Parvati, Sita and Radha की जन्म कथा जानें, शिव पुराण के अनुसार


।‌‌।शिवरात्रि पर विषेश।।।।

क्या आपको पता है कि माता पार्वती, सीता मां और राधा रानी अपनी सगी मौसेरी बहनें थीं। जानकर आश्चर्य हुआ न, परन्तु यह अकाट्य सत्य है।

 इतना ही नहीं इनकी माताएं मानस पुत्रियां थीं और किसी भी स्त्री के गर्भ से जन्मी नहीं लिया था अर्थात पितरों के मन से प्रकट हुई थी।

 पूरी कथा शिव पुराण के अनुसार जानें ? मा

पार्वती, सीता मां, राधा रानी की जन्म कथा शिव पुराण में विस्तार से लिखा गया है। तीनों मौसेरी बहनें थी। उनकी मां के नाम क्रमशः मेना, धन्या और कलाबती थी। यें तीनों बहने पितरों की मानस पुत्रियां थी। उनके मन से प्रकट हुई थी। इनका जन्म किसी माता के गर्भ से नहीं हुआ था। अतः आयोनिजा थी।

 मेना हिमालय राजा की पत्नी बनी।

 धन्या राजा जनक की पत्नी और कलाबती वृषभानु वैश्य की पत्नी बनी। मेना की पुत्री मां पार्वती हुई। धन्या की पुत्री सीता और कलाबती की पुत्री राधा रानी हुई। 


पौराणिक कथा शिव पुराण के अनुसार


शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार राजा दक्ष की 60 कन्याएं हुई थी, जो सृष्टि की उत्पत्ति में कारक बनी। उन कन्याओं में एक स्वाधा नाम की कन्या थी। जिसका विवाह उन्होंने पितरों के साथ किया था। स्वाधा की तीन पुत्रियां हुई थी। ये तीनों कन्याएं पितरों की मानसी पुत्रियां थी। उनके मन से प्रकट हुई थी। इसका जन्म किसी माता के गर्भ से नहीं हुआ था। अतः यह अयोनिजा थी। केवल लोक व्यवहार से स्वाधा की पुत्री मानी जाती थी। तीनों बहनें परम योगिनी और ज्ञाननिधिता थी तथा तीनों लोकों में सर्वत्र (कहीं भी) जा सकने वाली थी।


तीनों बहनें पहुंचीं श्रीहरि के धाम


एक समय वे तीनों बहने भगवान विष्णु के निवास स्थान श्वेतद्वीप में उनका दर्शन करने के लिए गई। भगवान विष्णु को प्रणाम और भक्ति पूर्वक उनकी स्तुति करके वे उन्हीं की आज्ञा से वहां ठहर गई। उस समय वहां संतों का बड़ा भारी समाज एकत्र हुआ था। उसी अवसर पर सनकादि मुनि और  सिद्धगण ऋषि-मुनि भी वहां गये और श्रीहरि की स्तुति वंदना करके उन्हीं की आज्ञा से वहां ठहर गए। 


नहीं खड़े होने की पाप झेल, बहनें बनीं नारी


सनकादि मुनि देवताओं के आदि पुरुष और संपूर्ण लोकों में वंदित थे। वे जब वहां आकर खड़े हुए उस समय श्वेतादीप पर उपस्थित सभी लोगों ने उन्हें देखकर प्रणाम करते हुए उठकर खड़े हो गए। किंतु यह तीनों बहने उन्हें देखकर भी वहां पर नहीं उठीं। इससे सनत्कुमार ने उनको मर्यादा रक्षार्थ उन्हें स्वर्ग से दूर होकर नर-नारी बनने का शाप दे दिया। 

तीनों बहनें को मुक्ति का उपाय बताएं सनत्कुमार


फिर उनके प्रार्थना करने पर हुए प्रसन्न हो गए और बोले ? सनत्कुमार ने कहा पितरों की तीनों कन्याओं तुम प्रसन्नचित्त होकर मेरी बात सुनो। यह तुम्हारे शोक का नाश करने वाली और सदा ही तुम्हें सुख देने वाली है। तुम में से जो ज्येष्ठ है वह भगवान विष्णु के अंशभूत हिमालय गिरी की पत्नी होगी। उससे जो कन्या होगी वह पार्वती के नाम से विख्यात होगी। पितरों की दूसरी कन्या योगिनी धन्या राजा जनक की पत्नी होगीं। उसकी कन्या के रूप में महालक्ष्मी अवतीर्ण होगीं जिसका नाम सीता होगा। उसी प्रकार पितरों की छोटी कलाबती द्वापर युग के अंतिम भाग में वृषभानु वैश्य की पत्नी बनेगी और उसकी प्रिय पुत्री राधा नाम से विख्यात होगी। योगिनी मेना पार्वती जी के वरदान से अपने पति के साथ उसी शरीर से कैलाश नामक परम पद को प्राप्त हो जाएगी।


तीनों बहनें की गर्भ से जन्मी पार्वती, सीता व राधा



 पितरों के मानस पुत्री धन्या तथा उनके पति जनक कुल में उत्पन्न हुए। जीवन्युक्त महायोगी राजा सीरध्वज लक्ष्मी स्वरूपा सीता के प्रभाव से बैकुंठ धाम में जाएगी। वृषभानु के साथ वैवाहिक मंगल कृत्य संपन्न होने के कारण जिन जीवन्मुक्त योगिनी कलाबती भी अपनी कन्या राधा के साथ गोलोक धाम में जाएगी। इसमें कहीं से संशय नहीं है। विपत्तियों में पड़े बिना कहां किस की महिमा प्रगट होती है। उत्तम कर्म करने वाले पुण्यात्मा पुरुषों का संकट जब टल जाता है, तब उन्हें दुर्लभ सुख की प्राप्ति होती है।


पार्वती शिव के, सीता राम का व राधे के कृष्णा


ब्रह्मा जी कहते हैं अब तुम लोग प्रसन्नता पूर्वक मेरी दूसरी बात सुनो, जो सदा सुख देने वाली है। मेना की पुत्री जगदंबा पार्वती देवी अत्यंत कठोर तप करके भगवान शिव की प्रिय पत्नी बनेगी। धन्या की पुत्री सीता भगवान श्री राम जी की पत्नी होगी और लोकाचार का आश्रय ले श्रीराम के साथ विहार करेगी। साक्षात गोलोक धाम में निवास करने वाली राधा ही कलाबती की पुत्री होगी। वे गुप्त स्नेह में बंधकर श्रीकृष्ण की प्रियतम बनेगी।

ब्रह्मा जी कहते हैं। हे नारद, इस प्रकार शाप के ब्याज से दुर्लभ वरदान देकर सब के द्वारा प्रशंसित भगवान सनत्कुमार मुनि भाइयों सहित अंतर्धान हो गए। अंत में पितरों की मानसी पुत्रियां अर्थात तीनों बहनें इस प्रकार शाप मुक्त होकर सुख पाकर तुरंत अपने घर को चली गई।

मां पार्वती, माता सीता और राधा रानी आपस में मौसेरी बहन थी। इन तीनों की मां सगी बहनें थी। इस संबंध में शिवपुराण में विस्तार से लिखा गया है। शिवपुराण की कथा को ही इस लेख में समावेश किया गया है।




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