विश्वकर्मा पूजा 17 को, अमृत योग में करें पूजा


विश्वकर्मा पूजा. 17 सितंबर 2020, दिन गुरुवार को शिल्पकार और विश्व के प्रथम इंजीनियर भगवान विश्वकर्मा की जयंती अर्थात जन्मदिन है। हर साल कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा पूजा की जाती है। विश्वकर्मा पूजा के दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा कुछ समय के लिए कन्या राशि में इसके बाद सिंह राशि में चले जाएंगे। दिन गुरुवार पड़ने के कारण अमावस्या तिथि है और पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र है।
धार्मिक मान्यताओं के तहत निर्माण केे देवता भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन को विश्वकर्मा पूजा के रूप में मनाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। विश्वकर्मा पूजा कारोबारियों, कामगारों और निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के लिए विशेष महत्व रखती है।
अश्विन माह की कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा  हो रही है। इसी दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। धर्म शास्त्रों में ऐस मान्यता है कि विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से निर्माण कार्य में लगे कामगारों को सालों भर किसी भी प्रकार की घटना और दुर्घटना नहीं घटती है। साथ ही कारोबारियों को कारोबार में वृद्धि होती है। धन-धान्य और सुख-समृद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करनी चाहिए।  विश्वकर्मा् पूजा के दिन उद्योगों में स्थित मशीनों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विश्वकर्मा पूजा करने से खूब तरक्की होती है।यह पूजा विशेष तौर पर सभी बुनकर, शिल्पकारों और औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े लोगों द्वारा की जाती है। विश्वकर्मा पूजा उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो कामगार है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है। धन-धान्य और सुख-समृद्धि की इच्छा रखने वालों के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना मंगलदायी है।
विश्वकर्मा पूजा में लगने वाले सामानों की सूची
भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए जरूरी सामानों की सूची दी गई है। अक्षत, मिट्टी का कलशा, नारियल, गुु़ड, गंगाजल, फूल, चंदन, धूप, अगरबत्ती, गोबर, आम का पत्ता, पान का पत्ता,  दही, रोली, लाल सूती कपड़े, सुपारी,रक्षा सूत्र, मिठाई, मौसमी फल आदि की व्यवस्था कर लें।
इसके बाद कामगारों, कारखाना चलाने वाले मालिकों को स्नान करके नए वस्त्र पहन के पूजा के आसन पर बैठना चाहिए। मिट्टी या धातु के कलश को अष्टदल की बनी रंगोली पर मंत्र उच्चारण के साथ रखें। इसके बाद स्वयं या पुजारी के माध्यम से विधि विधान से भगवान विश्वकर्मा्मा पूजा अर्चना करनी चाहिए। इसके बाद हवन केे उपरांत आरती कर भक्तोंं केे बीच महाप्रसाद का वितरण करनी चाहिए। उसी रात ्जागरण करना काफी फलदाई और उन्नति परक होगा।
पूजा करने का शुभ मुहूर्त
भगवान विश्वकर्मा की पूजा शुभ मुहूर्त में करें। संभव हो तो अभिजीत मुहूर्त या अमृत योग में करें। गुरुवार को अमृत योग दिन के 2:04 से लेकर 3:35 तक रहेगा जबकि अभिजीत मुहूर्त सुबह 11-56 मिनट से लेकर 12:45 के बीच रहेगा। इसके अलावा शुभ योग मुहूर्त और चर योग मुहूर्त भी है। शुभ योग मुहूर्त सुबह 6:26 से लेकर 7:58 तक और शाम 5:07 से लेकर कर 6:49 तक रहेगा। चर योग मुहूर्त 11:00 बज के 12 मिनट से लेकर 12:32 तक रहेगा। इस समय भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना काफी फलदायक और शुभकारी होगा।
भूलकर भी इस समय ना करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा
भगवान विश्वकर्मा की पूजा भूल कर भी इस समय नहीं करनी चाहिए। जब राहुकाल, गुलिक काल और एवं यम घंटक काल चल रहा है।राहुकाल दिन के एक बज के 55 मिनट से शुरू होकर 3:15 तक रहेगा जबकि गुली काल सुबह 9:00 बज कर 53 मिनट से लेकर 10:13 तक और यम घंटक काल सुबह 7:11 से लेकर 8:30 तक रहेगा। इस दौरान भगवान विश्वकर्मा का पूजा अर्चना करना धर्म सम्मत नहीं है और सर्वथा वर्जित है।

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