हिंदू पंचांग में 24 एकादशी व्रत करने का विधान है इसमें सबसे श्रेष्ठ एकादशी गंगा दशहरे के बाद पढ़ने वाला एकादशी होता है । इसे निर्जला , भीमसेन या पांडवों एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी करने से मनुष्य का सभी पापों से मुक्ति मिलता है और भगवान विष्णु के चरणों में जगह स्थान प्राप्त होता है। इस एकादशी का महत्त्व महाभारत ग्रंथ में मिलता है। इस व्रत करने के बाद भीमसेन को 24 सो एकादशी करने का पुण्य प्राप्त हुआ था।
कैसे करें एकादशी
गंगा दशहरा के दिन लोग इस एकादशी करने का संकल्प लें और सुबह स्नान कर भगवान विष्णु का ध्यान करें। निर्जला एकादशी के दिन व्रत धारी 24 घंटे भुखा रहकर व्रत का कड़ाई से पालन करें। एकादशी के दिन गंगा नदी में स्नान करें जब आपके आसपास गंगा नदी ना हो तो तालाब या अन्य नदियों में भी स्नान कर सकते हैं। घर में भी गंगाजल मिलाकर स्नान करना श्रेष्ठ कहलाता है। स्नान करने के उपरांत पीला वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें इसके बाद नावेद और मौसमी फल से विधि विधान से पूजन करें।
कथा का महात्म्य
महाभारत में एक कथा आता है पांडव सालों का 24 सो एकादशी किया करते थे परंतु भूख की अधिकता के कारण भीम कोई भी एकादशी नहीं कर पाता थे। ऐसी अवस्था में भीमसेन महर्षि वेदव्यास के पास गया और कहा कि महात्मा हमें भी किसी एक एकादशी करने का विधान बताए । महर्षि वेदव्यास ने भीमसेन को गंगा दशहरा के बाद पढ़ने वाला एकादशी करने का सुझाव दिया और बताया कि इस एकादशी करने के बाद सभी एकादशी करने का फल तुझे प्राप्त होगा।
फल की प्राप्ति
निर्जला एकादशी करने से जातक सीधे विष्णु के परम धाम को प्राप्त करता है। व्रत करने से हर तरह का रोग दुख और संकट से निजात मिलता है अविवाहित कन्याओं को मन पसंद वर मिलता है।