आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस पूर्णिमा तिथि को दोनों नाम से जाना जाता है और बंगाली समुदाय के लोग मां लक्ष्मी उर्फ मां लख्खी की पूजा शरद पूर्णिमा की रात करेंगे। इस साल शरद पूर्णिमा 30 अक्तूबर, दिन शुक्रवार को मनायी जाएगी। सनातनी मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा सभी पूर्णिमा तिथि में सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमा मानी जाती है। इस दिन धन, वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से कर जातक व्रत रखते हैं। इसी दिन आकाश से अमृत की बारिश होती है। शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी की वैभव रूप कि पूजा की जाती है। शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। इस बार शरद पूर्णिमा शुक्रवार के दिन ही पड रहा है। इससे इस पूर्णिमा का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। शरद पूर्णिमा की रात्रि को मां लक्ष्मी लोगों के घर-घर घूमती है और जिसकेेे घर मां की पूजा-आराधना होते हैं उसके घर में निवास करती हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी जी का अवतार हुआ था। महालक्ष्मी की अनुपम कृपा पाने के लिए भक्त रतजग्गा कर मां की आराधना करते हैं।
क्यों है अद्भुत इस वर्ष का शरद पूर्णिमा
30 अक्टूबर दिन शुक्रवार को शाम 5:45 बजे से शरद पूर्णिमा शुरू होगा जो 31 अक्टूबर रात 8:18 बजे तक समाप्त हो जाएगा। पूर्णिमा की तिथि रात्रि बेला में पड़ने के कारण 30 अक्टूबर को ही शारदीय पूर्णिमा मनाया जाएगा। निर्णय सिंधु पुराण के अनुसार उदया तिथि को मानकर किसी भी तिथि की गणना की जाती है। उदया तिथि के अनुसार 30 अक्टूबर को पूर्णिमा तिथि का आगमन हो रहा है। इसका मतलब बहुत से लोग 31 अक्टूबर को भी शरद पूर्णिमा मनाएंगे। परंतु वैभव लक्ष्मी की पूजा पूर्णिमा तिथि के मध्यरात्रि को होता है। ऐसी स्थिति में पूर्णिमा तिथि 30 अक्टूबर के मध्य रात्रि को ही आ रहा है। इसलिए 30 अक्टूबर दिन शुक्रवार को ही शरद पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा।
शुभ व अमृत योग में करें वैभव लक्ष्मी की पूजा
अश्विन तिथि, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाया जाता है। इस वर्ष 30 अक्टूबर दिन शुक्रवार को शरद पूर्णिमा मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि को वैभव लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस बार मध्य रात्रि को शुभ और अमृत योग का अदभूत मिलन हो रहा है। ऐसी स्थिति में पूजा करने से वैभव लक्ष्मी ख़ुश होती है और जातक के घर में धन-धान्य से भर देती है।
30 अक्टूबर मध्य रात्रि को मां वैभव लक्ष्मी की पूजा की जायेगी। लाभ योग रात 9:00 बजे से लेकर 10:36 तक रहेगा। जबकि वैभव लक्ष्मी की पूजा करने का सुखद संयोग शुभ योग रात 12:11 से लेकर 1:46 तक और अमृत योग रात 1:46 से 3:30 तक रहेगा। इस दौरान मां लक्ष्मी की पूजा करना श्रेष्ठ सर्वश्रेष्ठ रहेगा चार योग सुबह 3:30 से लेकर 4:56 तक है इस दौरान मां का पूजा करना भी काफी लाभकारी रहेगा। अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:49 से लेकर 12:33 मिनट के बीच है इस दौरान पूजा की जाती है।
भूलकर भी ना करें इस समय वैभव लक्ष्मी की पूजा
वैभव लक्ष्मी की पूजा काल योग, रोग योग और उद्धेग योग में नहीं करना चाहिए। शुक्रवार को शाम 5:50 से लेकर 7:25 तक रोग योग रहेगा। उसी प्रकार काल योग शाम 7:25 से लेकर रात 9:00 बजे तक उद्धेग योग रात 10:36 से लेकर के 12:11 तक रहेगा। इस दौरान किसी प्रकार का धार्मिक पूजा पाठ करना निषेध है।जातकों को इस समय पूजा करने से बचना चाहिए।
महालक्ष्मी को पूजा करने की विधि
इस दिन मनुष्य विधिपूर्वक स्नान करके उपवास रखें और और जितेंद्रिय भाव से रहे। जातक तांबे अथवा मिट्टी के कलश पर वस्त्र से ढकी हुई लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करके भिन्न-भिन्न उपचारों से उसकी पूजा करें। तदुपरांत सयकाल चंद्रोदय होने पर सोने, चांदी और मिट्टी से बने दीएं में घी से भरे 101 दिए को जलाएं। मध्य रात्रि को वैभव लक्ष्मी की पूजा करें साथ मिट्टी से बने पात्र में घी और दूध से बने खीर को खुले आसमान के नीचे रख दें। तीन पहर बीत जाने के बाद उसी खीर से मां लक्ष्मी को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में सभी के बीच वितरण करना चाहिए।
वैज्ञानिक महत्व
एक अध्ययन के अनुसार दूध में वैकल्पिक अम्ल और अमृत तत्व होता है। यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाता है। इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर को खुले आसमान के नीचे रखकर अगले दिन खाने का विधान तय किया है।
शरद पूर्णिमा की रात महारास रचाते थे कृष्ण
शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में श्री कृष्ण गोपियों के साथ महारास रचाते थे। कहा जाता है कि रात भर चलने वाले इस महारास को देखने के लिए देवलोक से देवता भी आया करते थे।
शरद पूर्णिमा की रात लख्खी पूजा
बंगाली समुदाय के लोग शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी के ही एक रूप मां लख्खी की पूजा विधि विधान से और अपने परंपरा के अनुसार करते हैं। लख्खी पूजा करने के लिए समुदाय के लोग अपने घरों में, या सोसाइटी, मोहल्ला या गांव में मां लख्खी की प्रतिमा स्थापित कर साथ ही तरह-तरह के मिठाई और मौसमी फलों से मां की पूजा विधि विधान से किया जाता है। इस दिन नवविवाहिता अपने मायके पूजा में भाग लेने के लिए आती है।