शिव कृपा बना अमर

क्या शिव कृपा से कोई व्यक्ति अमर बन सकता है। हां ऐसा हो सकता है आइए पढ़े एक अमर कथा।


हमारे देश की धार्मिक महानता चारों और फैली हुई है। आइए महानता के बारे में पौराणिक कथाओं पर प्रकाश डालें।

शिवपुराण में वर्णित कथा के अनुसार भगवान शंकर अपने भक्तों पर सबसे ज्यादा प्रसन्न तब होते हैं जब भक्त में सच्ची श्रद्धा और समर्पण की भावना दिखती हो। पौराणिक कथा के अनुसार काशी नगर में एक गरीब किसान रहता था। पत्नी चतुर और चालाक थी जबकि पति सीधा साधा और भोले नाथ पर श्रद्धा रखने वाला एक विशाल व्यक्तित्व का आदमी था। समय पर उसके घर में सुंदर कन्या और एक पुत्र का जन्म हुआ। पुत्र और पुत्री को पा कर पति पत्नी दोनों काफी प्रसन्न हुए।

 परन्तु संयोग ऐसा आया कि काल के गाल में उसका पुत्र समा गया। अर्थात अकाल मृत्यु हो गई।

बेटे की मौत से किसान और किसान की पत्नी दोनों पर बिपती का पहाड़ टूट पड़ा। उनके जीवन में अंधेरा छा गया। उन दोनों पति-पत्नी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। किसान की पत्नी तो सुबह से ही विलाप कर रही थी और अपने बेटे को किसी भी कीमत पर शमशान जाने से रोक रही थी।

गांव के लोग, रिश्तेदार और गोत्तिया सभी ने मिलकर किसान की पत्नी को समझया कि भगवान भोलेनाथ की कृपा होगी तो जल्द ही तुम्हारे आंगन में बालक खेलेगा। किसान की पत्नी की विलाप और किसान को सच्चे मन से अपने आराध्य देव भोलेनाथ की प्रार्थना करना मां पार्वती को भा गयी।

कैलाश के शिखा पर बैठी मां पार्वती और भोलेनाथ किसान की पुकार और  उसकी पत्नी को बिलाप करते देख रहे थे। माता पर्वती से रहा न गया उन्होंने कहा कि हे भोलेनाथ मुझे किसान की पत्नी की दुःख देखा नहीं जा रहा है। आप कुछ कीजिए।

भोलेनाथ ने कहा हे देवी पिछले जन्म में किसान की पत्नी और यह बच्चा तीनों सहोदर भाई थे। सबसे छोटे भाई सभी का दुलारा था। छोटी उम्र में ही मां बाप का स्वर्गवास हो गया। छोटे भाई को उस समय चार या पांच वर्ष हो रहा था। जबकि दोनों भाईयों का विवाह हो चुके थे। दोनों भाइयों पर लालच का भुत कुछ ऐसा सवार हुआ कि अपने छोटे भाई के खाने में जहर देकर मार डाला। 

पिछले जन्म का पाप को पुण्य में बदलने के लिए इस जन्म में दोनों भाई पति-पत्नी के रूप में जन्म लिया और छोटा भाई उनका पुत्र बन कर उसके घर में जन्म लिया। अपने पूर्व जन्म के पाप के कारण ही इस जन्म में इन दोनों को ऐसा समय देखना पड़ रहा है।

 मां पार्वती बोली नाथ मुझे इस महिला की दुःख देखा नहीं जा रहा। आप महाकाल है। आप देवों के देव है। आप ही में आदि और अंत समाहित है। आप दोनों के पापों को क्षमा करें। आप इसके बेटे को फिर से जिंदा  करने की कृपा करें। भोलेनाथ ने किसान की भक्ति भाव को देखते हुए उसके बेटे को जिंदा करने का वचन मां पार्वती को दे दिया। 

इस प्रकार किसान की भक्ति ने भोलेनाथ को मजबुर कर दिया। भोलेनाथ की कृपा से किसान का बेटा फिर से जिंदा हो गया।



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