श्री राम के अनंत भक्त बना गिलहरी

गिलहरी, भक्ति की पराकाष्ठा
कथा त्रेता युग के समय का है । वनवास के दौरान श्रीराम प्रभु को गिलहरी ने दिल जीत लिया। भगवान प्रभु ने एक गिलहरी को गोद में उठाकर उसके शरीर को अपने पांचों उंगलियों से सहलाया। इसलिए आज भी गिलहरी के शरीर पर पांच उंगलियों का दाग स्पष्ट रूप से देख सकते हैं । आइए विस्तार से जानें इस कथा का महत्व।
सेतु निर्माण में गिलहरी का योगदान
तुलसीकृत रामायण में गिलहारी का प्रसंग मिलता हैं। तुलसीदास ने बड़ा ही मार्मिक ढंग से इस घटनाक्रम को उल्लेख श्री रामचरितमानस में किया है । श्रीराम प्रभु भाई लक्ष्मण सहित बंदरों का विशाल सेना लेकर जब समुद्र तट पर पहुंचे , तो उन्होने श्रीलंका पर चढ़ाई करने के लिए एक सेतु का निर्माण करने की योजना बनाई । भगवान राम के दल में नल, नील , हनुमान व सुग्रीव सहित अनेक बलवान बांदर थे । उन्हें यकीन था कि समुद्र पर एक विशाल सेतु का निर्माण हो जाएगा, जिसके माध्यम से उनकी सेना आसानी से श्रीलंका पहुंच जाएगी। श्री राम प्रभु के सैनिकों ने बड़े-बड़े पत्थर को उठाकर समुद्र में फेंकना शुरू कर दिया। यह कार्य निरंतर जारी रहा। वहीं पर बैठा गिलहरी बड़े ध्यान से उन सैनिकों का कार्य देख रहा था। गिलहरी के दिल में भी भगवान श्री राम की मदद करने का इच्छा उत्पन्न हुई। गिलहरी अपना स्थान से उठकर समुद्र के पानी में जाके अपनी शरीर को पूरी तरह भिंगा लेता और समुद्र की रेत में लोटपोट कर , बन रहे सेतु के छेद में बालु को डाल देता। गिलहरी का कार्य सुबह से लेकर दोपहर तक चलता रहा। गिरधारी निष्ठा से अपने काम में लगा हुआ था।
स्नेह का भागी बनी गिलहरी
प्रभु श्रीराम ने गिलहरी की निष्ठा पूर्वक कार्य को देखकर काफी प्रभावित हुए और उन्होंने गिलहरी को अपने हाथ में उठा लिया। प्रेम से गिलहरी के शरीर को सहलाने लगे। श्री राम प्रभु के सहलाने पर गिलहरी काफी खुश हो गई। प्रभु के नाम का स्मरण करने लगी। गिलहरी के शरीर पर प्रतीक बन गया प्रभु श्रीराम की उंगली के निशान।
कर्म पर भारी पड़ा प्यार
गिलहरी का समर्थन और प्रेम का भाव बंदरों के अथक परिश्रम पर भारी पड़ा । प्रभु प्यार के भुखें होते हैं। इसका जीता जागता प्रतीक याह घटना है। बांदर अथक परिश्रम कर बड़े-बड़े चट्टान लेकर सेतु का निर्माण कर रहे थे। एक छोटा सा गिलहरी ने ऐसा करिश्मा कर दिखाया की प्रभु के दिल में अपना स्थान बना लिया। आज भी श्रीराम प्रभु का एक प्रतिक लिए शरीर पर बड़े शान से घूमती है।

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