24 जून 2022, दिन शुक्रवार को आषाढ़ कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी व्रत है।
मोहिनी एकादशी के दिन ये 9 काम भुलकर भी न करें
1. कांसे या लोहे के बर्तन में भोजन करना और पानी पीना मना है।
2. मांसाहारी भोजन वर्जित है।
3. मसूर की दाल न खाएं
4. चने का साग नहीं खाना चाहिए। साथ ही इस दिन किसी प्रकार के साग खाने से बचना चाहिए।
5. कोदो का साग भी नहीं खाना चाहिए
6. मधु (शहद) का सेवन वर्जित है।
7. दूसरे से मांग कर लाए गए अन्न नहीं खाना चाहिए
8. व्रत के दिन एक बार भोजन करना चाहिए। दूसरी बार करना सख्त मना है
9. स्त्री प्रसंग नहीं करना चाहिए। व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य रहना चाहिए।
धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवन श्रीकृष्ण से पूछा आप ने ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के व्रत का माहात्म्य हमें सुना दिया।
करके हमें आषाढ़ कृष्ण एकादशी व्रत की कथा सुनाइए। उस एकादशी व्रत का नाम क्या है? इसका माहात्म्य क्या है? हमें विस्तार से बताइए।
श्रीकृष्ण कहा कि धर्मराज युधिष्ठिर आषाढ़ कृष्ण एकादशी का नाम योगिनी है।
योगिनी एकादशी व्रत करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। यह एकादशी पृथ्वी लोक में भोग और परलोक में मुक्ति देने वाली है। योगिनी एकादशी व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। मैं पुराणों में वर्णित योगिनी एकादशी कथा सुनाता हूं। ध्यान देकर सुनो।
पंचांग के अनुसार जानें योगिन एकादशी में कैसा रहेगा दिन
सूर्योदय सुबह 05:25 बजे पर और सूर्यास्त 07:23 बजे पर होगा। चंद्रोदय देर रात 03:19 बजे पर और चंद्रास्त दूसरे दिन दोपहर 2:37 बजे पर होगा। सूर्य मिथुन राशि में और चंद्रमा मेष राशि में हैं।आयन दक्षिणायन है। ऋतु वर्षा है। दिनमान 13 घंटा 58 मिनट का और रात्रिमान 10 घंटा 02 मिनट का रहेगा।
अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:56 बजे से लेकर 12:51 बजे तक रहेगा।
विजय मुहूर्त दिन के 02:43 बजे से लेकर 03:29 बजे तक, गोधूलि मुहूर्त शाम 07:09 बजे से लेकर 07:23 बजे तक, सायाह्य संध्या मुहूर्त शाम 07:23 बजे से लेकर 08:25 बजे तक, निशिता मुहूर्त रात 12:04 बजे से लेकर 12:44 बजे तक, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:04 बजे से लेकर 04:45 बजे तक और प्रातः सांध्य मुहूर्त सुबह 04:25 बजे से लेकर 05:25 बजे तक रहेगा।
पंचांग के अनुसार जानें का अशुभ मुहूर्त
योगिनी एकादशी की पौराणिक कथा
हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तोड़कर तो ले आया परन्तु कामा-वासना से युक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री के संग हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा।
दूसरी ओर राजा कुबेर उसकी दोपहर तक राह देखते रहे। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों से कहा कि तुम लोग जाकर माली हेम के पास जाकर न आने का कारण पता करो। वह अभी तक फूल लेकर नहीं आया।
राजा कुबेर के शाप से माली हेमा का स्वर्ग से पलायन होकर वह उसी क्षण पृथ्वी पर आ गिरा। पृथ्वी लोक पर आते ही उसके शरीर श्वेत कोढ़ से भर गया। उसकी स्त्री भी उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। मृत्युलोक में आकर माली ने महान दु:ख भोगे, भयानक जंगल में जाकर बिना अन्न और पानी के चारों ओर भटकता रहा।
हेमा माली को देखकर ऋषि मारर्कंडेय ने पूछा कि तुमने ऐसा कौन-सा महापाप किया है, जिसके कारण तुम्हारा यह हालत हो गया है। हेम माली ने सारा वृत्तांत ऋषि मार्कण्डेय को कह सुनाया। सारी बातें सुनकर मार्कण्डेय ऋषि बोले- यह सत्य है तूने मेरे सामने सत्य वचन कहा हैं। इसलिए मैं तेरे उद्धार के लिए एक व्रत बताता हूं।
योगिनी एकादशी की दूसरी व्रतकथा
योगिनी एकादशी व्रत काफी प्रचलित है। पौराणिक ग्रंथों में योगिनी एकादशी को बहुत ज्यादा महत्व दिया गया है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ही योगिनी एकादशी व्रत की कथा कुछ इस प्रकार है।
महाभारत काल की बात है कि एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद भगवान श्रीकृष्ण से पूछा हमें सारे पापों को नष्ट करने के लिए कौन सा एकादशी व्रत करना होगा। भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर से कहा कि आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की मोहिनी एकादशी करने से सारे पाप नष्ट हो जाएंगी
भगवान श्री कृष्ण ने कि योगिनी एकादशी के दिन विधिवत उपवास रखता है। प्रभु की पूजा करता है। उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। वह अपने जीवन काल में तमाम सुख-सुविधाओं और भोग-विलास का आनंद लेता हैं। अंत समय में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
योगिनी एकादशी व्रत व पूजा विधि
योगिनी एकादशी के उपवास की शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि बेला से ही हो जाती है। व्रती को दशमी तिथि की रात्रि से ही मांसाहारी भोजन का त्याग कर शाकाहारी भोजन खाने चाहिेए। साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें। अगर संभव हो सके तो जमीन पर ही सोना चाहिए।
प्रात:काल उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानादि करने के बाद व्रत का संकल्प लें। फिर कुंभस्थापना कर उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा कर उनकी पूजा-अर्चना करें। भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान करवाकर नुतन वस्त्र पहनकर भोग लगायें।
पुष्प, मौसमी फल, विभिन्न प्रकार के व्यंजन, धूप, दीप आदि से पूजन कर अंत में आरती उतारें। पूजा खुद भी कर सकते हैं। किसी आचार्य ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं। पूजा के दौरान योगिनी एकादशी की कथा भी जरुर सुननी चाहिये।
एकादशी के दिन गरीब और ब्राह्मणों को यथा शक्ति दान करना बहुत कल्याणकारी होता है। पीपल वृक्ष की पूजा एकादशी के दिन जरूर करनी चाहिये। पीपल के वृक्ष पर भगवान विष्णु का वास रहता है
भगवान कृष्ण ने कहा कि धर्मराज युधिष्ठिर यह योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है। इस व्रत करने से सभी प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं और अंत में जातक को स्वर्ग प्राप्त हो जाता है।