गलत जन्म कुंडली लोगों को डाल देते हैं मुसीबत में। इससे बचने का उपाय भृगु संहिता के अनुसार जानें।
जन्म कुंडली जातक के जन्म कालीन ग्रहों की स्थिति की परिचायक होती है, तथा उन ग्रहों के स्थिति का जातक के जीवन पर स्थाई प्रभाव पड़ता रहता है ,परंतु आकाश मंडल में विभिन्न ग्रह निरंतर भ्रमण करते रहते हैं ।
जिसका तत्कालिक स्थाई प्रभाव भी जातक के दैनिक जीवन पर पड़ता रहता है। इस प्रकार प्रत्येक ग्रह, प्रत्येक प्राणी के जीवन पर अपना प्रभाव डालता है।
ग्रहों के अस्थाई प्रभाव का विचार करना भी आवश्ययक होता है। दैनिक ग्रह गोचर में किस समय कौन सा ग्रह किस स्थान पर चलता रहता है। इसका ज्ञान पंचांगों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
कैसे जाने गलत बनी है जन्म कुंडली
जन्मकुंडलीस्थ ग्रहों के फलादेह की यथार्थता शुद्ध लग्न पर निर्भर करती है। यदि लग्न ठीक ना होगी, तो जन्म कुंडली के ग्रहों का फलादेह भी ठीक नहीं बैठेगा।
शुद्ध लग्न का निर्णय जातक के ठीक जन्म के समय के आधार पर किया जाता है। समय में थोड़ा सा भी अंतर आ जाने से लग्न की अशुद्धता हो जाने की संभावना रहती है। अतः लग्न की शुद्धता का विचार कर लेना आवश्यक है।
लग्न की शुद्धता का विचार करने की एक सरल विधि यह है कि लोग पंचांग आधारित जन्म कुंडली बनवाएं। जन्म कुंडली के आधार पर हर गलत लगने वाली कुंडली का बिना किसी विशेष परिश्रम के ठीक किया जा सकता है। विधि इस प्रकार है।
उपस्थित जन्म कुंडली के ग्रहों का फलादेश यदि ज्ञात है और उक्त व्यक्ति के जीवन से ठीक मिल रहा है। तब तो कोई बात नहीं है। परंतु यदि फलादेश ठीक ना मिले तो लग्न की शुद्धता का सम्मान करें। कुंडलिया ऐसी तैयार करनी चाहिए।
कुंडली बनाते समय लग्न और ग्रहों की गणना कर दो से अधिक कुंडलियां बनाएं। कुंडलियों का मिलान करें और देखें कि किस कुंडली में मनुष्य के जीवन में घटित घटनाओं का आधार मिल रहा है। इसके अलावा कुंडली के आधार पर ग्रहों को लिखकर उसके फलादेश का अध्ययन करें तथा जिस कुंडली का फलादेश ठीक बैठता है उसी लग्न की कुंडली को शुद्ध समझे।
संयुक्त परिवार होने से काफी हद तक जीवन में कठिनाई कम आते हैं। कारण परिवार के सभी सदस्यों की जन्म कुंडली के ग्रहों का थोड़ा बहुत प्रभाव एक दूसरे पर पड़ता रहता है। यह डीएनए का कमाल है।
संयुक्त परिवार के किसी एक सदस्य के विषय में ग्रहों का फलादेश ज्ञात करते समय यदि उस परिवार के अन्य सदस्यों की जन्मकुंडली का भी साम्यक (सामान्य) अध्ययन करके निष्कर्ष निकाला जाए, तो यह कदम उचित रहेगा।
दैनिक ग्रह गोचर का प्रभाव जन्मकुंडली में व्यक्ति के जन्म कालीन ग्रहों की स्थिति की परिचायक होती है। तथा उन ग्रहों को स्थिति का मनुष्य के जीवन पर स्थाई प्रभाव पड़ता रहता है। परंतु आकाश मंडल में विभिन्न ग्रह निरंतर भ्रमण करते रहते हैं। जिसका तत्कालिक अस्थाई प्रभाव भी व्यक्ति के दैनिक जीवन पर पढ़ता रहता है।
इस प्रकार प्रत्येक ग्रह, प्रत्येक प्राणी के जीवन पर अपना दो प्रकार से प्रभाव डालता है। व्यक्ति के प्रभाव के साथ ही ग्रहों को अस्थाई प्रभाव का विचार करना भी आवश्यक होता है। दैनिक गोचर में किस समय कौन सा ग्रह किस स्थान पर चल रहा है। इसका ज्ञान पंचांग द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
जन्म कुंडली बनाने के पहले यह सुनिश्चित कर लें कि व्यक्ति का जन्म किस समय, किस स्थान पर, किस दिन और किस वर्ष हुआ था। इसकी सही जानकारी देने पर जन्म कुंडली सही बनता है और मनुष्य का भविष्य और वर्तमान कुंडली देखकर बताया जा सकता है।