सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जाने पुरुषों के शारीरिक बनावट के अनुसार शुभ अशुभ लक्षण

गरुड़ पुराण में पुरुषों के शारीरिक बनावट केेे अनुसार शुभ और अशुभ लक्षण जाने तथा मस्तक रेखा और हस्तरेखा के अनुसार आयु का करें ज्ञान।

समुद्र शास्त्र के अनुसार मनुष्य की आयु
 
इस संबंध में विशेष जानकारी सामुद्रिक शास्त्र में दिया गया है। मनुष्य के शारीरिक बनावट देखकर उसके शुभ और अशुभ लक्षण का पता लगाया जा सकता है। उसी प्रकार हाथ और माथे का रेखा देखकर उक्त मनुष्य कितने वर्ष तक जिंदा रहेगा उसकी जानकारी हमें गरूड़ पुराण में मिलती है।

कौन होता है श्रेष्ठ मनुष्य

गरुड़ पुराण में श्री हरि ने शिव से कहा अब मैं उस लक्षण का वर्णन संक्षेप में कर रहा हूं जिनके हाथ पाव के तल में पसीने ना आते हो, कमल के भीतरी भाग की तरह मृदुल अर्थात सुंदर और लाल हो, उंगलियां सटी हुई हो, उन्हें पुरुषों में श्रेष्ठ या (नृपक्षेष्ठ) समझना चाहिए। 

छोटे-छोटे अंगुली वाले होते हैं दरिद्र

सूखा और थोड़ा पीलापन लिए हुए सफेद नाखून वाले वक्र तथा नसों से भरे हुए छोटे-छोटे उंगलियों से युक्त सांप के आकार चरणों वाले मनुष्य सदा दुखी तथा दरिद्र होते हैं। 

राजा और महात्मा के होते हैं विशेष लक्षण

अल्प रोम अर्थात थोड़ा बाल से युक्त गाल, सूंड के समान सुंदर और गोलाकार जंघा प्रदेश तथा एक-एक रोम कूपों वाला शरीर राजाओं और महात्माओं का माना गया है। 

दरिद्र मनुष्य के अनेकों लक्षण

प्रत्येक रोम कूपों में दो-दो रोम होने पर मनुष्य क्षत्रिय या पंडित होता है। तीन-तीन रोमों से व्याप्त रोम कूप दरिद्र के होते हैं। मांस रहित अत्यंत दुबला-पतला शरीर वाला मनुष्य रोगी होता है
सामान उदर भाग से सुशोभित मनुष्य समृद्ध और सर्प के समान उदर भाग वाले लोग अत्यंत दरिद्र होते हैं।

जानें रेखाओं द्वारा आयु का निर्णय

रेखाओं द्वारा आयु का निर्णय किया गया है। जिसके ललाट पर सामान आकार वाले तीन रेखाएं स्पष्ट दिखाई देती है वह पुत्रादि से संपन्न रहकर सुख पूर्वक 60 वर्षों तक जीवित रहता है।

मस्तक में दो रेखाएं होने पर आयु 40 वर्ष

 मस्तक पर दो दिखाओ के दृष्टिगोचर होने पर मनुष्य की आयु 40 वर्ष की होती है। एक रेखा होने पर उस मनुष्य का जीवन 20 वर्ष मानना चाहिए। परंतु ऐसे व्यक्ति अपने जीवन काल में धर्म प्रधान और कर्म प्रधान होता है तो उसकी आयु बढ़ जाती है।

ललाट से लेकर कान तक रेखा वालें लोगों की आयु 70 वर्ष

ललाट से लेकर कान तक विस्तृत दो रेखाओं के होने से मनुष्य की आयु 70 वर्ष तथा वैसे ही तीन दिखाएं होने पर उसकी आयु 60 वर्ष होती है। 

छोटी रेखा अल्प आयु

ललाट पर रेखाओं की प्रकट या अप्रकट होने पर मनुष्य बीस वर्ष की अल्प आयु ही प्राप्त करता है। रेखा विहीन ललाट के होने पर मनुष्य 40 वर्ष तक जीवित रहता है। 

छिन्न-भिन्न रेखा अकाल मृत्यु

रेखाओं के छिन्न-भिन्न होने पर मनुष्य की अकाल मृत्यु होती है। जिसके मस्तक पर त्रिशूल अथवा फरसे के समान चिन्ह दिखाई देता है वह धन, पुत्रादि से परिपूर्ण होकर 100 वर्षों तक जीवित रहता है।

अब जाने हाथों की भाग्य रेखा
तर्जनी और मध्यमा उंगली के मध्य भाग तक आयु रेखा के पहुंचने पर मनुष्य 70 वर्षीय होता है। 

सीधी रेखा, उम्र 100 वर्ष

अंगुली के मूल भाग से निकलने वाली प्रथम रेखा ज्ञान रेखा है। मध्यमा उंगली के मूल भाग से जो रेखा जाती है, वह आयु देखा है। यह रेखा कनिष्ठा अंगुली के मूल से निकलकर मध्यमा के मूल भाग को पार करती है, यदि देखा टूटा भांगा या किसी अन्य देखा से विभक्त नहीं होती है, तो ऐसे व्यक्ति की आयु 100 वर्ष अवश्य होती है। 
श्री हरि ने कहा हे रूद्र जिसके हाथ में या आयु रेखा स्पष्ट दिखाई देती है उसकी आयु 100 बस अवश्य होती है इसमें संदेह नहीं है। 

जो रेखा कनिष्ठा उंगली के मूल से होकर मध्यमा उंगली के मूल तक हो, उनकी उम्र 60 वर्ष

जो रेखा कनिष्ठा उंगली के मूल से होकर मध्यमा उंगली के मूल तक विस्तार को प्राप्त करती है। वह रेखा मनुष्य को 60 वर्ष की आयु प्रदान करने में सक्षम होती है। विस्तार पूर्वक किया गया वर्णन गरूड़ पुराण से लिए गए हैं।

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