अथाह संकट का रामबाण अनंत चतुर्दशी व्रत



भक्तों के हर कष्टों का निवारण और मुक्ति प्रदान करने वाला एकमात्र व्रत अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर दिन रविवार को है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा होती है।


 अनंत सूत्र में क्यों बांधे जाते हैं 14 गांठ


अनंत सूत्र में बांधे जाने वाले 14 गांठ, 14 लोकों का प्रतीक है। अनंत सूत्र में 14 लोक समाहित है। इस ब्रह्मड में 14 लोक है। पृथ्वी से ऊपर 7 लोक और पृथ्वी के अंदर 7 लोक स्थित है। मान्यत है कि 14 लोकों का मालिक भगवान अनंत अर्थात विष्णु है। इसलिए अनंत सूत्र बांधने से 14 लोकों का पुण्य मिलता है। 


जानें कौन-कौन लोक है


पृथ्वी के ऊपर भूलोक, भुव लोक, स्वर्ग लोक, गह लोक, जन लोक, तपो लोक, और ब्रह्मलोक स्थित है।

 पृथ्वी के नीचे अतल लोक, वितल लोक, सतल लोक, रसातल लोक, तलातल लोक, महातल लोक और पाताल लोक स्थित है।


अनंत चतुर्दशी के दिन कब करें पूजा


अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह 7:30 बजे से लेकर शाम 3:00 बजे तक शुभ मुहूर्त है। इस दौरान आप भगवान अनंत की पूजा अर्चना कर सकते हैं। वैसे भी अनंत चतुर्दशी के दिन दोपहर में पूजा करने का विधान है।

सुबह 7:30 बजे से लेकर 9:00 बजे तक चर मुहूर्त, 9:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक लाभ मुहूर्त, 10:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक अमृत मुहूर्त और 1:30 बजे से लेकर 3:00 बजे तक शुभ मुहूर्त है। उसी प्रकार अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:58 बजे से लेकर 12:39 बजे तक और विजया मुहूर्त 2:17 बजे से लेकर 3:06 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना काफी शुभ होगा।


अनंत चतुर्दशी का दिन कैसा रहेगा जानें पंचांग के अनुसार



अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर 2021, दिन रविवार, शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि रात 4:28 बजे तक रहेगा। इस दिन शतभिषा नक्षत्र जो रात 2:28 बजे तक है। प्रथम करण गर जो शाम के 5:40 बजे तक रहेगा। द्वितीय करण वणिज है। योग धृति है, जो शाम 4:44 तक रहेगा।


अनंत चतुर्थी के दिन सूर्योदय 6:08 बजे पर और सूर्यास्त शाम 6:00 बज के 21 मिनट पर होगा। चंद्रोदय शाम 5:45 बजे पर एवं चंद्रास्त सुबह 5:15 बजे पर होगा। सूर्य कन्या राशि में एवं चंद्रमा कुंभ राशि में रहेगा।अयन दक्षिणायन, ऋतु शरद, दिनमान 12 घंटा 13 मिनट का होगा। रात्रिमान 11 घंटा 47 मिनट का है।


आनंदादि योग राक्षस रात 3:28 बजे तक इसके बाद चर योग शुरू हो जाएगा। होमाहुति चंद्र, दिशाशूल पश्चिम दिशा, राहुवास उत्तर दिशा, अग्निवास पृथ्वी शाम 5:00 बज कर 28 मिनट तक इसके बाद आकाश हो जाएगा। चंद्रवास पश्चिम दिशा में रहेगा।


अब जानें पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त


अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:58 बजे से लेकर 12:39 बजे तक रहेगा।


अनंत चतुर्दशी के दिन विजय मुहूर्त दोपहर 2:17 से लेकर 3:06 तक रहेगा। उसी प्रकार गोधूलि मुहूर्त शाम 6:09 से लेकर 6:33 तक, सायाह्य सांध्य मुहूर्त 6:30 से लेकर 7:33 तक निशिता मुहूर्त देर रात 11:30 से लेकर 12:30 तक रहेगा। उसी प्रकार अहले सुबह 4:30 से लेकर 5:30 तक ब्रह्म मुहूर्त और प्रातः सांध्य मुहूर्त 4:58 से लेकर 6:08 तक रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना काफी शुभ होगा।


पंचांग के अनुसार अशुभ मुहूर्त


अनंत चतुर्दशी के दिन राहुकाल का आगमन शाम 4:30 बजे से लेकर 6:00 बजे तक रहेगा। उसी प्रकार गुलिक काल दिन के 3:18 मिनट से लेकर 4:50 तक, यमगण्ड काल दिन के 12:15 बजे से लेकर 1:46 बजे तक, दुर्मुहूर्त काल शाम 4:44 बजे से लेकर 5:32 बजे तक और वज्य काल सुबह 10:35 बजे से लेकर 12:12 बजे तक रहेगा।


 चौघड़िया पंचांग के अनुसार जानें शुभ मुहूर्त


अनंत चतुर्दशी के दिन चौघड़िया पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त का आगमन सुबह 7:30 बजे से लेकर 9:00 बजे तक चर मुहूर्त के रूप में होगा। उसी प्रकार लाभ मुहूर्त 9:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक, अमृत मुहूर्त 10:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक शुभ मुहूर्त 1:30 से लेकर 3:00 तक रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना काफी शुभ होगा।


चौघड़िया पंचांग के अनुसार अशुभ मुहूर्त


अनंत चतुर्दशी के दिन चौघड़िया पंचांग के अनुसार अशुभ मुहूर्त सुबह 6:00 बजे से लेकर 7:30 बजे तक उद्धेग मुहूर्त, 12:00 बजे से लेकर 1:30 बजे तक काल मुहूर्त, 3:00 बजे से लेकर 4:30 बजे तक रोग मुहूर्त और एक बार फिर संध्या बेला 4:30 बजे से लेकर 6:00 बजे तक उद्धेग मुहूर्त का आगमन होगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना वर्जित रहेगा।


रात का शुभ मुहूर्त


अनंत चतुर्दशी के दिन चौघड़िया पंचांग के अनुसार रात का शुभ मुहूर्त शाम 6:00 बजे से लेकर 7:30 बजे तक शुभ मुहूर्त के रूप है। उसी प्रकार 7:30 बजे से लेकर 9:00 बजे तक अमृत मुहूर्त, 9:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक चर मुहूर्त है। रात 1:30 बजे से लेकर 3:00 बजे तक लाभ मुहूर्त और प्रात काल 4:30 बजे से लेकर 6:00 बजे तक शुभ मुहूर्त का आगमन रहेगा।


रात का अशुभ मुहूर्त


अनंत चतुर्दशी के दिन चौघड़िया पंचांग के अनुसार अशुभ मुहूर्त का आगमन रात 10:30 से लेकर 12:00 बजे तक रोग मुहूर्त के रूप में होगा। उसी प्रकार रात के 12:00 बजे से लेकर 1:30 बजे तक काल मुहूर्त के रूप में और 3:00 बजे से लेकर 4:30 बजे तक उद्धेग मुहूर्त के रूप में है। इस दौरान पूजा अर्चना करना वर्जित होगा।



अनंत चतुर्दशी के पौराणिक कथा 


पांडवा और कौरव के संबंधित एक कथा है पांडवों ने जुए में अपने समस्त राज पाठ हार जाने के बाद 12 वर्ष के वनवास और 1 वर्ष के अज्ञातवास काट रहे थे। इस दौरान उन्हें अपार दुख और कष्ट का सामना करना पड़ रहा था। कष्ट निवारण करने का उपाय भगवान श्रीकृष्ण से युधिष्ठिर ने पूछा।


 भगवान कृष्ण ने कहा कि जुआ खेलने के कारण मां लक्ष्मी तुम लोगों से दुष्ट हो गई है। इसलिए उन्हें प्रसन्न करने के लिए अनंत चतुर्दशी के दिन तुम सभी भाई मिलकर भगवान विष्णु का व्रत करो और 14 गांठ वाले अनंत सूत्र अपने बाहों में बांधों। इससे तुम्हारा सारा कष्ट दूर हो जाएगा और तुम्हें खोया हुआ राज पाठ फिर से मिल जाएगा। भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से इस संबंध में एक कथा सुनाई जो नीचे दिया गया है।


ब्राह्मण कन्या सुशीला की कथा


अनंत चतुर्दशी की कथा महाभारत से जुड़ा हुआ है। भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताएं कि प्राचीन काल में तपस्वी ब्राह्मण रहता था। उसका नाम सुमंत और पत्नी का नाम दीक्षा थी। दीक्षा को सुशीला नाम की एक पुत्री हुईं। सुशीला के बड़े होते होते दीक्षा की मृत्यु हो गई। सुमंत ने पत्नी दीक्षा की मृत्यु के बाद कर्कशा नाम की स्त्री से विवाह कर लिया। कुछ समय बाद अपनी पुत्री का विवाह ब्राम्हण सुमंत ने अपनी पुत्री सुशीला का विवाह कौंडिन्य ऋषि से कर दिया। विवाह के बाद सुमंत की पत्नी कर्कशा ने अपने दामाद को पत्थर और ईट विदाई में दी।


  पति पत्नी को चलते-चलते हुए शाम हो गई। दोनों एक नदी के किनारे पहुंच गए। रात्रि विश्राम के लिए दोनों वहीं ठहर गए। ऋषि की पत्नी सुशीला ने देखी कुछ महिलाएं पूजा पाठ कर रही है। सुशीला भी जाकर महिलाओं के साथ मिलकर भगवान अनंत की पूजा-अर्चना की। पूजा के उपरांत 14 गांठ वाला अनंत सूत्र अपना पति को दिया। पति ने उसे अस्वीकार करते हुए अनंत को फेंक दिया।


 इसके बाद सुशीला के पति अत्यंत गरीब हो गया। जब सुशीला ने अनंत सूत्र को फेंकने के बाद भगवान अनंत को रूठने की बात अपने पति को बताई। पति-पत्नी ने 14 वर्षों तक अनंत भगवान की पूजा करने के उपरांत एक बार फिर से धन-धान्य से घर भर गया। भगवान अनंत की कृपा से पति-पत्नी आराम से जीवन व्यतीत करने लगे।


अनंत चतुर्दशी के दिन कब के पारण


अनंत चतुर्दशी का व्रत दिन भर का होता है। बहुत से लोग शाम को सूर्यास्त के बाद अन्न या फल ग्रहण कर लेते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो 24 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं। वैसे लोग सुबह 4:28 के बाद पारण कर सकते हैं। क्योंकि 4:28 के बाद पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जाएगा। दिन भर  उपवास रखने वाले लोग शाम के 6:00 बजे सूर्यास्त के बाद फल या अन्न ले सकते हैं।


अन्न ग्रहण करने के पूर्व ऐसे करें संकल्प


पारण करने के पूर्व व्रतधारी स्त्री और पुरुष सबसे पहले स्नान करें। हो सके तो गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए। उसके बाद नए वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु का पूजा करें। पूजा के उपरांत हाथ जोड़कर पूजा के दौरान हुई गलती के लिए भगवान से क्षमा मांगे। इसके बाद आरती कर घर में स्थित बड़े बुजुर्गों का चरण स्पर्श करें। भोजन करने के पहले गाय के लिए ग्रस जरूर निकालें।


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