क्या आप भगवान हो ॽ

एक बच्चा ने मुझसे पूछा क्या आप भगवान हो ॽ मैं आश्चर्य में पड़ गया और बोला नहीं तो तुम्हें कैसा लगा कि हम भगवान हैं।आप ने मुझे बुलाकर चप्पल जो दिया। ऐसी बात नहीं है बेटा घर में एक पुराना चप्पल पड़ा
हुआ था और मैं देखा तुम तपती धूप में नंगे पांव सड़क के किनारे कचरा चुन रहे हो। मुझे अच्छा नहीं लगा इसलिए मैं यह चप्पल तुझे देने आ गया।
वैसे एक पुराना चप्पल घर में पड़ा हुआ था।किसी काम का नहीं था। इसलिए मैं सोचा इसे फेंकने से अच्छा है ,तुम्हें दे दूं । मैंने एहसान नहीं किया तुम पर , र्फेकने के दौरान तुम पर नजर पड़ी। तुम्हारी अवस्था देखा, इसलिए चप्पल तुझे दे दिया । इसमें भगवान बनने की कहां बात आता है।

बच्चा का भोलापन

बच्चा मुझे निहारता रहा। उसकी आंखें भर आई थी। मैंने बोला रो मत बेटा अब तो तुम्हें चप्पल मिल गया ‌क्या कुछ खाने का मन कर रहा है। बच्चा बोला रात में मैंने एक सपना देखा था । मैं प्लास्टिक चून रहा था । उसी दौरान एक व्यक्ति ने मुझे आकर चप्पल दिया और बोला बेटा इसे पहन लो । तपती धूप में तुम्हारा पैर नहीं जलेगा । इस सपने की बात मैंने अपनी मां को बताया , तो मां बोली बेटा सुबह का सपना है सच ही होगा। आपने चप्पल देकर मेरे सपनों को सच कर दिया । इसलिए मुझे लगा आप भगवान है क्योंकि मां बोलती है सपना में आने वाला भगवान ही होता है। बच्चे के मुख से सपने वाली बात सुनकर मैं दंग रह गया और आश्चर्य में पड़ गया,।
क्या ऐसा होता है।
मैं कुछ भ्रम में पड़ गया। भगवान सच में होते हैं क्या ? इस सृष्टि को कौन चला रहा है इस बात पर गौर किए हैं क्या ? बारिश के बाद गर्मी क्यों नहीं आता। शरद ॠतु ही क्यों आती है। एक बात और गौर करने का है। मनुष्य की श्रृजन भगवान करते हैं। भगवान से कभी भूल नहीं होते हैं। मनुष्य शरीर का श्रृजन करते समय आंख, नाक और कान आगे छोड़ सर का पीछे लगा देते। जबकि मानवीय भूल के कारण बड़े से बड़े हादसे होते हैं, यह हमने देखा है। और समाचार पत्रों में पड़ा है। सृष्टि की रचना ही अद्भुत है जिसे भगवान ने रचा है। सृष्टि को चलाने में किसी प्रकार की गड़बड़ी कभी नहीं होती है। वह कौन शक्ति है जो सृष्टि को चला रहा है। वह भी अनुशासित ढंग से।  

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