पापियों से दान लेना घोर अपराध, मिलेगी गदहा योनि।
अनाज चोरी करने पर चूहा, बिल्ली और नेवला मैं होते हैं जन्म।
धातु की चोरी करने पर कबूतर, कीड़े और कौवा योनि मिलती है।
वस्त्र चुराने वाले जातक को गदहा, खरगोश और छछूंदर की योनि मिलती है।
फल, लकड़ी, फूल और पानी की चोरी करना भी पाप की श्रेणी में आतें हैं।
गाय की चोरी, दक्षिणा न देना और बिना अग्नि के हवन करना महापाप।
कौन व्यक्ति नरक से आया, उसे कैसे पहचानें।
आइए जानें जन्मचक्र का महत्व
सनातन धर्म में पूर्व जन्म का उल्लेख मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण गीता में आत्मा को अमर बताया है। उनका कहना है की आत्मा शरीर धारण करती है। और उसके बाद उस शरीर को छोड़कर पुनः दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाती है। जन्म के अनुसार लोगों को अगले जन्म में किस जीव में जन्म होगा। इसकी वृतांत हमारे वेद शास्त्रों में मिलता है।
कर्म ही प्रधान है इसका उल्लेख मार्कंडेय पुराण में किया गया है। मार्कंडेय पुराण में बताया गया है कि आप जो पाप करते हैं उस पाप के अनुसार अगले जन्म के समय किस जीव जंतु में आपका जन्म होगा।
अच्छा कर्म करने वाले परमात्मा में समाहित हो जाते हैं। जबकि बुरे कर्म करने वाले को 84,00000 योनियों में भ्रमण करना पड़ता है। आइए विस्तार से जानें मार्कंडेय पुराण में कौन से कर्म के लिए कौन सा विधान लिखा गया है।
मार्कंडेय पुराण में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि ब्राह्मणों को धर्मी पुरुष से ही दान लेनी चाहिए। पतित से दान लेने वाला ब्राह्मण गधे की योनि में जन्म लेता है। पतित को यज्ञ कराने वाला ज्ञानी नरक से लौटने पर कीड़ा में जन्म लेता है। गुरु के साथ छल करने पर उसे कुत्ते की योनि मिलती है। गुरु की पत्नी और उसके धन को मन ही मन लेने की इच्छा करने पर भी कुत्ते की योनि में ही जन्म ₹लेना पड़ता है।
माता-पिता की अपमान करने वाला जातक (मनुष्य) मैना पक्षी योनि में और भाई की स्त्री का अपमान करने वाला मनुष्य कबूतर योनि में जन्म लेता है। साथ ही उसे पीड़ा देने वाला मनुष्य कछुए की योनि में जन्म लेता है।
जो व्यक्ति मालिक का तो खाता है किंतु मालिक का अनिष्ट करता है वह मरने के बाद वानर योनि में जन्म लेता है। किसी धरोहर को हड़पने वाला मनुष्य नर्क से लौटने पर कीड़ा में जन्म देता है। दूसरे का दोष देखने वाला व्यक्ति नर्क से निकलकर राक्षस बनत है।
विश्वासघाती मनुष्य को मछली की योनि में जन्म लेना पड़ता है। जो मनुष्य अज्ञान वश धान, जौ, तिल, कुलथी, सरसों, चना, मटर, कलमी, गेहूं, तीसी तथा दूसरे अनाजों की चोरी करता है, वह नेवले के समान बड़े मुंह वाला चूहा बनता है।
पराई स्त्री के साथ संभोग करने पर मनुष्य भयंकर भेड़िया योनि में जन्म लेता है। उसके बाद क्रमशः कुत्ता, सियार, बगुला, कीड़ा, बिच्छू, मछली, कछुआ, कौवा और चांडाल होते होते हुए पुनः मनुष्य योनि में आता है।
शास्त्र हीन पुरुषों की हत्या करने वाले व्यक्तियों को गधा योनि में जन्म लेना पड़ता है। स्त्री और बालक को हत्या करने वाले कीड़ा की योनि में जन्म लेते हैं। भोजन की चोरी करने से मक्खी की योनि में जाना पड़ता है।
अनाज चुराने वाले लोगों को भी पाप का भागी बनना पड़ता है। उन्हें भी नरक में समय गुजारने के बाद भिन्न-भिन्न योनियों में जन्म लेना पड़ता है।
साधारण अन्न चुराने पर मनुष्य को नरक से छूटने पर बिल्ली की योनि में जन्म लेते हैं। तिलपूर्ण मिश्रित अनाज पुराने पर मनुष्य को चूहे की योनि में जाना पड़ता है। घी चुराने वाले जातकों को नरक से आने पर नेवला की योनि मिलती है। नमक की चोरी करने पर जलकाग और दही चुराने पर कीड़े की योनि में जन्म लेना पड़ता है। दूध की चोरी करने पर बगुले की योनि मिलती है।
उसी प्रकार मधु चुराने वाला व्यक्ति बनता है मधुमक्खी। पुआ की चोरी करने वाला बनता है चींटी। प्रसाद की चोरी करने वाला बिसतुइया योनि में जन्म लेना पड़ता है। तेल की चोरी करने वाला जातक नरक भोगने के बाद तेल पीने वाले कीड़े योनि में जन्म लेना पड़ता है।
किसी भी प्रकार की धातु की चोरी करने पर मनुष्य को नरक भोगने के बाद विभिन्न जीव जंतु और कीड़े मकोड़े की योनि में जन्म लेना पड़ता है।
लोहा या लोहे से बने वस्तु की चोरी करने पर जातक को कौवा की योनि में जन्म लेना पड़ता है। कांसे की वस्तु का अपहरण करने पर मनुष्य को हरियल पक्षी की योनि मिलती है। चांदी का बर्तन चोरी करने पर कबूतर योनि में जन्म लेना पड़ता है। साथ ही सोने का पात्र चुराने पर मनुष्य को कीड़े की योनि में जन्म लेकर दुख भोगना पड़ता है।
वस्त्र चुराने वाले जातकों को भी नरक भोगने के साथ-साथ पशु पक्षी की योनि में जन्म लेना पड़ता है। रेशमी वस्त्र की चोरी करने पर चकवे पक्षी की योनि मिलती है। साथ ही रेशम का कीड़ा भी होना पड़ता है।
हिरण के रोएं से बना हुआ वस्त्र, महीन वस्त्र, भेड़ और बकरी के रोएं से बना हुआ वस्त्र तथा कंबल चुराने पर तोते की योनि मिलती है। रूई का बना हुआ वस्त्र चुराने पर क्रौच्च और सूती कपड़ों की चोरी करने पर बगुला तथा गधा योनि में जन्म लेकर दुख भोगना पड़ता है।
पतियों का साग चुराने वाले जातक को मोर की योनि में जन्म लेना पड़ता है लाल वस्त्र चोरी करने पर चकवा पक्षी की योनि मिलती है। उत्तम सुगंधित पदार्थों की चोरी करने पर छछूंदरऔर किसी प्रकार के वस्त्र की चोरी करने पर खरगोश की योनि में जन्म लेना पड़ता है।
फल की चोरी करना भी पाप की श्रेणी में आता है। फलों की चोरी करने वाला व्यक्ति नपुंसक बन कर जन्म लेता है। उसी प्रकार लकड़ी चोरी करने वाला घुन बनता है। फूलों की चोरी करने वाला दरिद्र और वाहन का अपहरण करने वाला अपंग होता है।
पानी की चोरी करने वाला पपीहा बनता है। जो भूमि का अपहरण करता है उसे नरक में भयंकर कष्ट झेलने के बाद क्रमशः झाड़ी, लता, बेल और बांस का वृक्ष बनाते है। थोड़ा सा पाप कम होने पर मनुष्य योनि में आते हैं।
जो बैल का अंडकोष को छेदन करते हैं। वह नपुंसक होते हैँ और इसी रूप में 21 जन्म बिताने के बाद कीट, पतंग, पक्षी, जलचर, जोंक तथा मृग बनाते हैं। इसके बाद बैल का शरीर धारण करने के बाद चांडाल और डोम आदि भिन्न-भिन्न योनियों में जन्म लेना पड़ता है।
मनुष्य योनि में वह अपंग, अंधा, बहरा और अस्थमा बीमारी से पीड़ित तथा मूत्र, नेत्र और गुर्दा रोग से ग्रस्त रहता है। इतना ही नहीं इसे मिर्गी का रोग भी रहता है। तथा वाह शुद्र की योनि में जन्म लेता है।
गाय की चोरी करने वाले को बहुत ज्यादा दुर्गति झेलनी पड़ती है। उसे नरक भोगने के अलावा 84,00000 योनियों में भ्रमण करना पड़ता है।
उसी प्रकार विद्या ग्रहण कर गुरु को दक्षिणा न देना और अग्नि प्रज्वलित हुए बिना हवन करना भी महापाप में गिना जाता है। जो मनुष्य किसी दूसरे की स्त्री को लाकर किसी दूसरे को दे देता है। वह नरक की यातना से छूटने पर नपुंसक होता है।
जो मनुष्य अग्नि की प्रचलित किए बिना ही उसमें हवन करता है वह गंभीर रोग से पीड़ित एवं मन्दग्नि की बीमारी से युक्त होता है।
कौन व्यक्ति नरक से आया, उसे कैसे पहचाने
नरक से आने वाले लोगों की पहचान आसान है। बस लोग चरित्र पर थोड़ा ध्यान दें, आपको स्पष्ट रूप से पहचान हो जाएगा कि कौन नगर से आया है। दूसरों की निंदा करना, दूसरों के गुप्त भेद को खोलना, निष्ठूरता दिखाना, निर्दई होना, पराई स्त्री का सेवन करना, दूसरों का धन हड़प लेना, अपवित्र रहना, देवताओं का निंदा करना, मनुष्यों को रुलाना, कंजूसी करना, हत्या करना सहित अन्य हैं।