Amrit ​​Muhoort Me Kari Shiva Raatri Puja 2021

भगवान भोलेनाथ की आराधना करने का  सर्वश्रेष्ठ पर्व महाशिवरात्रि 11 मार्च को है। महाशिवरात्रि के दिन अमृत मुहूर्त का सुखद और अद्भुत महासंजोग बन रहा है। अमृत मुहूर्त में पूजा करने पर कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर मिलेंगे। वहीं गृहस्थ आश्रम में रहने वाले लोगों को धन, सुुख और वैभव की प्राप्ति होगी। व्यापारियों को शिवरात्रि व्रत करने पर लाभप्रद वर्ष साबित होगा। अब जानें किस समय आएगा अमृत मुहूर्त ? कौन से योग का होगा मिलन ? कौन सा रहेेगा कारक और नक्षत्र की क्या रहेगी स्थिति ? इसकी पूरी जानकारी के साथ ही साथ पूजा करने की विधि, पौराणिक कथा, पूजा करने की सामाग्रियों की सूची तथा सभी तरह के नवीन जानकारी इस लेख में पढ़़ने को मिलेगा।

इस वर्ष महाशिवरात्रि 11 मार्च दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। उस दिन फाल्गुन मास के त्रयोदशी तिथि है। त्रयोदशी तिथि का आगमन 10 मार्च दिन के 2:00 बज कर 41 मिनट से शुरू होकर 11 मार्च दोपहर 2:41 तक रहेगा। उदया तिथि में त्रयोदशी पड़ने के कारण महाशिवरात्रि 11 मार्च को मनाई जाएगी।

11 मार्च को दिन के 2:00 बजे से लेकर 3:29 तक और शाम 6:26 से लेकर 7:57 तक अमृत योग का अद्भुत संजोग हो रहा है। अमृत योग का स्वामी चंद्रमा है। शिवरात्रि के दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेगा। मकर राशि में चंद्रमा को रहने पर मनुष्य का भाग्य उदय होता है। लोग यथार्थ जीवन जीने में विश्वास रखते हैं। मजबूत इरादे वाले होते हैं। ऐसी स्थिति में अमृत योग में पूजा अर्चना करना काफी फलदाई होगा।

जानें पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:08 से लेकर 12:53 तक रहेगा।

अब जाने पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त का समय। विजया मुहूर्त दोपहर 2:30 से लेकर 3:17 तक, गोधूलि मुहूर्त शाम 6:15 से लेकर 6:39 तक, संध्या मुहूर्त शाम 6:27 से लेकर 7:39 तक, मध्य रात्रि का निशिता मुहूर्त रात 12:06 से लेकर 12:55 तक, ब्रह्म मुहूर्त अहले सुबह 4:45 से लेकर 5:46 तक और प्रातः कालीन मुहूर्त 5:22 से लेकर 6:34 तक रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना और रात्रि जागरण कर महादेव को खुश करने से सभी तरह के कष्ट दुर होंगे।
अब जाने चौघड़िया मुहूर्त के अनुसार शुभ और अशुभ समय

पूजा के दौरान शुभ और अशुभ समय देखने के लिए चौघड़िया मुहूर्त का भी सदुपयोग करना चाहिए। जानें दिन का शुभ चौघड़िया मुहूर्त। शुभ मुहूर्त 6:00 बजे से लेकर 7:30 बजे तक, उसी प्रकार चर मुहूर्त सुबह 10:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक, लाभ मुहूर्त 12:00 बजे से लेकर 1:30 तक और अमृत मुहूर्त दोपहर 1:30 से लेकर शाम 3:00 बजे तक और एक बार फिर से शुभ मुहूर्त का आगमन शाम 4:30 बजे से लेकर शाम 6:00 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना काफी शुभ रहेगा। वैसे भी सुबह 10:00 बजे से लेकर के दिन को 3:00 बजे तक चर, लाभ और अमृत मुहूर्त रहेगा। इस दौरान पूजा करना काफी फलदाई होगा।

रात का चौघड़िया का शुभ मुहूर्त

रात के चौघड़िया मुहूर्त का शुभारंभ शाम 6:00 बजे से लेकर 7:30 तक शुभ मुहूर्त के रूप में रहेगा। उसी प्रकार चर मुहूर्त शाम 7:30 बजे से लेकर रात 9:00 बजे तक, लाभ मुहूर्त मध्य रात्रि 12:00 बजे से लेकर 1:30 तक शुभ मुहूर्त अहले सुबह 3:00 बजे से लेकर 4:30 बजे तक और अमृत मुहूर्त सुबह 4:30 बजे से लेकर 6:00 बजे तक रहेगा।


अब जाने चौघड़िया अशुभ मुहूर्त का दिन और रात का समय

दिन का चौघड़िया अशुभ मुहूर्त सुबह 7:30 से लेकर 9:00 बजे तक रोग मुहूर्त,  9:00 से लेकर 10:30 तक उद्वेग मुहूर्त और शाम 3:00 बजे से लेकर शाम 4:30 तक काल मुहूर्त रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना सर्वथा वर्जित है।

रात का अशुभ चौघड़िया मुहूर्त।

रात 9:00 बजे से लेकर 10:30 तक रोग मुहूर्त, 10:30 से लेकर मध्य रात्रि 12:00 बजे तक काल मुहूर्त और देर रात 1:30 से लेकर आने सुबह 3:00 बजे तक उद्वेग मुहूर्त का संयोग रहेगा। इस दौरान भी पूजा अर्चना करना वर्जित है।
 जाने पूजा करने की विधि

शिवरात्रि भोलेनाथ की उपासना और आराधना का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार मानी जाती है। अब जानें कैसे करें शिवरात्रि व्रत।
 शिवरात्रि के एक दिन पहले त्रयोदशी तिथि के दिन शिवजी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके उपरांत चतुर्थी तिथि को निराहार रहना चाहिए। शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ को गंगाजल चढ़ाने से विशेष पुण्य मिलता है। भगवान शंकर की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए पूजा-अर्चना करनी चाहिए। साथ में बेलपत्र, फल, फूल शिवलिंग पर चढ़ाएं। इसके बाद रात्रि के चारों पहर शिवजी की पूजा करनी चाहिए और अगले दिन प्रातः काल ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर व्रत का पारणा करना चाहिए।

शिवरात्रि व्रत में लगने वाले पूजा सामग्रियों की सूची

शिवरात्रि पूजा के दौरान लगने वाले पूजा सामग्री की सूची इस प्रकार है। गाय का दूध, अरवा चावल, दीपक, चंदन, धतूरा, पीतल या तांबे का लोटा, अष्टगंध, रूई, धूपबत्ती, आंकड़े का फूल, बिल्वपत्र, शमी वृक्ष के पत्तें, भांग, गन्ना का रस, गंगाजल, जनेऊ, मिठाई, नारियल, सूखे मेवे, तिल, पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद और गुड़)।

शिवरात्रि व्रत की कथा

शिवरात्रि व्रत की कथा इस प्रकार है। किसी समय वाराणसी के जंगल में एक भील का परिवार रहता था। उसका नाम गुरुदुह था। वह जंगली जानवरों का शिकार कर अपने घर परिवार चलाता था। एक बार शिवरात्रि के दिन वह शिकार करने वन में गया। उस दिन उसे दिनभर कोई शिकार नहीं मिला और रात हो गई। तभी वह शिकारी झील के किनारे पेड़ पर यह सोचकर चढ़ गया कि रात के समय कोई ना कोई जंगली जानवर पानी पीने जरूर आएगा। पानी पीने के दौरान उसका शिकार कर लेंगे। जिस पेड़ पर शिकारी बैठा था। वह पेड़ बेल वृक्ष और नीचे शिवलिंग स्थापित था। झील में पानी पीने एक हिरनी आई। शिकारी ने उसको मारने के लिए धनुष पर बाण चढ़ाया, तो उसी समय बेल पेड़ के पत्तें और जल शिवलिंग पर गिरीं। इस प्रकार शिवलिंग की पूजा हो गई। इस प्रकार रात के पहले प्रहर में अनजाने में ही उसके द्वारा शिवलिंग की पूजा हो गई और हिरनी भी भाग गई।
थोड़े समय के बाद एक और हिरनी झील के पास पानी पीने के लिए आयी। शिकारी ने उसे देखकर फिर से अपने धनुष पर तीर चढ़ाया। इस बार भी रात के दूसरे पहर में बिल्ववृक्ष के पत्ते और जल शिवलिंग पर गिरे और शिवलिंग की पूजा हो गई और हिरनी फिर एक बार भाग गई। इस प्रकार  शिवलिंग पर दूसरे प्रहर की पूजा हो गई।
फिर एक बार हिरनों का झुंड एक साथ झील पर पानी पीने आया। बहुत से हिरनों को एक साथ देख कर शिकारी खुश हुआ और उसने फिर से धनुष पर बाण चढ़ाया। जिससे चौथे प्रहर में पुनः शिवलिंग की पूजा हो गई। इस प्रकार शिकारी दिन भर भूखा प्यासा रहकर रात भर जागरण करते हुए चारों प्रहर अनजाने में ही उसने शिवजी की पूजा की। जिससें शिवरात्रि का व्रत पूरा हो गया और व्रत के प्रभाव से उसके सारे पाप नष्ट हो गए। उसे पुण्य प्राप्त हुआ और उसने  हिरनो को मारने का विचार त्याग दिया।
उसी समय शिवलिंग से भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए और उन्होंने शिकारी को वरदान दिया कि त्रेता युग में भगवान राम तुम्हारे घर आएंगे और तुम्हारे साथ मित्रता करेंगे। तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति मिलेगा। इस प्रकार अनजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया।

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