति समायुक्तां नवरात्रं तदुच्यते’।
देवी पुराण में क्या है वर्णन
देवी पुराण में कहा गया है कि एक वर्ष में चार बार नवरात्र मनाया जाता है। नवरात्र के नौ दिनों तक सारा परिवेश श्रद्धा व भक्ति, धार्मिक संगीत के रंग से रंग जाता है। गुप्त नवरात्र धार्मिक आस्था के साथ नवरात्र भक्तों को आपसी एकता, सौहार्द, भाईचारे के प्रेम सूत्र में बांधकर उनमें सद्भावना जागृत करता है।
शक्ति ग्रंथो में गुप्त नवरात्रों का बड़ा ही माहात्म्य बताया गया है । मनुष्य के समस्त रोग-दोष व कष्टों के निवारण के लिए गुप्त नवरात्र से बढ़कर कोई व्रत और त्योहार नहीं हैं।
इन अनुष्ठानों के प्रभाव से मानव को सहज ही सुख और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
दुर्गावरिवस्या ग्रंथ में लिखा है माघ नवरात्र का वर्णन
दुर्गावरिवस्या नामक ग्रंथ में स्पष्ट लिखा है कि साल में दो बार आने वाले गुप्त नवरात्रों में माघ में पड़ने वाले गुप्त नवरात्र मानव को न केवल आध्यात्मिक बल प्रदान करते हैं, जबकि इन दिनों में संयम-नियम व श्रद्धा के साथ माता दुर्गा की उपासना और आराधना करने वाले व्यक्ति को सभी तरह के सुख और समृद्धि प्राप्त होते हैं।
शिव संहिता में मिलता है गुप्त नवरात्र का वर्णन
शिवसंहिता ग्रंथ के अनुसार यह नवरात्र भगवान शिव और आदिशक्ति मां पार्वती की उपासना के लिए श्रेष्ठ दिन हैं। गुप्त नवरात्रों के दौरान साधना समय में मां शक्ति का जप, तप, ध्यान और मंत्रों का जाप करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं खत्म होने लगती हैं।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥
देवी भागवत पुराण में 10 विद्यायों का है उल्लेख
देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं। शारदीय नवरात्र और बसंती नवरात्र में जिस प्रकार देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की मंत्र साधना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियमों के पालन करने के साथ ही व्रत और साधना भी करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।
इन देवियों की करें पूजा होगा लाभ ही लाभ
गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या अर्थात तंत्र साधना करने के लिए मां काली, मां तारा देवी, माता त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मां मातंगी और माता कमला देवी की पूजा विधि विधान और पूरी निष्ठा से करते हैं।
मान्यता है कि नवरात्र में महाशक्ति की पूजा कर श्रीराम ने अपनी खोई हुई शक्ति पाई थी। इसलिए इस समय आदिशक्ति की आराधना पर विशेष बल दिया जाता है।