आषाढ़ मास की योगिनी एकादशी कर जाएं स्वर्ग

योगिनी एकादशी 5 जुलाई 2021 को है।
स्वर्ग लोक से जुड़ी है पौराणिक कथा।
स्वयं कृष्ण ने बताएं योगिनी एकादशी की महात्म्य।

योगिनी एकादशी के दिन कैसा रहेगा जानें पंचांग के अनुसार

5 जुलाई 2001 दिन सोमवार आषाढ़ कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी के रूप में मनाते हैं। उस दिन ऋतु वर्षा, आयन दक्षिणायन, एकादशी तिथि दिन 2:30 बजे तक रहेगा। नक्षत्र भरणी, योग धृति दिन के 1:30 बजे तक होगा।

सूर्योदय सुबह 5:28 बजे पर, सूर्यास्त शाम 7:23 बजे होगा। चंद्रोदय देर रात 1:26 बजे पर और चंद्रास्त 3:00 बज के 26 मिनट पर होगा। सूर्य मिथुन राशि में और चंद्रमा मेष राशि में शाम 7:00 बजे तक इसके बाद वृषभ राशि में चले जाऐगा। दिनमान 13 घंटा 54 मिनट का रहेगा जबकि  रात्रिमान 10 घंटा 5 मिनट का होगा।

आनंददि योग चर, दिन के 12:12 बजे तक इसके बाद सुस्थिर योग हो जायेगा। होमाहुति राहू, 12:12 बजे तक इसके बाद केतु का आगमन होगा। दिशा शूल पूर्व,  राहूवास उत्तर पश्चिम, अग्निवास आकाश 2:30 बजे तक, इसके बाद पाताल, चंद्र वास पूर्व 7:00 बजे शाम तक, इसके बाद दक्षिण हो जाएगा।

जानें पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:58 बजे से लेकर दोपहर 12:54 बजे तक रहेगा।

विजया मुहूर्त 2:45 बजे से लेकर 3:40 बजे तक, गोधूलि मुहूर्त 7:09 बजे से लेकर 7:33 बजे तक, सायाह्य संध्या मुहूर्त 7:30 बजे से लेकर 8:24 बजे तक, निशिता मुहूर्त रात 12:06 बजे से लेकर 12:40 बजे तक,  सुबह ब्रह्म मुहूर्त 4:08 बजे से लेकर 4:48 बजे तक और प्रातः संध्या मुहूर्त 4:28 से लेकर 5:29 तक रहेगा। इस दौरान चारों पहर की पूजा अर्चना करना शुभ होगा।

पंचांग के अनुसार अशुभ महूर्त

पंचांग के अनुसार सुबह 7: 30 बजे से लेकर 9:00 बजे तक राहुकाल, दिन के 2:10 बजे से लेकर 3:54 बजे तक गुलिक काल, सुबह 10:40 बजे से लेकर दोपहर 12:26 बजे तक यमगण्ड काल, 12:54 बजे से लेकर 1:49 बजे तक दुर्मुहूर्त काल और वज्र्य काल रात 1:40 से लेकर 2:05 तक रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करने से लोगों को बचना चाहिए।

अब जानें चौघड़िया पंचांग के अनुसार दिन के शुभ मुहूर्त

चौघड़िया पंचांग के अनुसार सुबह 6:00 बजे से लेकर 7:30 बजे तक अमृत मुहूर्त, 9:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक शुभ मुहूर्त, दिन के 1:30 बजे से लेकर 3:00 बजे तक चर मुहूर्त, 3:00 बजे से लेकर 4:30 बजे तक लाभ मुहूर्त, आज एक बार फिर से 4:30 बजे से लेकर 6:00 बजे तक अमृत मुहूर्त का संयोग रहेगा। इस दौरान दो पहर  की पूजा लोग कर सकते हैं।

रात के समय का शुभ मुहूर्त

रात के समय चौघड़िया मुहूर्त का आगमन शाम 6:00 बजे से लेकर 7:30 बजे तक चर मुहूर्त के रूप में रहेगा। उसी प्रकार रात 10:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक लाभ मुहूर्त, रात 1:30 बजे से लेकर 3:00 बजे तक शुभ मुहूर्त, 3:00 बजे से लेकर 4:30 बजे तक अमृत मुहूर्त और 4:30 बजे से लेकर सुबह 6:00 बजे तक एक बार फिर से चर मुहूर्त का आगमन होगा। इस दौरान रात्रि पहर का पूजा लोग कर सकते हैं।

चौघड़िया पंचांग के अनुसार सुबह का अशुभ मुहूर्त

चौघड़िया पंचांग के अनुसार सुबह 7:30 बजे से लेकर 9:00 बजे तक काल मुहूर्त, 10:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक रोग मुहूर्त और 12:00 बजे से लेकर 1:30 बजे तक उद्धेग मुहूर्त रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना वर्जित है।

रात के समय का अशुभ मुहूर्त

चौघड़िया पंचांग अनुसार रात 7:30 बजे से लेकर 9:00 बजे तक रोग मुहूर्त, 9:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक काल मुहूर्त और रात 12:00 बजे से लेकर 1:30 बजे तक उद्धेग मुहूर्त का संयोग है। इस दौरान पूजा अर्चना करना वर्जित होगा।


योगिनी एकादशी का पौराणिक कथा

बात महाभारत काल की बात है। एक दिन धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा मैंने जेष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी की महात्म्य सुना। अब कृपा करके आषाढ़ कृष्ण पक्ष एकादशी की कथा सुनाइए। इसका नाम क्या है ? महात्म्य क्या गया है ? हमें विस्तार से अभी बताइए।

श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे ! राजन आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष एकादशी की नाम योगिनी है। इस व्रत को करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यह इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति देने वाली है। यह तीनों लोकों में प्रसिद्ध है मैं तुमसे पुराण में वर्णित वर्णन की हुई कथा सुनाता हूं ध्यानपूर्वक और श्रद्धापूर्वक और श्रद्धा पूर्वक सुनों।

स्वर्ग धाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह शिवभक्त था। और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करता था। हेम नाम का एक माली पूजन के लिए उसके यहां फूल लाया करता था। हेम की बिशालक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया। लेकिन काम कामायक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य विनोद तथा रमन करने लगा।

इधर राजा दोपहर तक माली को आने की राह देखता रहा। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली को नहीं आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया। सेवकों ने कहा कि महाराज व पापी अति कामी  है। अपनी स्त्री के साथ हास्य विनोद और रमन कर रहा होगा। यह सुनकर कुबेर ने क्रोधित होकर उसे बुलवाया।

हेमा माली राजा के भय से कांपते हुए उपस्थित हुआ। राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा अरे पापी ! नीच ! कामी ! तुम मेरे परम पूजनीय ईश्वर शिव जी महाराज का अनादर किया है। इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्यु लोक में जाकर कोढ़ी होगा।

कुबेर के श्राप से हेमा मालिनी का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर जा गिरा। पृथ्वी लोक पर आते हैं उसके शरीर में श्वेत कोढ़ हो गया। उसकी स्त्री भी उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। मृत्युलोक में आकर माली ने महान दुःख भोगे। भयानक जंगल में जाकर बिना अन्न और जल के भटकता रहा।

रात्रि को निद्रा भी नहीं आती थी। परंतु शिवजी  की पूजा के प्रभाव से उसको पिछले जन्म की स्मृति का ज्ञान अवश्य हो रहा था। घूमते-घूमते एक दिन वह मार्कंडेय ऋषि का आश्रम में पहुंच गया। जो ब्रह्मा से भी अधिक वृद्ध थे और उनका आश्रम ब्रह्मा की सभा के समान ही विशाल था। हेमा माली वहां जाकर ऋषि के पैरों में पड़ गया।

उसे देखकर मार्कंडेय ऋषि बोले तुमने ऐसा कौन सा पाप किया है जिसके प्रभाव से यह हाल हो गई है। हेमा माली ने सारा वृत्तांत कह सुनाया। सुनकर ऋषि बोले निश्चय ही तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहा है इसलिए तेरे उद्धार के लिए मैं एक बात बताता हूं। यदि तुम आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सारे पाप नष्ट हो जाएंगे।

यह सुनकर हेमा माली ने अत्यंत प्रसन्न होकर मुनि को साष्टांग प्रणाम किया। मुनि ने उसे स्नेह पूर्वक  उठाया। हेमा माली ने मुनि के कथा अनुसार विधि पूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया है। इस व्रत के प्रभाव से अपने पुराने स्वरूप में आकर वह अपनी स्त्री के साथ सुख पूर्वक रहने लगा।

भगवान कृष्ण ने कहा हे ! राजन योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है। इस व्रत को करने से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य व्रत करता हूं या इस महात्म्य को पड़ता है। उसे भी अनंत फल के साथ ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

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