भोलेनाथ व माता पार्वती के मिलन का त्योहार है हरतालिका तीज़

 

अखंड सौभाग्य और मनवांछित पति की प्राप्ति के लिए कुंवारी और सुहागन महिलाएं हरितालिका तीज करती है। 


हरितालिका तीज 9 सितंबर 2021, दिन वृहस्पति को मनाया जायेगा।

भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष, तृतीया तिथि रात 12:18 तक रहेगा। नक्षत्र हस्त दिन के 2:00 बज कर 31 मिनट तक इसके बाद चित्रा नक्षत्र शुरू हो जाएगा।


हरितालिका तीज व्रत पूजा करने का शुभ समय शाम 6:00 बजे से लेकर रात 9:00 बजे तक है। इस दौरान गोधूलि मुहूर्त, शुभ मुहूर्त, अमृत मुहूर्त और चर मुहूर्त का अद्भुत सहयोग मिल रहा है।


पूजा सामग्रियों की सूची


हरितालिका तीज के दिन देवी पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा करने की विधान है। पूजा करने के दौरान मां पार्वती और भगवान शिव की तस्वीरें, तांबे या पीतल का लोटा, जल कलश के लिए मिट्टी का बर्तन, वस्त्र, आभूषण, सूखे मेवे, तिल जौ, पान, दूध, चावल, अष्टगंध, दीपक, तेल, रूई, चंदन, धतूरा, आंकड़े का फूल, बेलपत्र, भांग, घी, गन्ने का रस, गंगाजल, फल, जनेऊ, मिठाई, नारियल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गुड़) अंत मे दक्षिण रख ले।


पूजा करने के पहले लें संकल्प



कैसे करें संकल्प इसे विस्तार से बताता हूं। किसी विशेष मनोकामना के पूरी करने के लिए पूजन से पहले संकल्प लेने की जरूरत पड़ती है। जानें कैसे करें संकल्प पूजा करने से पहले दोनों हाथ को जल से धो लें। इसके बाद हाथ जोड़कर संकल्प लेंं। संकल्प लेने से पहले हाथ में चावल, जल और पुष्प रख लें। संकल्प में जिस दिन पूजा कर रहे हैं उस दिन का नाम, अपना नाम, कौन सी तिथि, विक्रम संवत, देश का नामजगह का नाम और गोत्र का नाम लेकर अपनी इच्छा बोलेें। अब हाथ में लिए हुए सभी चीजों को भगवान के चरणों में अर्पित कर दें।


कैसे करें माता पार्वती और भोलेनाथ की पूजा जाने संपूर्ण विधि


सबसे पहले माता पर्वती की प्रतिमा भगवान शिव की बाई तरफ स्थापित करना चाहिए। इसके बाद शिव पर्वती की पूजा आरंभ करें। शिव

 पार्वती को शुद्ध जल से स्नान कराएंं। स्नान के बाद गंगाजल से फिर पंचामृत से और इसके बाद एक बार फिर से जल से स्नान कराएंं। शिव पार्वती को वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद आभूषण और फूलों का माला पहना हैै। अब इत्र लगा कर तिलक करें। ऊं साम्ब शिवाय नमः करते हुए भगवान शिव को अष्टगंध का तिलक लगाएंं। ऊं गौयें नमः करते हुए माता पर्वती को कुमकुम का तिलक लगाएं। अब धूप, दीप और पुष्प अर्पित करें । श्रद्धा अनुसार घी या तेल का दीपक जलााएं। आरती के उपरांत परिक्रमा करें। इसके बाद नवैद्ध अर्पित करें। शिव और पार्वती को बिल्वपत्र से पूजन करें। कनेर का पुष्प अर्पित करें। गौरी शंकर के पूजन के समय ऊं उमामहेश्वराम्यां नमः मंत्र का जाप करें।


हरितालिका तीज कैसा रहेगा दिन, जानें पंचांग के अनुसार


हरितालिका तीज 9 सितंबर 2021 दिन बुधवार को पड़ रहा है। इस दिन भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि है तृतीया तिथि रात 12:18 तक रहेगा। इसके बाद चतुर्थी तिथि आरंभ हो जाएगा। नक्षत्र हस्त है।



प्रथम करण तैलिक है दिन के 1:26 बजे तक। द्वितीय करण चर है। सूर्योदय सुबह 6:30 बजे पर होगा। सूर्यास्त शाम 6:33 बजे पर, चंद्रोदय दिन के 8:08 बजे पर, चंन्द्रास्त रात 8:17 बजे पर होगा। सूर्य सिंह राशि में, चंद्रमा कन्या राशि में रात 1:45 बजे तक, इसके बाद तुला राशि में आगवन हो जायेगा। अयन दक्षिणायन, ऋतु शरद, दिन का समय 12 घंटा 30 मिनट का और रात का समय 11 घंटा 30 मिनट रहेगा। 


आनन्दादि योग राक्षस दिन के 2:31 बजे तक रहेगा। इसके बाद चर हो जायेगा। होमाहुति सूर्य 2: 31 बजे तक इसके बाद बुध हो जायेगा। दिशाशूल दक्षिण, राहुवास दक्षिण, अग्निवास आकाश रात 12:18 तक, चंद्रवास दक्षिण रात्रि 1:00 बज के 45 मिनट तक है।


पंचांग के अनुसार जानें शुभ मुहूर्त


अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:53 से लेकर 12:43 तक रहेगा।


अब जानें पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त। विजय मुहूर्त दिन के 2:23 बजे से लेकर 3:13 बजे तक, गोधूलि मुहूर्त शाम के 6:21 बजे से लेकर 6:45 बजे तक, सायाह्य सांध्य मुहूर्त 6:33 बजे से लेकर 7:42 बजे तक, निशिता मुहूर्त देर रात 11:55 बजे से लेकर 12:41 बजे तक, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:30 बजे से लेकर 5:17 बजे तक और प्रातः संध्या मुहूर्त 4:54 बजे से लेकर 6:04 बजे तक रहेगा।


अब जाने पंचांग के अनुसार अशुभ मुहूर्त


पंचांग अनुसार हरतालिका तीज के दिन अशुभ मुहूर्त का शुभारंभ सुबह 6:03 बजे से लेकर 7:37 बजे तक, यमगण्ड काल के रूप में रहेगा। उसी प्रकार राहु काल दिन के 1:30 बजे से लेकर 3:00 बजे तक, गुलिक काल सुबह 9:11 बजे से लेकर 10:44 तक, दुर्मुहूर्त काल सुबह 10:13 बजे से लेकर 11:03 बजे तक और दिन 3:13 बजे से लेकर 4:30 बजे तक, वज्य काल रात 10:00 बजे से लेकर 11:30 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना वर्जित होगा।


अब जाने चौघड़िया के अनुसार शुभ मुहूर्त


चौघड़िया पंचांग के अनुसार सुबह 6:00 बजे से लेकर 7:30 बजे तक शुभ मुहूर्त का आगमन रहेगा। इसके बाद 10:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक चर मुहूर्त 12:00 बजे से लेकर 1:30 बजे तक लाभ मुहूर्त, 1:30 बजे से लेकर 3:00 बजे तक अमृत मुहूर्त, शाम 4:30 बजे से लेकर 6:00 बजे तक शुभ मुहूर्त, शाम 6:00 बजे से लेकर 7:30 बजे तक अमृत मुहूर्त और 7:30 बजे से लेकर 9:00 बजे तक चर मुहूर्त रहेगा। इस दौरान पूजा करना काफी शुभ रहेगा।


चौघड़िया के अनुसार जाने का अशुभ मुहूर्त



चौघड़िया पंचांग के अनुसार अशुभ मुहूर्त का शुभारंभ सुबह 7:30 बजे से लेकर 9:00 बजे तक रोग मुहूर्त के रूप में रहेगा। उसी प्रकार 9:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक उद्धेग मुहूर्त, 3:00 बजे से लेकर 4:30 बजे तक काल मुहूर्त का संजोग रहेगा। रोग मुहूर्त का आगमन रात 9:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक और काल मुहूर्त का आगमन 10:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक रहेगा।



सबसे पहले माता पार्वती ने की थी भोलेनाथ की पूजा

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती का जन्म हिमालय राजा के घर में हुई थी। शुरू से हैं माता पार्वती भोलेनाथ के भक्त थीं। उनकी मन में हमेशा भोलेनाथ को पति के रूप में देखने की प्रबल इच्छा रहती थी। 


माता पार्वती ने भोलेनाथ को वर के रूप में पाने के लिए महल में रहते हुए कठिन व्रत करने लगी। पिता ने अपनी पुत्री की भक्ति देखते हुए और नारद जी के कथा अनुसार मां पार्वती के लिए विष्णु भगवान को वर के रूप में स्वीकार करने का मन बना लिया। 


इस बात की जानकारी मिलने पर नारद जी ने क्षीर सागर में विश्राम कर रहे भगवान विष्णु को सुखद समाचार सुनाया और नारदजी पार्वती से विवाह करने के लिए भगवान विष्णु से सहमति प्राप्त कर ली।


जब यह समाचार पर्वती जी को पता चला तो वह विचलित हो गई और अपने सखियों से अपनी मन की बात कही। साथ ही भोलेनाथ को प्राप्ति के लिए उपाय पूछी। 


सखियों ने मां पार्वती को घने जंगल में ले जाकर एक गुफा में छिपा दिया और तपस्या करने का सुझाव दिया। माता पर्वती गुफा में भोलेनाथ की तपस्या करने लगी। जंगल के गुफा में संयोग बस हस्त नक्षत्र, भाद्रपद माह, शुक्ल पक्ष, तृतीय तिथि को बालू का शिवलिंग बनाकर विधि विधान से मां पार्वती ने पूजा अर्चना की। 


भगवान भोलेनाथ माता पार्वती की आराधना, पूजा और हठयोग देखकर काफी प्रसन्न हुए और पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वचन दे दिया।
 इधर माता पर्वती को घर से चले जाने पर पिता हिमालय काफी चिंतित हुए और खोजते हुए गुफा के पास पहुंच गए। 

माता भगवती ने अपनी पूजा और भोलेनाथ से दर्शन और पत्नी के रूप में स्वीकार करने की पूरी कथा कह सुनाई । राजा हिमालय पार्वती से कथा सुनकर काफी प्रसन्न हुए और शिव को दामाद के रूप में स्वीकार करने का वचन दे दिया।है।


पारन करने का उचित समय


पारन करने का उचित समय सुबह 6:00 बजे से लेकर 7:30 बजे तक रहेगा। 10 सितंबर को सुबह 6:04 पर सूर्योदय होगा। सूर्योदय के बाद ही पारन करना चाहिए। पारन करते समय अमृत मुहूर्त और चार मुहूर्त का संयोग जाएगा।


पारन करते समय क्या करें


पारन करने के पूर्व स्नान कर नया वस्त्र धारण करें। शिव पार्वती का विधि विधान से पूजन करें और व्रत के दौरान होने वाली गलतियों के लिए क्षमा मांगे। अपनी कार्य सिद्धि के लिए एक बार फिर प्रार्थना करें। इसके बाद पूर्व की ओर मुख करके सात्विक भोजन और शुद्ध जल ग्रहण करें।


डिस्क्लेमर

यह कथा धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं पर आधारित है। कथा के कुछ अंश शिवपुराण से लिया गया है। शुभ और अशुभ मुहूर्त पंचांग से लिखा गया है। 


एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने