सप्तमी तिथि के मध्य रात्रि में होगी निशा सह सन्धि पूजा

सप्तमी तिथि की रात अष्टमी तिथि का दुर्लभ संजोग।
कालरात्रि और मां महागौरी की पूजा सप्तमी की रात।
शुभ और अमृत योग में होगी मां की पूजा।
मां का आगमन घोड़े पर जो रहेगा अशुभ
मां का गमन भैंसें पर और ओ भी रहेगा अशुभ
शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 17 अक्टूबर अर्थात दिन शनिवार अश्वनी माह, शुक्ल पक्ष प्रतिवाद तिथि से होगी। इस बार सप्तमी तिथि की रात अष्टमी तिथि का शुभ और दुर्लभ संयोग बन रहा है। सप्तमी तिथि की मध्यरात्रि को मां कालरात्रि और मां महागौरी यानी दोनों की पूजा होगी। निशा पूजा अर्थात संधि पूजा दोनों महाशक्ति के रूपों की पूजा रात को ही होगी। महासप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा मध्य रात को होती है। इस रात सिद्धि प्राप्ति के लिए ऋषि, मुनि, योगी भिन्न-भिन्न तरह के अनुष्ठान मंदिरों में, श्मशान घाटों और निर्जल स्थानों पर करते हैं। महासप्तमी तिथि के दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा धनु राशि में रहेंगे। सूर्य दक्षिणायन में और योग धृति, नक्षत्र उत्तराषाढ़ रहेगा।
अमृत और लाभ योग में होगा निशा पूजा
17 अक्टूबर को दिन के 11:00 बज कर 30 मिनट तक महासप्तमी का योग है। इसके बाद महाअष्टमी का शुभारंभ हो जाएगा । वैसे निशा पूजा और सन्धि पूजा अष्टमी की रात को होती है। परंतु इस बात सप्तमी तिथि की मध्य रात्रि को ही अष्टमी तिथि का आगमन हो रहा है। इसलिए निशा और सन्धि पूजा एक ही समय रात बारह बजे से आरंभ होगी। इस बार रात्रि 12:00 बजे से 3:00 के बीच शुभ और अमृत योग का संजोग है शुभ योग रात के 12:12 से 1:46 तक और अमृत योग 1:46 से 3:02 तक रहेगा। इस दौरान निशा पूजा करना काफी शुभ और धर्मसम्मत होगा। निशा पूजा में बलि देने का विधान है। पहले भैंसा और पाठा का बली दिया जाता था।
 परंतु वर्तमान समय में निशा पूजा के दौरान चालकुमड़ा और गन्ने की बलि दी जाती है।
महासप्तमी की पुष्पांजलि अमृत योग में करें
शारदीय दुर्गा पूजा के दौरान महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी को मां को पुष्पांजलि दी जाती है। पुष्पांजलि शुभ मुहूर्त में हो इस पर विशेष ध्यान दिया जाता है। महासप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पुष्पांजलि अमृत योग में, जो सुबह 9:20 से लेकर 10:46 तक रहेगा। इस दौरान पुष्पांजलि करना काफी शुभ रहेगा और फलदाई होगा। उसी प्रकार चार योग सुबह 6:28 से लेकर 7:54 तक और शाम 4:29 से 5:55 तक लाभ योग सुबह 7:54 से 9:20 तक और शुभ योग 12:12 से लेकर 1:37 तक रहेगा इस दौरान मां को पुष्पांजलि देना फलदाई होगा।
भूलकर भी ना करें इस समय पुष्पांजलि
महासप्तम के दिन भूल कर भी राहुकाल, यम घंट काल और गुली काल में पुष्पांजलि नहीं करनी चाहिए। महासप्तमी के दिन सुबह 7:54 से लेकर 9:30 तक गुली काल रहेगा। उसी प्रकार सुबह 10:46 से लेकर 12:12 तक राहुकाल और यम घंट काल दोपहर 3:30 से लेकर 4:29 तक रहेगा। इस दौरान पुष्पांजलि करना वर्जित है। लोगों को उचित समय पर ही मां को पुष्पांजलि करनी चाहिए।


शनि मकर राशि में और गुरु धनु राशि में रहना अद्भुत संयोग
58 वर्षों बाद आया है ये दुर्लभ योग
मां देवी आदिशक्ति की विशेष पूजा अर्चना का पर्व महानवरात्र 17 अक्टूबर दिन शनिवार से प्रारंभ हो रहा है, जो 26 अक्टूबर तक चलेगा।  इस बार की शारदीय नवरात्रि अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है क्‍योंक‍ि इस बार पूरे 58 वर्षों के बाद शनि  मकर राशि में और गुरु धनु राशि में रहेंगे। इससे पहले यह संयोग वर्ष 1962 में आया था। इस प्रकार के सहयोग से मां की आराधना करने का उत्साह दोगुना हो जाता है।
 मां दुर्गा की कृपा सभी पर बना रहे इसके लिए लोग 9 दिनों तक मां के नौ रूपों की आराधना करते हैं।
 पहला दिन मां का शैलपुत्री के रूप में विराजमन होती है। मां के इसी रूप की पूजा की जाती है। उसी प्रकार दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री मां के रूप की पूजा भक्त करते हैं।

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