श्री राम प्रभु जन्में नहीं प्रकट हुए हैं। बहन शांता बनी चारों भाइयों के जन्म का कारण। खीर के बंटवारे में जन्में लक्ष्मण और शत्रुघ्न। जानें इस वर्ष प्रभु श्रीराम किस लग्न व नक्षत्र में जन्म लेंगे।
पूजा करने का शुभ और अशुभ समय पंचांग के अनुसार। चौघड़िया के अनुसार शुभ मुहूर्त और काल। अभिजीत मुहूर्त का संयोग नहीं है। पौराणिक कथा के अनुसार श्री राम जन्म की कहानी।
विष्णु के सातवें अवतार थे श्री राम
श्री विष्णु भगवान के सातवें अवतार के रूप में जन्में और प्रकट हुए भगवान श्रीराम को जगत मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जानते हैं। अपने जीवन काल में मर्यादित और आदर्श मूल्यों के आधार पर जीने के कारण पूरे विश्व में पूजनीय हैं। वीरों के वीर भगवान हनुमान उनके चरणों को में ध्यान लगाते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार श्री राम जन्म की कहानी
श्री राम प्रभु जन्में नहीं प्रकट हुए
रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र में एवं कर्क लग्न में कौशल्या माता के गर्भ से भगवान श्री राम प्रभु का जन्म अर्थात प्रकट हुए थे।
ऐसा पौराणिक कथाओं में अंकित है। भगवान श्रीराम का जन्म श्वेता युग में हुआ था। श्री राम प्रभु महारानी कौशल्या के पुत्र थे, जो राजा दशरथ के प्रथम और प्यारी रानी थी।
तुलसीदास जी ने रामायण में एक श्लोक में लिखे हैं। भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी...?
श्रीरामचरितमानस के इस इस श्लोक से स्पष्ट हो जाता है कि भगवान श्री राम प्रभु कौशल्या जी के सामने चार भुजा धारण करके, अस्त्र-शस्त्र लिए दिव्य वस्त्र और आभूषण साथ ही वरमाला पहने सुशोभित भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम प्रभु के रूप में प्रगट हुए थे। अर्थात भगवान श्रीराम माता कौशल्या के गर्भ से नहीं जन्में थे।
बहन सांता बनी चारों भाइयों के जन्म का कारण
राजा दशरथ के एक पुत्री थी जिसका नाम था शांता। बड़ी बहन शांता की जन्म के संबंध में बाल्मीकि रामायण के बालकांड में एक श्लोक आता है। शांता के जन्म के समय एक राजा हुआ करता था जिसका नाम था राजा सोमपाल। बहुत दिनों से अयोध्या में बारिश नहीं हो रही थी।
बारिश नहीं होने के कारण मंत्री सुमंत ने राजा दशरथ को सुझाव दिया। आप अपनी पुत्री शांता को महाराजा सोमपाल को गोद दे दे। सोमपाल के माध्यम से ऋषि भृगु से बेटी शांता की विवाह करा दे। भृगु ऋषि आपके दामाद हो जायेंगे।
इसके बाद अयोध्या में बुलाकर बारिश होने के लिए वृष्टि यज्ञ कराएंगे। गुरु वशिष्ठ जी का कहना है कि भृगु ऋषि द्वारा किए गए यज्ञ के प्रभाव से ही अयोध्या में बारिश होगी।
भृगु ऋषि अयोध्या आए, एक विशाल यज्ञ करवाएं। यज्ञ के प्रभाव से अयोध्या में भारी बारिश हुई।
खीर के बंटवारे में जन्में लक्ष्मण और शत्रुघ्न
अयोध्या महाराज दशरथ जी को उनके मंत्री सुमंत जी ने सुझाव दिया, हे राजन ? एक बार फिर महर्षि भृगु को अयोध्या बुलाने का समय आ गया है। उन्हें बुलाकर पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्र कामेष्ठि यज्ञ करवाया जाए।
भृगु ऋषि अयोध्या आये और पुत्र कामेष्ठि यज्ञ करवाएं। भृगु ऋषि के भक्ति भाव से आहुति देने पर अग्निदेव हाथ में चरू (हविष्यान्न खीर) लेकर प्रकट हुए। राजा दशरथ ने अपनी पहली और प्यारी पत्नी कौशल्या का खीर का पात्र दे दिया। कौशल्या ने आधा खीर रानी कैकेई के दे दी।
इसके बाद कैकेई ने अपने खीर का आधा हिस्सा रानी सुमित्रा को दे दी। इस प्रकार मां कौशल्या के गर्भ सें श्री राम, कैकेई के गर्भ से भरत और माता सुमित्रा के गर्भ से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। खीर के बंटवारे से तीसरी रानी सुमित्रा को माता कौशल्या और देवी कैकेई के हिस्से से खीर मिली।
इसी लिए परमात्मा ने श्रीराम प्रभु के साथ लक्ष्मण का भक्ति भाव और भरत के साथ शत्रुघ्न का रहना लिख दिया था।
जानें इस वर्ष प्रभु श्रीराम किस लग्न व नक्षत्र में जन्म लेंगे
चैत्र मास शुक्ल पक्ष, दिन बुधवार, दिनांक 21 अप्रैल 2021 को राम जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य मेष राशि में, चंद्रमा कर्क राशि में रहेंगे। उस दिन लग्न वृश्चिक राशि जो अपने घर में स्थित होंगे।
नक्षत्र पुष्पा रहेगा जो सुबह 8:00 बजे समाप्त हो जाने के बाद अश्लेषा नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा। 21 अप्रैल को राम जन्मोत्सव शक संवत 1943, कलि संवत 5123 और विक्रम संवत 2078 में मनाया जायेगा।
पूजा करने का शुभ और अशुभ समय पंचांग के अनुसार
पंचांग के अनुसार 21 अप्रैल को राहुकाल दोपहर के 12:20 से लेकर 1:57 तक, गुलिक काल 10:42 से लेकर 12:20 तक, यमगण्ड काल सुबह 7:27 से लेकर 9:00 बज तक, गुलिक काल 11:54 से लेकर 12:40 तक, काल वेका काल सुबह 6:42 से लेकर 7:34 तक, कंटक काल शाम 5:05 से लेकर 5:58 तक, यमघंट काल सुबह 8:26 से लेकर 9:18 तक और दृष्ट मुहूर्त काल दोपहर के 11:54 से लेकर 12:46 तक रहेगा। इस समय पूजा अर्चना करना वर्जित है उत्तर दिशा दिशाशूल है।
अभिजीत मुहूर्त का संयोग नहीं है।
पंचांग के अनुसार शुभ समय
श्री राम जन्मोत्सव अर्थात रामनवमी के दिन विजया मुहूर्त दिन के 2:30 से लेकर 3:22 तक, गोधूली मुहूर्त शाम 6:37 से लेकर 7:00 बजे तक, सांध्य मुहूर्त 6:50 से लेकर 7:56 तक, निशिता मुहूर्त मध्य रात्रि 11:58 से लेकर 12:40 तक और ब्रह्म मुहूर्त 4:21 से लेकर 5:05 तक रहेगा इस दौरान पूजा करना है काफी शुभ होगा।
चौघड़िया के अनुसार शुभ मुहूर्त और काल
चौघड़िया मुहूर्त के अनुसार सुबह 6:00 बज से 7:30 तक लाभ मुहूर्त, 7:30 से लेकर 9:00 बजे तक अमृत मुहूर्त रहेगा। उसी प्रकार शुभ मुहूर्त सुबह 10:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक, चर मुहूर्त 3:00 बजे से लेकर 4:30 बजे तक और एक बार फिर से शाम को 4:30 से लेकर 6:00 बजे तक लाभ मुहूर्त का संयोग। इस दौरान पूजा अर्चना करना फलदाई होगा।
अशुभ मुहूर्त
रामनवमी के दिन सुबह 9:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक काल मुहूर्त, दोपहर के 12:00 बजे से लेकर 1:30 बजे तक रोग मुहूर्त और 1:30 बजे से लेकर 3:00 बजे तक उद्वेग मुहूर्त का संयोग रहेगा। इस दौरान पूजा करना वर्जित है।
रात का चौघड़िया मुहूर्त शुभ
रात के समय शुभ चौघड़िया मुहूर्त शाम 7:30 बजे से लेकर रात 9:00 बजे तक शुभ मुहूर्त, 9:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक अमृत मुहूर्त और रात 10:30 बजे से लेकर 12:00 बजे चर मुहूर्त रहेगा। इस दौरान पूजा पूजा कर सकते हैं।
खराब मुहूर्त रात
चौघड़िया के अनुसार अशुभ मुहूर्त शाम 6:00 बजे से लेकर 7:30 बजे तक उद्धेग मुहूर्त रहेगा। उसी प्रकार दिन के 12:00 बजे से लेकर 1:30 बजे तक रोग मुहूर्त और दोपहर 1:30 बजे से लेकर 3:00 बजे तक काल मुहूर्त का संयोग रहेगा। इस दौरान पूजा करना वर्जित है।