क्या आपको पता है भगवान बुद्ध का जन्म, मृत्यु और ज्ञान एक ही तिथि को प्राप्त हुआ था वह है वैशाख पूर्णिमा


बैशाख मास की पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 15 मई 2022 रात 12 बजकर 45 मिनट पर होगा। वहीं पूर्णिमा तिथि का समापन 16 मई की रात 9 बजकर 45 मिनट पर होगा।

पूर्णिमा 16 माई दिन सोमवार को होगा

गंगा नदी अन्य नदियों में स्नान करना है काफी शुभ

बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और मृत्यु हुई थी

अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:50 बजे से लेकर 12:00 बज के 45 मिनट तक रहेगा।

पंचांग के अनुसार जाने शुभ मुहूर्त

बैशाख पूर्णिमा के दिन के 1:28 बजे से लेकर 2:54 बजे तक अमृत काल रहेगा। विजय मुहूर्त दिन के 2:34 बजे से लेकर 3:27 बजे तक गोधूलि मुहूर्त शाम 6:49 बजे से लेकर 7:13 बजे तक, शाम 7:00 बज के 3:00 मिनट से लेकर 8:06 बजे तक सायाह्य सांध्य मुहूर्त रहेगा। उसी प्रकार निशिता मुहूर्त रात 11:57 से लेकर 12:38 बजे तक और ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:06 से लेकर 04:48 बजे तक रहेगा। इस दौरान अपने सुविधानुसार शुभ मुहूर्त देखकर चारों पहर की पूजा कर सकते हैं।

पंचांग के अनुसार जाने अशुभ मुहूर्त

बुध पुर्णिमा के दिन अशुभ समय का आगमन सुबह 10:36 बजे से लेकर 12:18 बजे तक यमगण्ड काल के रूप में रहेगा। उसी प्रकार दिन के 02:00 बजे से लेकर 03:42 बजे तक गुलिका काल रहेगा। राहुकल सुबह के 07:12 बजे से लेकर 08:54 बजे तक।

उसी प्रकार दुमुर्हूत काल सुबह 12:45 बजे से लेकर 01:39 बजे और शाम 03:28 बजे से लेकर 4:22 बजे तक रहेगा। सुबह 04:53 बजे से लेकर 6:19 बजे तक वज्य काल रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना वर्जित रहेगा।

वैशाख पूर्णिमा के दिन क्या करें

वैशाख पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान करने का विधान है। इस दिन गंगा नदी में स्नान का खास महत्व है. 
इस दिन देश में स्थित अन्य नदियों, तालाबों और कुओं पर भी स्नान करने का विधान है।
अगर नदी में स्नान करने की स्थिति ना हो तो ऐसी स्थिति में शुद्ध जू में गंगाजल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है।
घरों में बनाए गए मंदिरों में भगवान विष्णु की तस्वीर या प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर पूजा करें और घर को फूलों से सजाएं।
घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और गंगाजल छिड़कें।
बोधिवृक्ष, बट या पीपल वृक्ष के आस-पास दीपक जलाएं और उसकी जड़ों में दूध से स्नान कर फूल एवं प्रसाद चढ़ाकर पूजा करें।
गरीबों को भोजन, जल से भरे घड़ा और कपड़े दान करें।

संध्या होने के बाद उगते चंद्रमा को जल में मिले गंगाजल से अर्ध्य दें।

बौद्ध धर्म के प्रवर्तक भगवान बुद्ध का जन्म

 वैशाख मास की पूर्णिमा को नेपाल स्थित लुंबनी में हुआ था। इसी लिए वैशाख मास की इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है।

इतना ही नहीं बल्कि बैशाख माह में पड़ने वाले बुद्ध पूर्णिमा का संबंध भगवान बुद्ध के जन्म से है। इसी पूर्णिमा तिथि को वर्षों वन में भटकने व कठोर तपस्या करने के बाद बोधगया में स्थित बोधिवृक्ष नीचे बुद्ध को सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ। कह सकते हैं भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति भी वैशाख पूर्णिमा को हुई।

इसके बाद भगवान बुद्ध ने अपने ज्ञान के प्रकाश से पूरी दुनिया को रौशन कर दिया। बौद्ध धर्म कि स्थापना की। दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाएं। वैशाख पूर्णिमा के दिन ही उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण (निधन) हुआ।

इस प्रकार भगवान बुद्ध को जन्म, सत्य का ज्ञान और महापरिनिर्वाण (मृत्यु) के लिये भगवान गौतम बुद्ध को एक ही दिन हुआ था। वह दिन था वैशाख पूर्णिमा के दिन।

वर्ष 2022 का पहला चंद्र ग्रहण भी माह में लगने जा रहा है। इस साल लगने वाला ये प्रथम चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, परंतु यह भारत में दिखाई नहीं देगा।

आज चंद्रग्रहण हैं

आपको बता दें कि इस साल दो बार चंद्र ग्रहण लगेंगे। पहला चंद्र ग्रहण 16 मई, दिन सोमवार, 2022 को लगने जा रहा है। वही दूसरा चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 दिन मंगलवार को लगेगा। ये दोनों ही चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होंगे। वर्ष के पहले चंद्र ग्रहण जो भारत में दिखाई नहीं देगा। इस कारण सूतक काल नहीं होगा।
साल का यह पहला चंद्र ग्रहण 16 मई दिन सोमवार को भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर दिन के 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। हिन्दुस्तान में मई माह में लगने वाले चंद्र ग्रहण की दृश्यता शून्य होगी। इसलिए हिन्दुस्तान में इसका सूतक काल प्रभावी नहीं होगा।

भारत में नहीं दिखेगा चंद्र ग्रहण नहीं लेग सूतक

वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण दक्षिणी-पश्चिमी यूरोप, दक्षिणी-पश्चिमी एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के अधिकांश हिस्सों, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अटलांटिक और अंटार्कटिका में भी दिखाई देगा।

भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा को नेपाल स्थित लुंबनी में हुआ था। इसी लिए वैशाख मास में पड़ने वाले इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा का संबंध सिर्फ भगवान बुद्ध के जन्म से ही नहीं है बल्कि इसी पूर्णिमा के दिन कई वर्षों तक वन में भटकने और अत्यंत कठोर तपस्या करने के बाद बिहार स्थित बोधगया में बोधिवृक्ष नीचे सिद्धार्थ को सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ था।

 कह सकते हैं उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति भी वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुई थी। वैशाख पूर्णिमा के दिन ही उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण (प्राण त्यागे) हुआ था। इस प्रकार देखा जाए तो कुल मिलाकर जन्म, सत्य का ज्ञान और महापरिनिर्वाण के लिये भगवान गौतम बुद्ध को एक ही दिन हुआ। वह था वैशाख पूर्णिमा के दिन।

कौन थे भगवान बुद्ध

भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय कुल में हुआ था। वे शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में जन्म लिए थे। उनकी माता का नाम महामाया था। उनकी माता कोलीय वंश से थीं।

भगवान बुद्ध के जन्म के सात दिन बाद माता की निधन हो गया था। नौनिहाल बुद्ध का पालन-पोषण महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया था। इसलिए मां के गौतमी नाम के कारण उनका नाम गौतम बुद्ध पड़ा। 29 वर्ष की आयुु में राजकुमार सिद्धार्थ का विवाह यशोधरा के साथ हुआ था। दोनों को एक मात्र प्रथम पुत्र राहुल था।

राजकुमार सिद्धार्थ ने अपनी धर्मपत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल को त्याग दिया। संसार में जन्में लोगों को जन्म और मरण के चक्रों से बाहर निकलने एवं दुखों से मुक्ति दिलाने के वन की ओर प्रस्थान कर गए। उन्होंने सत्य की खोज करने के लिए एक दिन रात्रि बेला राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चल पड़े। वर्षों की कठोर साधना के बाद बिहार के बोध गया में बोधि वृक्ष के नीचे बैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हें सत्य और ज्ञान की प्राप्ति हुई, और वे युवराज सिद्धार्थ से भगवान गौतम बुद्ध बन गए।


यह कथा पौराणिक कथाओं से लिया गया है साथ ही शुभ और अशुभ तिथि पंचांग से दिया गया है। हमारा यह कथा आपको कैसा लगा ई-मेल से हमें सूचित कीजिएगा।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने